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NMDC के तल्ख जवाब से 16.20 अरब के खनिज जुर्माना का मसला गरमाया…

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी कलेक्टर ने किसी नवरत्न कंपनी पर अरबों का जुर्माना ठोका हो। दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी साफ नीयत के कठोर प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर महसूस किए जा रहे हैं। दंतेवाड़ा जिले में भारी प्रशासनिक अनियमितताओं की खबरों और शिकायतों के बाद विनीत नंदनवार की जगह मयंक चतुर्वेदी की पदस्थापना राज्य सरकार ने की।

इसके बाद बीते आठ माह में जिले में प्रशासन की साफ सुथरी छवि ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है। कलेक्टर का चेंबर आम और खास सभी के लिए समान तौर पर खुला रहता है। इसका असर छत्तीसगढ़ सरकार की सुशासन वाली छवि पर सकारात्मक तौर पर देखने को मिला है। दंतेवाड़ा जिले में लगातार जमीनी तौर पर आम लोगों के हित में प्रशासन की कार्यशैली ने अलग छाप छोड़ी है।

ऐसे समय में 29 अगस्त को जिला कलेक्टर द्वारा एनएमडीसी प्रबंधन पर खनन प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 1620.5 करोड़ रुपए का जुर्माना नोटिस बड़ी चर्चा का विषय हो गया है। इस मामले में एनएमडीसी प्रबंधन की ओर से जिस तल्खी के साथ जिला प्रशासन को जवाब देने की कोशिश की गई है इससे साफ जाहिर है कि आने वाले दिनों में खनिज खनन के प्रावधानों को लेकर मसला राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक पहुंचेगा।

बड़ी बात यह है कि खनि निरीक्षक दंतेवाड़ा ने 9 अगस्त को अपना प्रतिवेदन सौंपा। जिसके बाद एनएमडीसी प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस कमांक 413/खनिज/एम.एल./2024-25 दिनांक 12 अगस्त को जारी किया गया। इसके जवाब में मेसर्स एनएमडीसी लिमिटेड किरन्दुल काम्पलेक्स ने पत्र कमांक 57 से दिनांक 13 अगस्त को और मेसर्स एन.एम.डी.सी. लिमिटेड, किरन्दुल काम्पलेक्स ने पत्र क्रमांक Kdl- cplx/G&QC/St.Govt./57, दिनांक 18 अगस्त को अपना जवाब दिया। इसके बाद खनि अधिकारी एवं खनि निरीक्षक दंतेवाड़ा का संयुक्त प्रतिवेदन दिनांक 27 अगस्त को कलेक्टर को दिया।

जिसके आधार पर दिनांक 29 अगस्त को 1620.5 करोड़ रुपए का जुर्माना नोटिस देकर भुगतान के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। आशय साफ है कि मियाद खत्म होने के बाद जिला प्रशासन की ओर से एनएमडीसी द्वारा भुगतान ना किए जाने की स्थिति​ में कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है।

सवाल यह है कि यह बड़ा कदम क्या हो सकता है? क्या भुगतान होने तक बैलाडिला के लौह अयस्क भंडार में खनन की पाबंदी लगाई जा सकती है या परिवहन में बाधा उत्पन्न की जा सकती है? एक और सवाल लोगों के जहन में उठा है कि यह 1620.5 करोड़ जुर्माना की राशि कितने वर्ष के आधार पर आरोपित की गई है?

एनएमडीसी की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कलेक्टर दंतेवाड़ा कार्यालय ने अपने पत्र दिनांक 29.08.2024 के माध्यम से रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन और इस प्रकार विभिन्न खनन कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन के लिए 1620.5 करोड़ रुपये का जुर्माना और मुआवजा लगाने का प्रस्ताव दिया है। यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि वर्तमान मामले में तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किए बिना केवल और बिना देखे जुर्माना और मुआवजे की मांग के लिए लागू नोटिस के माध्यम से मुआवजा और जुर्माना लगाना पूरी तरह से अनुचित है।

इसके बाद दी गई कंडिकाओं में एनएमडीसी ने जिन तथ्यों का उल्लेख किया है क्या इन तथ्यों का उल्लेख 13 और 18 अगस्त के अपने पत्रों में नहीं किया है। क्योंकि इन जवाबी पत्रों के बाद ही जिला प्रशासन ने जुर्माना की नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर भुगतान का आदेश दिया है।

जिन तथ्यों का उल्लेखन एनएमडीसी ने अपने प्रेस जवाब में किया है उसमें कहा गया है ‘यह विशेष रूप से कहा गया है कि जिला प्राधिकरण, दंतेवाड़ा द्वारा कारण बताओ नोटिस में लगाए गए किसी भी परिवहन मात्रा उल्लंघन को निम्नलिखित तथ्यों के साथ सह-संबंधित किया जाना चाहिए -‘

  • 1) एनएमडीसी लिमिटेड भारत सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से वैध खनन पट्टे, अनुमोदित खनन योजना, सीटीओ, सीटीई, पर्यावरण मंजूरी और वन मंजूरी के साथ प्रचालन कर रहा है।
    2) छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन एवं भंडारण) नियम, 2009 के नियम 2, उप नियम 1 (डी) के अनुसार निक्षेपवार, ग्रेडवार और उत्पादवार अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान किरंदुल कॉम्प्लेक्स, एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा खनिज के माध्यम से किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को ऑनलाइन पोर्टल और अग्रिम रॉयल्टी के भुगतान के बाद, ई-परमिट नंबर जेनरेट किए जा रहे हैं।
  • 3) चूंकि एनएमडीसी उपरोक्त उल्लिखित बिंदु क्रमांक 2 के अनुसार अग्रिम रॉयल्टी भुगतान कर रहा है, इसलिए बीआईओएम किरंदुल कॉम्प्लेक्स ने रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन और भंडारण) नियम 2009 का कोई उल्लंघन नहीं किया है।
  • 4) राज्य सरकार रॉयल्टी मूल्यांकन के समय हर छह महीने में इन अभिलेखों का सत्यापन करती है और राज्य सरकार द्वारा अब तक एक भी आपत्ति नहीं उठाई गई है, जिससे जानकारी मिलती है कि बीआईओएम किरंदुल कॉम्प्लेक्स द्वारा कोई उल्लंघन नहीं किया गया है।
    5) तकनीकी रूप से, लौह अयस्क ग्रेड को अंतिम रूप देने में समय लगता है, जिससे रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के निर्माण में 2-3 दिनों की देरी होती है। हालाँकि, इससे राज्य के खजाने को कोई नुकसान नहीं होता है।
    6) एनएमडीसी इस संबंध में जिला कलेक्टर, दंतेवाड़ा को उपयुक्त जवाब प्रस्तुत कर रहा है।

फिलहाल खनिज अधिकारी के प्रतिवदेन समेत अन्य कार्यवाही विवरण को अब तक सार्वजनिक नहीं ​किया गया है। पर यह तय है कि कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने निश्चित तौर पर एनएमडीसी की किसी कमजोर नब्ज पर अपनी उंगली दबा दी है। जिससे एनएमडीसी के लिए पेंच फंस गया है। सूत्रों का दावा है कि जिला प्रशासन ने बीते एक वित्तीय वर्ष 2023—24 के आधार पर जुर्माना अधिरोपित किया है। यदि यह सही है तो एनएमडीसी प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।

बड़ी बात तो यह है कि एनएमडीसी को लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं है। चाहे लाल पानी का मुद्दा हो या प्रभावित क्षेत्रों के विकास का उसमें एनएमडीसी के आंकड़े और जमीनी सच में बड़ा अंतर साफ दिखाई देता है। सीएसआर की गतिविधियां स्पष्ट नहीं है। जन सरोकार के नाम पर एनएमडीसी जिस भी कदम को अपने पक्ष में स्थापित करती दिखाई देती है उसे लेकर आम जनमानस में असंतोष के स्वर समय—समय पर उठते ही रहे हैं।

इम्पेक्ट ने दंतेवाड़ा कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी इस मसले पर चर्चा की वे फिलहाल कुछ भी अतिरिक्त बयान देने से बच रहे हैं। वे चर्चा में साफ कह रहे हैं कि जो आदेश है वही अंतिम है। उसके सिवा अभी कुछ भी अतिरिक्त नहीं है।

एनएमडीसी से 1620 करोड़ रायल्टी वसूली के लिए कलेक्टर दंतेवाड़ा ने दी नोटिस…
कलेक्टर की नोटिस पर NMDC प्रबंधन का जवाब… तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किए बिना केवल और बिना देखे जुर्माना और मुआवजे की मांग…