किसी के हाथ कटे थे, तो किसी के पैर… किसी को बेटी का इंतजार, कोई भाई के लिए परेशान… ओडिशा ट्रेन हादसे के चश्मदीद ने बयां किया वो भयानक मंजर…
इम्पैक्ट डेस्क.
इस दुर्घटना में अपनी जान बचाने में सफल रहे एक यात्री ने उस भयानक मंजर को याद करते हुए बताया कि टक्कर होने से पहले वह सो रहा था। जब ट्रेन पटरी से उतरी तो झटसे से उसकी नींद खुली। उन्होंने बताया कि इसके बाद अचानक 10-15 लोग उनके ऊपर गिरे और वह उनके नीचे दब गए। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं हादसे से पहले सो रहा था। जब बोगी झटके से मुड़ी तो मैं उठा। 10-15 लोग मेरे ऊपर गिरे। हादसे में मेरे हाथ और गर्दन में चोट लग गई।”
जब उनसे पूछा गया कि हादसे में कितने लोगों की मौत हुई होगी तो उन्होंने कहा कि जब वह बोगी से बाहर निकले तो उन्होंने चारों तरफ घायल लोगों को देखा। उनके हाथ-पैर कटे हुए थे। उन्होंने कहा, “किसी का पैर टूट गया था तो किसी का हाथ टूट गया था। किसी का चेहरा बुरी तरह जख्मी हो गया था।”
किसी को बेटी का इंतजार, कोई भाई के लिए परेशान…
हावड़ा जंक्शन पर 60 साल के सपन चौधरी बेताबी से अपनी 23 साल की बेटी ऐशी चौधरी के सलामती के समाचार का इंतजार कर रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सपन ने बताया कि उनकी बेटी कर्नाटक में आईटी इंडस्ट्री में काम करती है। अच्छी बात यह रही कि उनकी बेटी जिंदा है, हालांकि उसे कुछ चोटें लगी हैं। इसी हावड़ा स्टेशन पर शेख मोइनुद्दीन भी थे। वह अपनी बेटी नफीसा परवीन की खबर जानने के लिए पहुंचे हैं। उनकी बेटी कर्नाटक में नर्सिंग का कोर्स कर रही है और छुट्टियों में घर आ रही थी। उनकी बेटी भी उसी ट्रेन में थी, जो पटरी से उतरी है। हालांकि वह पूरी तरह से सही-सलामत है।
हादसे में जिनकी जान बची है, उनमें से एक हैं रिपन दास। वह कर्नाटक में मजदूरी करते हैं। उनके भाई सुजय दास के मुताबिक जब उनकी अपने भाई से बात हुई वह एंबुलेंस में था। रिपन की गर्दन, कमर और पैर में चोटें हैं। बता दें कि शुक्रवार शाम ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में करीब 300 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा 700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हादसे को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत विभिन्न हस्तियों ने दुख जताया है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव मौके पर पहुंच चुके हैं और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है।
चारो तरफ लोगों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी
हादसे के बाद कई परिवार बिखर गए। खून के सैलाब के बीच लोगों की चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी। चारों तरह खून से सने क्षत-विक्षत और अंगविहीन शव ही दिख रहे थे। कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण और भुवनेश्वर से 170 किलोमीटर उत्तर में बालासोर जिले के बहानागा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे यह ट्रेन हादसा हुआ।
अनुभव दास नाम के व्यक्ति ने अपने ट्विटर हैंडल पर हादसे के संबंध में एक थ्रेड शेयर किया है। उन्होंने दावा किया है कि हादसे में दो ट्रेनों के अलावे एक मालगाड़ी भी शामिल थी। इस भयावह हादसे में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के सामान्य श्रेणी के तीन डब्बे भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर पटरी से उतर गए। इसके अलावे कोरोमंडल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे जिनमें सामान्य, स्लीपर, एसी 3 टियर और एसी 2 टीयर के डिब्बे शामिल थे पूरी तरह से डैमेज हो गए। दास ने दावा किया है कि उन्होंने अपनी आंखों से यह भयावह मंजर देखा है जिसमें कम से कम 200 से 250 लोगों की मौत हुई होगी।
बचे यात्री बोले- स्थानीय लोगों को मदद के लिए क्षत-विक्षत अंगों पर चलना पड़ा
स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने लगातार तेज आवाजें सुनीं, जिसके बाद वे घटनास्थल पर पहुंचे और देखा पटरी से डिब्बे उतर गए थे, वहां “स्टील के एक टूटे हुए ढेर” के अलावा कुछ भी नहीं बचा था।बचे यात्रियों ने बताया कि “स्थानीय लोगों को वास्तव में हमारी मदद करने के लिए क्षत-विक्षत अंगों पर चलना पड़ा… उन्होंने न केवल लोगों को बाहर निकालने में मदद की, बल्कि हमारा सामान निकाला और हमें पानी पिलाया।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बरहामपुर के रहने वाले पीयूष पोद्दार काम पर जाने के लिए कोरोमंडल एक्सप्रेस से तमिलनाडु जा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ। उन्होंने कहा, ‘हमें झटका लगा और अचानक हमने देखा कि ट्रेन की बोगी एक तरफ मुड़ रही है। हम में से कई लोगों को ट्रेन के पटरी से उतरने के झटके ने डिब्बे से बाहर फेंक दिया था। जब हम रेंगकर बाहर निकलने में कामयाब रहे, तो हमें चारों ओर शव पड़े मिले।
घायलों की मदद के लिए 2000 से अधिक लोग अस्पताल पहुंचे
घायलों की मदद के लिए बालासोर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रात में 2,000 से अधिक लोग इकट्ठा हुए और कई ने रक्तदान भी किया। मुख्य सचिव जेना ने जरूरत की घड़ी में दुर्घटना पीड़ितों को रक्तदान करने वाले स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘बालासोर में रात भर में पांच सौ यूनिट रक्त एकत्र किया गया। वर्तमान में स्टॉक में नौ सौ इकाइयां हैं। इससे दुर्घटना पीड़ितों के इलाज में मदद मिलेगी। मैं व्यक्तिगत रूप से उन सभी स्वयंसेवकों का ऋणी और आभारी हूं जिन्होंने एक नेक काम के लिए रक्तदान किया है।