जिसने दंतेवाड़ा सीट पर पार्टी का खाता खोला, उसके गांव की ही सुध नहीं ले रही भाजपा सरकार…
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दो बार के विधायक दिवंगत भीमा के गांव से विकास कोसों दूर
भीमा के घर तक बनी सड़क की हालत जीर्ण-शीर्ण
17 साल पहले टूटे पुल की हालत अब भी वैसी ही
ग्राउंड रिपोर्ट। शैलेंद्र ठाकुर । दंतेवाड़ा
कद्दावर कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा को हराकर पहली बार दंतेवाड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा का खाता खोलने और 2 बार विधायक बनने वाले दिवंगत उप नेता प्रतिपक्ष व पूर्व विधायक भीमा मंडावी के गांव से विकास कोसों दूर है। जिला मुख्यालय से महज 18 किमी दूर स्थित इस गांव में सड़क के नाम पर पीएमजीएसवाय की वर्षों से अधूरी सड़क को कुछ साल पहले ही पूरा करवाया जा सका है।
इसके अलावा गांव की अंदरूनी सड़कों का बुरा हाल है। यहां तक कि मुख्य मार्ग पर स्थित पंचायत भवन से महज 200 मीटर की दूरी पर नाका पारा में स्व. भीमा मंडावी के पुश्तैनी मकान तक पक्की सड़क भी सरकार नहीं बनवा सकी है। इस कच्चे मकान में दिवंगत पूर्व विधायक के बुजुर्ग माता-पिता और इकलौती बहन निवासरत हैं। विधायक रहते भीमा 9 अप्रैल 2019 को श्यामगिरी में नक्सली हमले में मारे गए थे। दिवंगत पूर्व विधायक के गांव की यह स्थिति तब भी है, जब नई सरकार नियद नेल्ला नार जैसी योजना नक्सल प्रभावित इलाकों में जोर-शोर से चला रही है।
नई सड़क की मांग अनसुनी
विधायक चुने जाने से पहले पंचायत सचिव रहते भीमा मंडावी ने करीब 25 साल पहले नाकापारा में सीसी सड़क का निर्माण करवाया था, लंबा समय बीतने की वजह से सड़क बुरी तरह जर्जर हो गई है। इसकी जगह नई सड़क निर्माण की मांग ग्राम पंचायत के तरफ से हर बार रखी जाती है, लेकिन मंजूरी नहीं मिल रही है।
नक्सलवाद का कोहरा छंटा, लेकिन बदलाव नहीं आया
जब भीमा मंडावी पहली और दूसरी बार विधायक चुने गए, तब उनका गृह ग्राम गदापाल धुर नक्सल प्रभावित संवेदनशील गांवों में शामिल था। वर्ष 2008-09 में चुनाव प्रचार के दौरान गदापाल में ही नक्सलियों ने कांग्रेस नेता त्रिनाथ ठाकुर की हत्या कर दी थी।
इसके बाद इस गांव में मूलभूत सुविधाएं और विकास कार्यों पर लगभग ब्रेक लगा हुआ था। गदापाल को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली पीएमजीएसवाय सड़क भी करीब डेढ़ दशक तक अधूरी रह गई थी, जिसे हाल ही में पूरा किया गया है। अन्य काम जस के तस व अधूरे पड़े हुए हैं।
गदापाल को सूरनार से जोड़ने वाली सड़क पर नाकापारा से पटेलपारा के बीच नाले पर बना पुल वर्ष 2007 में बाढ़ में बह गया था, जिसकी जगह 17 साल बाद भी नया पुल नहीं बना। जिससे बरसात के दिनों में गदापाल के पटेल पारा, देउर पारा समेत कई बस्तियां टापू में तब्दील हो जाती हैं। इसी तरह गदापाल से फूलनार के बीच सड़क निर्माण की मांग वर्षों से लंबित है। दोनों गांवों के बीच सिर्फ 2 किमी की दूरी है, लेकिन सड़क नहीं होने से बाइक तक नहीं जा पाती है। गदापाल सरपंच बोमड़ा राम का कहना है कि ग्राम पंचायत से कई जरूरी सड़कों का प्रस्ताव बनवाकर दे चुके हैं, लेकिन मंजूरी ही नहीं मिलती है।
शो-पीस बनी नलजल की टंकी
गदापाल के नाका पारा में नल जल योजना व अमृत मिशन की टंकी तो बनी हुई है, लेकिन यह भी सिर्फ शो-पीस बनकर रह गई है। वार्ड पंच बोटी राम बताते हैं कि घर-घर पानी नहीं दिया जा रहा है।
जर्जर हो रहे भवन
गदापाल में बने हुए शिक्षक आवास, ट्रांजिट हॉस्टल जैसे भवन रख-रखाव के अभाव में जर्जर हो रहे हैं। सिर्फ पंचायत भवन और उप स्वास्थ्य केंद्र भवन की हालत ही मरम्मत के बाद ठीक है। अन्य अधोसंरचनाओं की स्थिति बेहद खराब है।