धर्म परिवर्तन एक वैश्विक घटनाक्रम है, जिसमें ईसाई और बौद्ध धर्म के अनुयायी सबसे आगे : सर्वे
नई दिल्ली
भारत के लिए धर्म परिवर्तन बहुत बड़े राजनीतिक विवाद का मसला रहा है। लेकिन, हकीकत ये है कि अपना धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाने या किसी भी धर्म को न मानने वाले लोगों के मामले में अमेरिका और यूरोप के देश ज्यादा आगे हैं। तथ्य यह भी है कि जब धर्म परिवर्तन की बात आती है या अपना धर्म छोड़ने की बात आती है तो इसमें ईसाई सबसे आगे हैं। उनके बाद बौद्ध हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन करने में दिलचस्पी दिखाई है। एक बड़ा तथ्य यह भी है कि ऐसा करने वालों में अधिकतर ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपना धर्म तो छोड़ दिया है, लेकिन वह किसी अन्य धर्म से जुड़े भी नहीं। इसके बाद वे लोग हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपना धर्म बदला है, बल्कि नई आस्था भी कबूल की है।
दक्षिण कोरिया में 50% ने छोड़ा अपना धर्म
प्यू रिसर्च सेंटर दुनिया के 36 देशों में सर्वे के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचा है कि अगर दक्षिण कोरिया जैसे देश की आधी आबादी अपना धर्म छोड़ चुकी है, वहीं हिंदू और मुसलमानों की यह विशेषता है कि वह जिस धर्म में पैदा होते हैं, उसे बिरले ही छोड़ते हैं। मतलब, उनकी आस्था अपने धर्म से आमतौर पर हमेशा जुड़ी रहती है। इस सर्वे के अनुसार अपना धर्म बदलने वाले लोगों में एक बड़ा ट्रेंड ये है कि इनमें ज्यादातर जनसंख्या उन लोगों की है, जो किसी दूसरे धर्म को अपनाने की जगह खुद को नास्तिक, अनिश्वरवादी (atheists),अज्ञेयवादी (agnostics) या 'नथिंग इन पर्टिक्युलर'कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। दक्षिण कोरिया के बाद सबसे ज्यादा लोगों ने अपना धर्म स्पेन में बदला है। इस लिस्ट में कुल 15 देशों के नाम हैं, जिसमें भारत 14वें स्थान पर है, जहां मात्र 2% लोग आज उस धर्म का पालन नहीं करते, जिस आस्था में उनका जन्म हुआ था।
अपना धर्म छोड़ने में ईसाई सबसे आगे
हमने ऊपर बात की ईसाई धर्म मानने वालों की, जो सबसे ज्यादा धर्म बदल रहे हैं। यह इस तरह से देखा जा सकता है कि स्पेन में जहां करीब 100 में से 90 लोग ईसाई बनकर पैदा हुए, लेकिन अब उनमें से 54 ही इस धर्म को मानते हैं। यानी कुल 36% क्रिश्चियन अपना धर्म छोड़ चुके हैं। इसमें कुल 10 ईसाई बहुल देशों का जिक्र है, जिसमें दूसरे नंबर पर स्वीडन और आखिर में इटली का नाम है। इटली में भी 20 क्रिश्चियन आज उस धर्म को नहीं मानते, जिसमें उनका जन्म हुआ था। अमेरिका में ऐसे लोगों की संख्या 22% है।
धर्म छोड़ने वालों में ईसाइयों के बाद बौद्ध
हजारों साल पहले भारत में बौद्ध धर्म का रंग फीका पड़ने लगा था। दुनिया भर में ईसाइयों के बाद आज जिस धर्म के लोग अपने मूल धर्म से मुंह फेर रहे हैं तो वे बौद्ध हैं। मसलन, जापान में अगर 58 लोगों ने बौद्ध धर्म में जन्म लिया तो आज उनमें से मात्र 34 ही इस धर्म को मानते हैं। कुल मिलाकर 26% ने अपना मूल धर्म छोड़ दिया है। यह स्थिति दक्षिण कोरिया, सिंगापुर से लेकर श्रीलंका तक में दिखाई दे रही है।
अमेरिका में 23% मुसलमानों ने छोड़ा इस्लाम
जैसा कि पहले बताया गया कि इस सर्वे के अनुसार आज भी हिंदू और मुसलमानों में ऐसे लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो अपने धर्म में ही बने रहना पसंद करते हैं, और अपना धर्म छोड़कर दूसरे को अपनाने वालों की संख्या इनमें सबसे कम है। जैसे बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे मुस्लिम बहुल देशों में एक भी मुसलमान ने इस्लाम नहीं छोड़ा। यही स्थिति ट्यूनिशिया की भी है। भारत में सिर्फ 1% मुसलमान अपना धर्म छोड़कर दूसरे धर्म में शामिल हुए हैं। भारत से ज्यादा तुर्की में मुसलमानों ने इस्लाम छोड़ा है। यहां इस्लाम में पैदा होने वाले 4% लोग अब खुद को मुस्लिम नहीं मानते और इनमें से 1% दूसरा धर्म अपना चुके हैं। सिंगापुर में यह संख्या 3% है, जो अब मुस्लिम नहीं हैं। सबसे ज्यादा मुसलमानों ने अमेरिका में इस्लाम छोड़ा है। यहां अगर 100 लोग इस्लाम में पैदा हुए थे तो अब उनमें से सिर्फ 77 ही इसका पालन करते हैं। यानी 23% ने इस्लाम छोड़ दिया है। 10% ने कोई अन्य धर्म अपना लिया है और 13% किसी भी धर्म का पालन नहीं करते।
अमेरिका में 18% हिंदुओं ने हिंदुत्व छोड़ा
मुसलमान ही नहीं अमेरिका में रहने वाले सबसे ज्यादा हिंदुओं ने भी अपना धर्म छोड़ा है। आज अमेरिका में ऐसे लोगों की संख्या 18% है, जो पैदा तो हिंदू धर्म में हुए थे, लेकिन अब इस धर्म को नहीं मानते। ऐसा करने वाले श्रीलंका में 11% हैं। श्रीलंका में जिन लोगों ने हिंदू धर्म छोड़ा है, उनमें से अधिकांश अब ईसाई बन चुके हैं। लेकिन, अमेरिका में हिंदुत्व छोड़ने वाले अधिकतर आज कोई धर्म नहीं मानते और बाकी ईसाई बन चुके हैं।
दुनिया में 14.4% लोग किसी धर्म को नहीं मानते
इस सर्वे का एक बड़ा नतीजा ये रहा है कि 2022 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में अगर 31.6% ईसाई, 25.8% मुसलमान और 15.1% हिंदू थे तो ऐसे लोगों की तादाद 14.4% हो चुकी थी, जो किसी धर्म से नहीं जुड़े थे। इनके बाद 6.6% बौद्ध,5.4% फोक रिलिजनिस्ट, 0.8% अन्य और 0.2% यहूदी थे।
एक और महत्वपूर्ण बात जो इस सर्वे से सामने आई है, वह यह कि धर्म से मुंह मोड़ने वालों में ज्यादातर युवा हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा तादाद पढ़े-लिखे और पुरुषों की है, जो उस धर्म से निकल रहे हैं, जिसमें वे पैदा हुए थे।