स्कूल शिक्षा विभाग में प्रमोशन पदस्थापना पेंडिंग… समीक्षा बैठक हुई पर प्रमोशन पर फैसला नहीं… पूरा सिस्टम कोलेप्स
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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
छत्तीसगढ़ में करीब पांच लाख शासकीय अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं इसमें से आधा यानी करीब ढाई लाख अकेल शिक्षा विभाग के अधीन हैं। यानी स्थापना व्यय का करीब आधा हिस्सा केवल स्कूल शिक्षा विभाग के खाते में जाता है।
ऐसे में इस विभाग में होने वाली हर हलचल पर पूरे प्रदेश की निगाह लगी रहती है। यदि जमीन पर देखा जाए तो वर्षों से प्रमोशन और पोस्टिंग के अटके होने के कारण स्कूल शिक्षा विभाग में सिस्टम करीब—करीब कोलेप्स होने की कगार पर है।
इस विभाग के साथ—साथ चलने वाली अन्य शाखाओं में यानी समग्र शिक्षा और पाठ्य पुस्तक निगम को जोड़ दें तो यह विभाग सबसे ज्यादा बजट वाला विभाग भी है। इसमें केंद्र से मिलने वाली राशि, राज्य बजट से प्राप्त राशि और तमाम व्यवस्थाओं के संचालन के लिए आने वाली राशि के हिसाब से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में शिक्षा को लेकर किस तरह की व्यवस्था कायम होनी चाहिए।
पूर्ववर्ती सरकार के दौरान पहले शिक्षा मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम रहे फिर विधानसभा चुनाव से चार माह पहले मुख्यमंत्री ने उनसे त्यागपत्र ले लिया। इसके बाद शिक्षा विभाग वरिष्ठ और अनुभवी रविंद्र चौबे के नियंत्रण में रहा।
प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए व्यवस्था को व्याख्याता से शुरू करते हुए अपर संचालक तक पहुंचा जाए या कोई दूसरा तरीका अपनाया जाए यह तय करने में ही दिक्कत है। दरअसल प्रदेश में व्याख्याताओं की संख्या के अनुपात में प्राचार्य के पद करीब चार हजार रिक्त हैं।
वहीं करीब पांच सौ नियमित प्राचार्य कार्यरत हैं उनमे से 33 डीईओ, 22 डाइट प्राचार्य, पांच संयुक्त संचालक दफ्तर में उप संचालक, डीपीआई में उप संचालक एवं बीईओ के 146 पदों में से कुछ को छोड़ दें तो सभी जगह प्रभारी ही पदस्थ हैं इनकी पदस्थापना प्रमोशन के बाद की जा सकती है।
गौरतलब है 2019 में प्राचार्यों का प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए थी। यदि पूर्ववर्ती सरकार ने समयबद्ध तरीके से निर्णय लिया होता तो आज शिक्षा विभाग की हालत ऐसी नहीं होती।
इसके बाद 2023 में एक बार फिर भाजपा सरकार काबिज हुई। शिक्षा मंत्री कद्दावर भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल बनाए गए। महज एक बरस के भीतर लोकसभा चुनाव में सांसद निर्वाचित होने के बाद बृजमोहन अग्रवाल की जगह फिर से मुख्यमंत्री के पास यह विभाग चला गया है।
इस वक्त छत्तीसगढ़ मंत्रीमंडल में तीन मंत्रियों की जगह रिक्त है। ऐसे में जब तक शिक्षामंत्री नियुक्त नहीं होते हैं तो इसके सारे फैसले मुख्यमंत्री के द्वारा ही लिए जाएंगे। शिक्षा से जुड़ा यह विभाग सीधे जनता के सरोकारों से जुड़ा है इस विभाग में इस वक्त सबसे बड़ी समस्या पेंडिंग प्रमोशन के चलते प्रभार के साये में चल रही व्यवस्था को दुरुस्त करने की भी है।
यदि इसके सेटअप को ही देखें तो छत्तीसगढ़ में करीब साढ़े चार हजार प्राचार्य के पद हैं जिनमें करीब चार हजार प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कमोबेश यही हाल जिला शिक्षा अधिकारी का भी है। इसके बाद पांच संभागों में से केवल एक में ही पूर्णकालिक संयुक्त संचालक जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
पूर्णाकालिक जेडी रहे योगेश शिवहरे डीपीआई में प्रभार अपर संचालक के तौर पर कार्यरत थे उन्होंने वीआरएस ले लिया है।
यदि सेटअप से समझें तो शिक्षा विभाग में संचालक आईएएस होते हैं। इसके बाद एक और संचालक होते हैं जो अकादमिक होते हैं। इसके बाद अतिरिक्त संचालक के पद पर कार्यरत अधिकारी के अधीन प्रशासनिक व्यवस्था रहती है।
इसके बाद संयुक्त संचालक और उप संचालक फिर जिला शिक्षा अधिकारी। इस तरह से फिलहाल संयुक्त संचालक, उप संचालक की जिम्मेदारी रहती है। ये सारे पद प्राचार्य से ही प्रमोशन के आधार पर क्रमश: बढ़ते जाते हैं।
यानी पूरी व्यवस्था प्राचार्यों के प्रमोशन के आधार पर ही तय होना है। अब बड़ी बात यही है कि जब प्रदेश में प्राचार्यों के पद ही रिक्त हैं ऐसे में सबसे पहले व्याख्याताओं से प्राचार्य का प्रमोशन प्रक्रिया पूरी करना आवश्यक होगा। इसके बाद प्राचार्य से उपर के सारे पदों के लिए पदस्थापना की जा सकेगी।
पूर्व में शिक्षामंत्री रहते बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में प्राचार्यों के प्रमोशन की प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी करने की घोषणा की थी तब विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह ने कहा था ‘आप बहुत ही सक्षम और अनुभवी हैं यदि आप चाहें तो छह माह में हो जाएगा?’ पर यह प्रक्रिया अब तक अटकी हुई है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बीते 30 जनवरी को मंत्रालय में स्कूल शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय बैठक ली। इस बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, सिकरेट्री टू सीएम मुकेश बंसल, पी दयानंद, बसव राजू, स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, डीपीआई दिव्या मिश्रा समेत स्कूल शिक्षा विभाग के सीनियर अफसर मौजूद थे।
स्कूल शिक्षा की स्थिति को सुधारने के लिए राज्य में पहली बार ऐसी बैठक हुई, जिसमें सारे सीनियर अफसर मौजूद थे। बैठक में मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि स्कूल शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए सुधार के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जाए।
मुख्यमंत्री ने अफसरों से सुझाव भी मांगे कि बुनियादी शिक्षा में और क्या बदलाव किया जाए? ताकि छत्तीसगढ़ का रिजल्ट अच्छा हो और राज्य का मानव संसाधन मजबूत हो। पर इस बैठक में प्राचार्यों के पद के लिए व्याख्याताओं के प्रमोशन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।
नई ट्रांसफर नीति
बैठक में स्कूलों में शिक्षकों की कमी और उनके ट्रांसफर के आवेदनों पर विस्तार से चर्चा की गई। अफसरों ने बताया कि शहरी क्षेत्र के शिक्षक अपने स्कूल को छोड़़ना नहीं चाहते और ग्रामीण इलाकों के शिक्षक वहां से निकल नहीं पाते। क्योंकि, राज्य में शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए कोई नीति नहीं है।
बैठक में तय किया गया कि छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के लिए नई ट्रांसफर नीति बनाई जाए, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने के पश्चात् ही शहरी क्षेत्र में स्थानांतरण किये जाने का समावेश हो।
पोर्टल में ट्रांसफर आवेदन
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा गया कि छत्तीसगढ़ में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा निर्मित एचआरएमआईएस पोर्टल में शिक्षकों की समस्त प्रकार की जानकारियों को अद्यतन किया जाए। इसी पोर्टल में शिक्षकों के स्थानांतरण का प्रावधान करने हेतु निर्देशित किया गया।
याने शिक्षक अब नेताओं या मंत्रियों से ट्रांसफर के लिए आवेदन फारवर्ड कराएंगे, तो कार्रवाई होगी। उन्हें पोर्टल में ही अपना आवेदन डालना होगा। हर तीन महीने में स्कूल शिक्षा की एक समिति इस पर विचार करेगी।
85 एकलव्य विद्यालय मर्ज किए जाएंगे
आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के द्वारा संचालित 85 एकलव्य स्कूलों को भी अन्य स्कूलों की तरह स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन करने की कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। इस हेतु भारत सरकार से पत्राचार किया जावे।
30 फीसदी से कम रिजल्ट पर कार्रवाई
सभी शासकीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए विशेष प्रयास किये जाए तथा जिला एवं विकासखण्ड स्तर हेतु कार्ययोजना बनाई जाए। यदि शासकीय स्कूलों का परीक्षा परिणाम 30 प्रतिशत से कम आता है, तो संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों/विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों/संस्था प्रमुखों/शिक्षकों की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुये उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए। विशिष्ट परीक्षा परिणाम देने वाले संस्था प्रमुखों/शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाए।
शराबी और अनुशासनहीनता बरतने वाले शिक्षकों को रिटायरमेंट
बैठक में शराब पीकर स्कूल आने वाले शिक्षकों से स्कूल शिक्षा विभाग की छबि खराब होने पर भी चर्चा की गई। अफसरों का कहा गया कि स्कूलों में मद्यपान करके आने वाले शिक्षकों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए। इसके लिए संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी/विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया जाये।
मद्यपान करके आने वाले शिक्षकों, लंबी अनुपस्थिति वाले शिक्षकों एवं जिन शासकीय सेवकों का कार्य संतोषप्रद नहीं है, उन्हें शासन के नियमानुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्यवाही की जाये।
बोर्ड परीक्षा के बाद युक्तियुक्तकरण
बोर्ड परीक्षा के पश्चात् युक्तियुक्तकरण के संबंध में कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये। उक्त युक्तियुक्तकरण में परिसर में संचालित ऐतिहासिक पुराने स्कूल को रखते हुये नये स्कूल को मर्ज करने के निर्देश दिये गये।
अब बालक, बालिका स्कूल अलग नहीं
बैठक में तय किया गया कि सभी विद्यालयों को बालक एवं बालिका के लिए समान रूप से संचालित किया जाए। पृथक से बालिका विद्यालय प्रारंभ करने की अनुमति ना दी जाए।
1. शिक्षा के क्षेत्र में अन्य राज्यों में कुछ अच्छा काम हो रहा है, तो उसका अध्ययन कर राज्य में भी परिस्थिति के अनुरूप लागू करने की कार्यवाही की जावे।
2. शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े इलाकों में विशेष ध्यान दिया जाए।
3. डीएवी स्कूलों के संबंध में राज्य स्तरीय बैठक आयोजित किया जाए। अपार आईडी में पालकों का मोबाईल नंबर अपडेट कराया जाए।
4. स्कूल शिक्षा विभाग के लिये स्थानांतरण नीति बनाई जाये, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने के पश्चात् ही शहरी क्षेत्र में स्थानांतरण किये जाने का समावेश हो।