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तेंदुपत्ता मुआवजा घोटाले में निलंबित डीएफओ अशोक कुमार पटेल गिरफ्तार…

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

सुकमा वन मंडल में तेंदूपत्ता बोनस घोटाला के मामले में ईओडब्ल्यू ने निलंबित डीएफओ अशोक कुमार पटेल को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार की दोपहर में करेंसी टावर के पास एश्वर्या रेसीडेंसी में एसीबी टीम ने छापा मारा वहां अशोक पटेल भी मौजूद था। पूछताछ के बाद आज गिरफ्तार कर लिया। जिसे गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी एवं ईओडब्ल्यू प्रमुख अमरेश मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है।

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 2021-22 के दौरान तेंदूपत्ता संग्राहकों को वितरित की जाने वाली बोनस राशि में बड़े पैमाने पर गबन का मामला है। इस घोटाले में लगभग 6-7 करोड़ रुपये की राशि का गबन होने का अनुमान है, जो आदिवासी संग्राहकों को बोनस के रूप में दी जानी थी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में व्यापक कार्रवाई की है। नीचे इस घोटाले और संबंधित कार्रवाइयों की विस्तृत जानकारी दी गई है।

घोटाले का विवरण
यह घोटाला 2021-22 के दौरान सुकमा वन मंडल में हुआ, जो छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। तेंदूपत्ता, जो आदिवासी समुदायों के लिए प्रमुख आजीविका स्रोत है, इसके बोनस वितरण में अनियमितताएं सामने आईं।

गबन की राशि: प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, लगभग 6-7 करोड़ रुपये की बोनस राशि का गबन किया गया। यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस के रूप में वितरित की जानी थी, लेकिन इसका दुरुपयोग हुआ।

मुख्य आरोप: वन विभाग के अधिकारियों, तेंदूपत्ता प्रबंधकों, और अन्य कर्मचारियों पर फर्जी दस्तावेजों और गलत तरीके से भुगतान के जरिए राशि हड़पने का आरोप है। इसमें फर्जी खातों और दस्तावेजों के माध्यम से राशि का हस्तांतरण शामिल है।

एसीबी और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई

एसीबी और ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले की जांच के लिए कई चरणों में छापेमारी और कार्रवाई की। नीचे प्रमुख कार्रवाइयों का विवरण है:

1. मार्च 2025 में कार्रवाई
8 मार्च 2025: सुकमा के तत्कालीन वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) अशोक कुमार पटेल के निवास पर एसीबी और ईओडब्ल्यू ने छापा मारा। यह कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति के मामले में की गई थी। जांच में उनकी निशानदेही पर अन्य संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई।

निलंबन: अशोक कुमार पटेल को फरवरी 2025 में राज्य सरकार ने इस घोटाले के आरोपों के आधार पर निलंबित कर दिया था।

2. अप्रैल 2025 में व्यापक छापेमारी
10 अप्रैल 2025: एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीमों ने सुकमा जिले में 12 ठिकानों पर छापेमारी की।
इनमें शामिल थे:
पूर्व विधायक मनीष कुंजाम: सीपीआई नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के सुकमा और रामाराम स्थित निवासों पर छापा मारा गया। जांच में दस्तावेज, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक खातों और निवेश से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए। कुंजाम ने दावा किया कि वे स्वयं इस घोटाले की शिकायत करने वाले थे और कार्रवाई बदले की भावना से की जा रही है।

वन विभाग कर्मचारी राजशेखर पुराणिक: उनके निवास से 26,63,700 रुपये नकद बरामद किए गए।

अन्य तेंदूपत्ता प्रबंधक: लघु वनोपज समिति के प्रबंधकों और वन कर्मचारियों के ठिकानों पर भी जांच की गई।

11 अप्रैल 2025: कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी रही। सुकमा, कोंटा और दोरनापाल में वन विभाग के कर्मचारियों के घरों पर छापे मारे गए। सात स्थानों पर दस्तावेजों की जांच की गई।

जांच का दायरा: एसीबी और ईओडब्ल्यू के डायरेक्टर अमरेश मिश्रा ने बताया कि ‘2021-22 में तेंदूपत्ता बोनस वितरण में गड़बड़ी की शिकायतों के आधार पर दस्तावेजों का विश्लेषण किया जा रहा है। इसमें फर्जी भुगतान और अनियमितताओं की गहन जांच शामिल है।’

3. अन्य जिलों में कार्रवाई
इस घोटाले की जांच का दायरा सुकमा तक सीमित नहीं रहा। रायगढ़, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, और बीजापुर में भी तेंदूपत्ता बोनस घोटाले से संबंधित कार्रवाइयां की गईं।

जब्ती
नकदी और दस्तावेज: राजशेखर पुराणिक के घर से 26.63 लाख रुपये नकद, बैंक खातों के दस्तावेज, और निवेश से संबंधित कागजात जब्त किए गए।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण: मोबाइल और अन्य उपकरणों की जांच की जा रही है ताकि डिजिटल लेनदेन का पता लगाया जा सके।

आय से अधिक संपत्ति: डीएफओ अशोक पटेल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज किया गया, जो इस घोटाले से जुड़ा हो सकता है।

मनीष कुंजाम का दावा: पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि उन्होंने ही इस घोटाले की शिकायत की थी और उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से की जा रही है।

आदिवासी समुदाय पर प्रभाव: तेंदूपत्ता संग्रह आदिवासी समुदायों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है। इस घोटाले ने ग्रामीण आदिवासी संग्राहकों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।

नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में इतनी बड़ी कार्रवाई से स्थानीय स्तर पर हड़कंप मच गया। यह पहली बार था जब इतने बड़े पैमाने पर एसीबी और ईओडब्ल्यू ने एक साथ छापेमारी की।