कांग्रेस से भाजपा में शामिल किए गए आयतीत नेताओं से जमीन में बढ़ रहा असंतोष… सभी को साधने संगठन की पसंद से सीएम बनाएंगे अपना दो राजनीतिक सलाहकार… निगम-मंडल पर भी मंथन पूरा, इसी हफ्ते आ सकती है सूची…
इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
छत्तीसगढ़ में राज्य निर्माण के बाद मुख्यमंत्री के सलाहकार के तौर पर राजनीतिक संतुलन की परिपाटी लगातार 18 साल तक नहीं रही। पर अब पांच बरस पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दौर से यह क्रम प्रारंभ हुआ। अब यही व्यवस्था मौजूदा विष्णुदेव सरकार में कायम रखने की कवायद है।
खबर है कि मुख्यमंत्री निवास में दो और सलाहकारों की नियुक्ति होने जा रही है। इसके लिए भाजपा संगठन की ओर से पूर्व प्रदेश महामंत्री भूपेंद्र सवन्नी का नाम करीब—करीब तय माना जा रहा है। वहीं दूसरे नाम को लेकर मंथन चल रहा है। इस दौड़ में पूर्व अकलतरा विधायक सौरभ सिंह के साथ और भी नाम जिनमें भाजपा के प्रखर वक्ता जैसी शख्सियत को शामिल किया जा सकता है।
हांलाकि इस मामले को लेकर अभी भी निगाहें दिल्ली की ओर ही है। संकेत है कि वहां से हरी झंडी मिलते ही घोषणा भी कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि सलाहकारों को राजनीतिक सलाहकार का पद मिलेगा। दरअसल यह बात अब भाजपा संगठन के भीतर उपज रहे असंतोष को खत्म करने को लेकर भी है। इन नियुक्तियों में आयतीत भाजपा सदस्य की जगह कोर भाजपा के श्रेष्ठ को मौका दिए जाने के संकेत हैं। इनकी जिम्मेदारी भाजपा कार्यकर्ताओं के मसलों की सुनवाई करने और उन्हें संतुष्ट करने की होगी।
फिलहाल केवल मीडिया सलाहकार
फिलहाल छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने अभी केवल मीडिया सलाहकार के पद पर ही एक नियुक्ति की है। इस पद के लिए भाजपा संगठन में वाररूम में सक्रिय भाजपा की पत्रिका दीप कमल के संपादक पंकज झा को अवसर दिया गया है। पंकज झा सोशल मीडिया प्लेटफार्म में भाजपा व आरएसएस के मुखर पक्षकार होने के साथ—साथ कांग्रेस के मुखर विरोध के लिए पहचाने जाते हैं। मूलत: बिहार से छत्तीसगढ़ में स्थापित पंकज झा 2023 के चुनाव के दौरान हर उस समिति के सदस्य रहे जिनका सरोकार मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए योजना बनाने को लेकर रहा।
निगम-मंडल की सूची भी तैयार
छह महीने से निगम-मंडल को लेकर कयास जारी हैं। पूर्व प्रभारी ओम माथुर ने दो दर्जन निगम मंडलों में अध्यक्षों की नियुक्ति लोकसभा चुनाव के पहले ही करने का फैसला लिया था। लेकिन, शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप से यह मामला टल गया। अब एक बार फिर दिल्ली और रायपुर के बीच हुए मंथन से एक सूची तैयार हुई है। इसके लिए क्राइटेरिया भी तैयार किया गया है। ये इस तरह है- जो पहले निगम-मंडल में रह चुका है, उसे दोबारा मौका न दिया जाए। जिसे विधानसभा का टिकट दिया गया और वह हार गया। विधानसभा-लोकसभा चुनाव में जिनकी रिपोर्ट बेहतर, उनका चयन हो।
भाजपा आरटीआई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. विजय शंकर को भी बड़ी जिम्मेदारी जाने वाली है। अगर इनके नाम पर कोई आपत्ति आती है तो इनका निगम मंडल में अध्यक्ष बनना तय है। बताया जा रहा है कि अभी केवल 10-12 निगम मंडल के अध्यक्षों की नियुक्ति होगी। बाकी अध्यक्ष-उपाध्यक्ष समेत अन्य नियुक्तियां नगरीय निकाय चुनाव के बाद होंगी। इसके अलावा 14 आयोग में करीब 30 पदों पर भी नियुक्ति की जाएगी। विधायकों को संसदीय सचिव बनाने की सूची भी तैयार की जा रही है।
खनिज, आबकारी, श्रम सत्रिर्माण, पर्यटन, खाद्य, बीज विकास, हाउसिंग बोर्ड, नान जैसे प्रमुख निगम मंडलों के अध्यक्षों को नियुक्ति पहले होने जा रही है, ताकि सरकार का कामकाज सरल हो सके। भाजपा संगठन में आयतीय पूर्व कांग्रेसी नेताओं के भाजपा संगठन में शामिल होने के बाद से भारी बेचैनी है। भाजपा के एक पूर्व विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि ‘लोग हमे जो टीवी आदि में देखते हैं वे बहुत बड़ा आदमी मानते हैं पर हमारी हालत यह है कि पूर्व कांग्रेसी नेताओं के भाजपा में आने के बाद हमारी हैसियत जमीनी कार्यकर्ता से भी बदतर है।’