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India के पास कौन कौन से टैंक हैं और उनकी क्या ख़ासियत है?

नई दिल्ली

India के पास कौन कौन से टैंक हैं और उनकी क्या ख़ासियत है?

हम जानेंगे कि भारत के पास कौन से प्रमुख टैंक हैं? उनकी क्या विशेषताएं हैं और ये टैंक देशी हैं या विदेशी.
भारत के पास तीन प्रमुख टैंक हैं. ये T-72, T-90 और अर्जुन टैंक हैं. भारत के कई टैंक, इन टैंकों के नए संस्करण हैं. इसके अलावा और भी कई टैंक हैं. T-72 से शुरू करते हैं. T-72 टैंक T-72 सोवियत ज़माने का टैंक है. माने रूसी टैंक. 1971 में इसका प्रोडक्शन शुरू हुआ था. इसे लियोनिद कार्तसेव और वलेरी वेनेदिक्तोव ने सबसे पहली बार डिजाइन किया था. इसका सेकेंड जेनरेशन T-72A टैंक 1979 में आया. थर्ड जेनरेशन टैंक 2010 में T-72B3 के नाम से आया.

T-72 ब्रिज लेयर टैंक.

T-72 को लाइटवेट टैंक में गिना जाता है. इसका वजन करीब 41 टन होता है. ये टैंक 5 मीटर की गहराई वाली नदियों से होकर गुजर सकते हैं. अगर पानी में इंजन बंद भी होता है, तो वह 6 सेकेंड्स में रीस्टार्ट हो जाता है. इस टैंक में न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल (NBC) सुरक्षा प्रणाली है. भारत के पास करीब 2400 T-72 टैंक हैं. भारत ने T-72 से 3 प्रमुख टैंक बनाए हैं भारत ने टी-72 टैंक से अपने 3 प्रमुख टैंक बनाए हैं. अजेय MK1, अजेय MK2, कॉम्बैट इमप्रूव्ड अजेय हैं. अजेय MK1, T-72M1 का भारतीय वर्जन है. ऐसे ही अजेय MK2, T-72M1 का ही एक वर्जन है. यह एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर के साथ आता है. ये दुश्मन टैंक के साथ ही गर्मी आदि से सुरक्षित रखते हैं.

कॉम्बैट इमप्रूव्ड अजेय टैंक T-72 टैंक के सबसे आधुनिक संस्करणों में से है. भारत पहले इस टैंक पर बहुत फोकस नहीं कर रहा था, क्योंकि भारत की नज़रें देशी अर्जुन टैंक पर अधिक थी. लेकिन अर्जुन टैंक में अधिक वक्त लगने के कारण भारत ने इस पर काम करना मुनासिब समझा. इस टैंक में इज़रायल, पोलैंड, जर्मनी, साउथ अफ्रीका आदि देशों के टूल लगे हुए हैं, जो इस टैंक को सुपर टैंक बनाते हैं.
Combat Improved Ajeya
 

T-90 टैंक T-90 टैंक भी रूसी टैंक है. यह थर्ड जेनरेशन रूसी बैटल टैंक है. यह T-72B और T-80U का मॉडर्न वर्जन है. इस टैंक को पहले T-72BU के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसे T-90 नाम दे दिया गया. अभी चीन के साथ तनाव को लेकर भारत ने लद्दाख के देपसांग इलाके में T-90 टैंक तैनात किए थे.
T90 Tank

इसका वजन करीब 46 टन है. यह डीजल इंजन पर चलता है. इसमें अधिकतम 1600 लीटर फ्यूल डाला जा सकता है. T-90 टैंक को सामान्य रास्ते पर 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है. जबकि उबड़खाबड़ रास्ते पर इसकी अधिकतम रफ्तार 50 किलोमीटर प्रतिघंटे के करीब होती है. इस टैंक में 125 मिलीमीटर की मोटाई वाली स्मूदबोर टैंक गन होती है. इसके जरिए कई तरह के गोले और मिसाइलें दागी जा सकती हैं. इस टैंक से एक राउंड में सात मिसाइल छोड़ी जा सकती हैं. इसमें मिसाइल ऑटोमैटिक लोड होती है. इस टैंक से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल भी दागे जा सकते हैं. इससे 2 किलोमीटर तक की रेंज में हैलीकॉप्टर को भी मार गिरा सकते हैं. T-90 भीष्म टैंक साल 2001 में भारत ने पहली बार रूस से T-90 टैंक खरीदने का सौदा किया था. भारत ने रूस को 310 T-90 टैंक का ऑर्डर दिया. इनमें से 124 रूस से बनकर आए, जबकि बाकी को भारत में असेंबल किया गया. जिन T-90 टैंकों को भारत में असेंबल किया गया उन्हें ‘भीष्म’ नाम दिया गया. भीष्म को और अधिक आधुनिक बनाने के लिए रूस के साथ ही फ्रांस की भी मदद ली जाती रही है.
T90 Bhishma Tank

पहले 10 भीष्म टैंक अगस्त 2009 में सेना में शामिल हुए. भारत ने सैकड़ों और भीष्म टैंक को शामिल करने का प्लान किया हुआ है. अभी भारत के पास 2000 के करीब T-90 सीरीज़ के टैंक है. अर्जुन टैंक अर्जुन टैंक को कतई देशी टैंक कह सकते हैं. इसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट आर्गेनाइजेशन (DRDO) और कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (CVRDE) द्वारा विकसित किया गया है. इसकी अधिकतम स्पीड 70 किलोमीटर प्रति घंटे की है. उबड़खाबड़ रास्ते पर इसकी अधिकतम स्पीड 40 किलोमाटर प्रति घंटे की है. इस टैंक का वजन 58.5 टन है. इसमें कई अत्याधुनिक फीचर्स दिए गए हैं. जैसे कि थर्मल इमेजिंग के साथ नाइट विजन, डिजिटल बैलिस्टिक कंप्यूटर, एंटी एयरक्राफ्ट मशीन गन, हाई परफॉरमेंस इंजन. यह टैंक प्रति मिनट 6-8 राउंड फायर कर सकता है. भारत के पास अर्जुन टैंक के सभी मॉडल को मिलाकर करीब 370 टैंक हैं.

अर्जुन टैंक को कई बार T-90 टैंकों के साथ तुलना किया गया और रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अर्जुन टैंक का प्रदर्शन अच्छा रहा. शुरुआत में अर्जुन टैंक को बनाने के लिए भी कई पार्ट्स बाहरी देशों से मंगवाए गए, लेकिन बाद में इसे धीरे-धीरे कम किया जाता गया.
Mbt Arjun Tank

अर्जुन MBT MK1 हाल ही में पीएम मोदी ने सेना को अर्जुन टैंक का एक उन्नत संस्करण सेना को सौंपा है. इस टैंक को भी CVRDE और DRDO द्वारा विकसित किया गया है. DRDO के मुताबिक़ अर्जुन एमबीटी एमके 1ए, अर्जुन एमबीटी एमके 1 का उन्नत संस्करण है. इसमें 14 प्रमुख अपग्रेड किए गए हैं. यह टैंक बेहतर गोलाबारी, उच्च गतिशीलता, उत्कृष्ट सुरक्षा और चालक दल के नज़रिए से बेहतरीन बताया गया है.

DRDO के सेक्रेटरी सतीश रेड्डी ने बताया था कि इस टैंक में 71 अतिरिक्त फीचर दिए हैं. उन्होंने बताया था कि 118 टैंकों का आर्डर 8500 करोड़ रुपए का है. लाइट टैंक में भारत थोड़ा पीछे चल रहा भारत के पास अभी कोई लाइट टैंक नहीं है. लाइट टैंक से मतलब है 20 से 30 टन के टैंक. लाइट टैंक होने से उनका पहाड़ी इलाकों में इस्तेमाल आसान हो जाता है. चीन के पास इस तरह के टैंक हैं. पिछले 10 साल से भारतीय सेना इस तरह के टैंक की तलाश में है, लेकिन अभी तक खरीद नहीं हो पाई है और न ही भारत ने अभी तक ऐसा कोई टैंक बनाया है. लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इस दिशा में काम ज़ारी है.