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राबिया कश्मीर की पहली महिला ट्रक ड्राइवर बनीं… जज्बा, मेहनत और बुलंद इरादों से लिखी नई इबारत!

पुलवामा

कश्मीर की हसीन वादियों में जहां कभी महिलाओं को सिर्फ घरेलू दायरे तक सीमित माना जाता था, वहां अब बदलाव की बयार चल पड़ी है. महिलाएं अब हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं. रूढ़ियों को तोड़ रही हैं और यह साबित कर रही हैं कि अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं. इसी कड़ी में राबिया यासीन का नाम एक नई मिसाल बनकर उभरा है. वह कश्मीर की पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं, जो न केवल समाज की पुरानी सोच को चुनौती दे रही हैं, बल्कि उन महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं, जो अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखती हैं.

राबिया की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसी लगती है. पुलवामा के वखेरवान इलाके की रहने वाली राबिया की शादी छह साल पहले इम्तियाज अहमद मीर से हुई थी, जो पेशे से एक ट्रक ड्राइवर हैं. शादी के बाद राबिया ने सोचा भी नहीं था कि वह कभी ट्रक चलाने के बारे में सोचेंगी, लेकिन कहते हैं ना कि जिंदगी हमें वहीं ले जाती है, जहां हमारी असली पहचान छिपी होती है.

शादी के शुरुआती दिनों में वह अपने पति के साथ ट्रक में सफर किया करती थीं. लंबी यात्राओं के दौरान वह हाइवे पर उड़ती धूल, बड़ी-बड़ी गाड़ियों के बीच अपने पति को ट्रक चलाते हुए देखतीं और हर मोड़ पर एक नया अनुभव लेतीं.

धीरे-धीरे उनके अंदर भी इस काम के लिए रुचि जागने लगी. एक दिन उन्होंने अपने पति से कहा कि क्यों न मैं भी ट्रक चलाना सीखूं? इम्तियाज पहले तो चौंक गए, लेकिन फिर उन्होंने राबिया का हौसला देखकर उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू किया. शुरू में राबिया को भारी ट्रक संभालना मुश्किल लगा, लेकिन जब इरादे मजबूत हों, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं लगती.

पहला ट्रक ड्राइव किया, और बदल गई जिंदगी!

लगभग एक साल तक कड़ी मेहनत और अभ्यास के बाद राबिया ने आखिरकार ट्रक की स्टेयरिंग को मजबूती से पकड़ लिया. जब उन्होंने पहली बार खुद से हाइवे पर ट्रक चलाया तो उनके अंदर आत्मविश्वास जागा. उन्हें महसूस हुआ कि वह सिर्फ ट्रक नहीं चला रहीं, बल्कि समाज की सोच बदलने की दिशा में एक नया कदम बढ़ा रही हैं. अब वह अपने पति के साथ मिलकर पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों में ट्रक चलाती हैं. दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, न जाने कितनी सड़कों को उन्होंने ट्रक के पहियों से मापा है.

'पहले लोग तंज कसते थे, अब वही प्रेरित होते हैं'

राबिया कहती हैं कि पहले लोग तंज कसते थे, लेकिन अब वही लोग मुझे देखकर प्रेरित होते हैं. जब मैं हाइवे पर ट्रक लेकर निकलती हूं तो कई महिलाएं मुझसे आकर पूछती हैं कि क्या वे भी ऐसा कर सकती हैं? और मेरा जवाब हमेशा एक ही होता है- बिल्कुल कर सकती हैं! राबिया ने सोशल मीडिया पर भी अपनी एक खास पहचान बना ली है. 'Rabia Vlogs 786' नाम के अपने यूट्यूब चैनल पर वह अपने सफर, अपनी चुनौतियों और अपनी सफलता की कहानियां शेयर करती हैं. उनकी हर वीडियो पर हजारों लोग उनकी सराहना करते हैं और हौसला बढ़ाते हैं.

राबिया के लिए परिवार बना सबसे बड़ी ताकत

जहां एक ओर समाज में कई लोगों ने राबिया की आलोचना की, वहीं उनके परिवार ने उनका पूरा समर्थन किया. खासकर उनके पति और ससुराल वालों ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया. राबिया का मानना है कि महिलाएं सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं, वे हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती हैं, बस उन्हें मौका मिलना चाहिए.

रबिया का संदेश- हर लड़की के सपने की उड़ान जरूरी है

आज राबिया ना सिर्फ कश्मीर, बल्कि पूरे देश की उन लड़कियों के लिए मिसाल बन गई हैं, जो किसी न किसी वजह से अपने सपनों को अधूरा छोड़ देती हैं. उनका कहना है कि अब वो वक्त चला गया, जब कश्मीर की लड़कियों को सिर्फ घर तक सीमित रखा जाता था. आज महिलाएं हर फील्ड में आगे बढ़ रही हैं और मैं चाहती हूं कि हर लड़की अपने सपनों की उड़ान भरने से ना डरे. राबिया यासीन का सफर बताता है कि अगर जुनून और हिम्मत हो, तो कोई भी मुश्किल आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती.