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कुर्रेगुटा की पहाड़ी पर आपरेशन जारी… आज पांचवां दिन… सबसे बड़ा सवाल क्या कहीं माओवादियों का कोई भ्रमजाल तो नहीं ​पहाड़ी पर टॉप लीडर की मौजूदगी?

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर/बीजापुर।

कुर्रेगुटा पहाड़ी के इलाके में अभी भी माओवादियों के खिलाफ सबसे बड़ा आपरेशन चल रहा है। यह क्षेत्र करीब 250 से 280 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। इस पहाड़ी का इलाका पूरी तरह से पहाड़ियों और अन्य प्राकृतिक चीजों से घिरा हुआ है। यहां पर लगभग 55 किलोमीटर तक का क्षेत्र उस पहाड़ी के तटीय क्षेत्र में जुड़ा हुआ है। यह पहाड़ पहले 200 मीटर, उसके बाद तीन सौ मीटर फिर 500—600 मीटर तक सीधे चढ़ाव वाला है।

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इसमें अब तक सुरक्षा बल के जवानों की कहां तक पहुंच हो पाई है यह स्पष्ट नहीं है। पूरा इलाका घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस पूरे इलाके को फोर्स ने बीते पांच दिनों से घेर ​रखा है। यदि माओवादी नेता यहां से भागने की कोशिश भी करेंगे तो वे सफल नहीं हो सकते। चौपर, द्रोण से भी इसकी लगातार निगरानी की जा रही है। एक बड़ी बात यह भी सामने आई है कि इस वक्त इस इलाके से किसी भी तरह का एक्टिव डिवाइस सिग्नल नहीं मिला है। इससे यह भी माना जा रहा है कि लगातार मुठभेड़ों में मात खाने के बाद नक्सल संगठन ने ऐसे डिवाइस का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया है।

हमारे साथी पी रंजन दास ने बताया कि ग्रामीणों से चर्चा में इस बात के संकेत मिले हैं कि इस पहाड़ी पर पहले भी चढ़ना आसान नहीं रहा। पर जिन लोगों ने वहां देखा है वहां पर तीन—चार गांव जैसी बसाहट भी थी। इस वक्त वहां कौन रहता है कोई नहीं जानता। हेलिकाप्टर और द्रोण से पूरे इलाके पर लगातार नज़र रखी जा रही है।

अब तक माओवादियों की ओर से फायरिंग की सूचना नहीं है। संभव है वे अपना असलहा सु​रक्षित कर यहां कहीं सुरक्षित ठिकाने में छिपे हों। एक आईईडी ब्लास्ट की सूचना भी आई है। जिसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

दक्षिण पश्चिम बस्तर जिला बीजापुर के मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर बासागुड़ा से आगे तेलंगाना की सीमा से सटा है पुजारी कांकेर। पुजारी कांकेर में इस वक्त माओवादियों के खिलाफ आपरेशन के लिए सुरक्षा बलों का कैंप बनाया गया है। यहां तक मीडिया को भी जाने की इजाजत नहीं दी गई है। इससे पहले गलगम आता है यह भी इसी पहाड़ी इलाके का एक प्रकार से तटीय क्षेत्र है। यहां तक मीडिया की पहुंच है। इसके आगे कोई नहीं पहुंच सका है।

इस पहाड़ी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि इसे जमीन से पैदल चलने वाली जमीन से होते हुए सुरक्षा बलों द्वारा पूरी तरह से घेर लिया गया है। इसके अलावा वर्तमान में बस्तर के सभी इलाकों में किसी भी अतिरिक्त एंटी नक्सल ऑपरेशन की कोई सूचना नहीं आई है, और कैंप से बड़ी संख्या में फोर्स को मूव किया गया है। इससे यह संभावना बनती है कि कहीं नक्सलियों ने भ्रम फैलाने की कोशिश ना की हो कि पहाड़ पर उनके बड़े लीडर्स मौजूद हैं।

पुलिस की ओर से एक भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, हालांकि पहले तीन नक्सलियों के मारे जाने की खबर आई थी जिसमें बड़ी मात्रा में गोले-बारूद और असलहा बरामद होने की बात कही गई थी। पी सुंदरराज ने जो आधिकारिक बयान जारी किया था, उसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि तीन नक्सली मारे गए हैं, जिनमें तीनों महिला नक्सली शामिल थीं। इनकी तस्वीरें भी अब तक जारी नहीं की गई है।

इस समय जिस इलाके में फोर्स की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई चल रही है वहां का तापमान 44-45 डिग्री सेल्सियस बना हुआ है, जिससे जवानों को पीने के पानी और खाने की व्यवस्था करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। बीच—बीच में दूर से फायरिंग की आवाजें सुनाई दे रही हैं, इस बात की संभावना जताई जा रही है कि जवानों के लिए खाने—पानी का इंतजाम करने के लिए हेलिकॉप्टर नीचे की ओर मुव करते समय कवर फायरिंग की जा रही हो।

दोरनापाल से हमारे साथ राजा राठौर ने चर्चा में बताया कि उनकी इस अभियान से जुड़े एक अधिकारी से चर्चा हुई थी। जिसमें उन्होंने इस बात की संभावना जताई कि आज देर शाम तक बड़ी सफलता हासिल हो सकती है। हांलाकि इस स्थिति को लेकर लोगों में चर्चा है कि आने वाले 24 घंटों में कोई बड़ा परिणाम सामने आ सकता है।

दूसरा पहलू जो चर्चा का विषय बना हुआ है वह यह है कि पूरे घटनाक्रम को देखें तो यह भी आशंका है कि नक्सलियों ने इस पहाड़ी पर अपनी मौजूदगी का भ्रम फैलाया हो। ताकि वे पूरी फोर्स को एक ही जगह केंद्रित होने के बाद अपने आपको सुरक्षित तरीके से निकाल सकें। क्योंकि ऐसा कभी नहीं हुआ है जब किसी इलाके में फोर्स की कार्रवाई चल रही हो तो माओवादी संगठन की ओर से शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया जाए। उत्तर पश्चिम सब जोनल कमेटी के प्रभारी रुपेश के शांति वार्ता के पत्र के बाद एक नई बहस छिड़ी हुई है।

नक्सल मामलों के जानकार इस बात का संदेह जता रहे हैं कि इस अभियान के चलते बस्तर के शेष हिस्सों में माओवादियों के खिलाफ चल रहे आपरेशन जिस तरह से प्रभावित हो रहे हैं उससे माओवादी संगठन को बचने के लिए राह तलाशने में आसानी हो सकती है। संभव है कि वे कुर्रेगुटा पहाड़ी को केंद्र बनाकर प्रचार सुनियोजित तरीके से पूरी फोर्स को एंगज कर दिया है। अब जब तक पहाड़ पर फोर्स का कब्जा ना हो जाए तब तक कार्रवाई चलती रहेगी।

इस पहाड़ में असल में माओवादियों का ठिकाना है या नहीं कोई नहीं जानता पर लगातार यह अनुमान ही लगाया जा रहा है कि टाप कमांडर हिडमा और दामोदर यहां मोर्चा संभाल रहे होंगे? केवल इसी संभावना पर पूरी फोर्स को एक साथ लगा दिया गया है। दरअसल इस समय बस्तर में सुरक्षा बल जबर्दस्त कार्रवाई कर रहे हैं और नक्सलियों पर काफी दबाव बना हुआ है। माओवादी संगठन के प्रभारी इस बात को बस्तर टाकिज के रानू तिवारी के साथ हुए हालिया साक्षात्कार में स्वीकार भी कर चुके हैं कि ‘माओवादी संगठन इस वक्त बैकफुट पर है।’