राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं, फिर भी कांग्रेस के नेता क्यों लगाते हैं हाज़िरी?…
राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
बावजूद इसके पार्टी में जिस भी प्रदेश में घमासान मचा होता है, हर पक्ष के नेता राहुल गांधी के दरबार में हाज़िरी लगाने ही आते हैं.
ताज़ा उदाहरण छत्तीसगढ़ का है.
मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव- ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के फ़ॉर्मूले पर अपना झगड़ा सुलझाने के लिए हाज़िरी लगाने पहुँचे.
सूत्रों के हवाले से कई ख़बरें छपी हैं कि आने वाले दिनों में वहाँ मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना है. दोनों ही पक्षों ने राहुल से अपने मन की बात की.
छत्तीसगढ़ के मामले में जैसे-तैसे मरहम पट्टी कर, घाव थोड़ा भरता दिख रहा था कि पंजाब में एक बार फिर से कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के झगड़े में नया मोड़ आ गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ 30 से ज़्यादा विधायकों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलते हुए, उन्हें पद से हटाने की माँग की है.
तकरीबन एक महीना पहले ही नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था और उनके साथ चार और वर्किंग प्रेसिडेंट बनाए गए थे. इसके बाद लग रहा था कि पंजाब कांग्रेस में कलह को दूर कर लिया गया है.
माना ये भी जा रहा था कि पंजाब फ़ॉर्मूले की तर्ज़ पर ही राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच चल रही रस्साकशी का भी समाधान निकाल लिया जाएगा.
लेकिन पंजाब तो सुलटा नहीं, राजस्थान में झगड़ा जस का तस बना हुआ है और छत्तीसगढ़ में म्यान से तलवारें निकल चुकी हैं. जी-23 के मुद्दे भी वहीं के वहीं बने हुए हैं.
ऐसे में जब पार्टी में पूर्णकालीक अध्यक्ष की कुर्सी ख़ाली है, तब राहुल गांधी के दरबार में नेताओं की हाज़िरी क्यों लग रही है?
वास्तविक अध्यक्ष
वरिष्ठ पत्रकार अपर्णा द्विवेदी कहती हैं, राहुल गांधी अध्यक्ष न होते हुए भी ख़ुद को उसी रोल में देख रहे है, बाक़ी कांग्रेस के नेता भी उनको अध्यक्ष के रोल में ही देखते हैं, सोनिया ख़ुद उन्हें इस रोल में देखती है. बस राहुल इस रोल को आधिकारिक तौर पर लेना नहीं चाहते.
अध्यक्ष पद की आधिकारिक ज़िम्मेदारी राहुल के नहीं लेने की वजहों पर अपर्णा कहती हैं, “राहुल गांधी का अब तक का रिकॉर्ड जीत से भरा नहीं है. दूसरी वजह ये है कि वो अपनी नई टीम के साथ अध्यक्ष बनना चाहते हैं, जिसका मौक़ा उन्हें नहीं मिला. नई टीम में एक अड़चन सोनिया गांधी भी हैं, जो अनुभव को ज़्यादा महत्व देती हैं. इसलिए सोनिया गांधी पुराने लोगों को साथ लेकर चलने की पक्षधर मानी जाती है.”
कांग्रेस कवर करने वाले ज़्यादातर पत्रकार मानते हैं कि सोनिया गांधी की तबियत ठीक नहीं रहती है, प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में व्यस्त हैं और वे वहाँ पहले कुछ हासिल करना चाहती हैं, ऐसे में गांधी परिवार के पास राहुल गांधी के अलावा पार्टी में और कोई बचा नहीं, जो अंदरूनी मसले सुलझा सके.