सिर्फ तबलिगी ही नहीं लाखों विदेशी सैलानी भी देश के लिए चुनौती…
कोरोना संक्रमण : भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की जनवरी 2020 की रिपोर्ट से अनुमान लग सकता है लॉकडाउन से पहले कितने विदेशी पहुंचे होंगे… अब विदेश नीति, वीजा नीति, पर्यटन उद्योग और रोजगार जैसे मसलों के लिए आने वाले दौर में बड़ी चुनौती…
सुरेश महापात्र।
पूरी दुनिया में टूरिस्ट वीजा पर जिस तरह भारतीय काम करते रहे हैं उसी तरह टूरिस्ट वीजा पर तबलिगी जमात से कोरोना भी पहुंचा। यदि आपके मन में यह सवाल उठ रहा हो कि यदि दुनिया के देशों में कोरोना का संक्रमण था और उसके बावजूद वे देश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्र होकर घूमते रहे और संक्रमण के लिए कारक बनते रहे। तो यह पूरा सच नहीं है। बल्कि यह जानना जरूरी है कि हिंदुस्तान की विदेश नीति, वीजा नीति, पर्यटन उद्योग और इससे जुड़ी हकीकत कोरोना संक्रमण के विस्तार के लिए कितने जिम्मेदार हैं।
शायद आपको इस तथ्य की जानकारी ही ना हो कि हिंदुस्तान में हर वर्ष दिसंबर से मार्च तक लगभग 40 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं।
यहां बहुत से विदेशी पर्यटक वीजा लेकर पहुंचते हैं पर वे कई तरह से आर्थिक उपार्जन के कामों में संलग्न भी रहते हैं।
यानि विदेश से आकर धार्मिक प्रचार कार्यक्रम तबलिगी जमात में शामिल होने वाला वर्ग अकेला नहीं है। बल्कि ऐसे हजारों विदेशी यहां कोरोना के वैश्विक प्रभाव के बाद आए भी हैं और लोगों से मिलते भी रहे हैं। अब देश के सामने कोरोना के संक्रमण को लेकर सबसे बड़ी यही चिंता बनी हुई है।
क्योंकि लॉक डाउन की अवधि में कमोबेश सभी राज्यों में विदेश से लौटे स्वदेशी लोगों की जांच का काम करीब—करीब पूरा हो चुका है। लगभग सभी राज्यों में ऐसे चिन्हित लोगों को क्वैंरनटाइन भी कर दिया गया है। उनके संपर्क में आने वाले करीब—करीब सभी लोगों की जांच की जा चुकी है। कोराना संक्रमित लोगों को भर्ती कर उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है।
अब निगाहे केवल तबलिगी जमात से जुड़े लोगों और उसके संक्रमण के दायरे पर आकर नहीं टिकी हैं। बल्कि उन सभी लोगों की तलाश है जो फरवरी से 25 मार्च के बीच पर्यटक वीजा लेकर आए, घूमे और लौटे अथवा ठहरे हुए हैं। भारत के पर्यटन मंत्रालय की जनवरी 2020 की रिपोर्ट देखेंगे तो करीब 18 से 20 लाख विदेशी पर्यटक यहां पहुंचे होंगे यह आशंका स्पष्ट है।
हम यह सोच रहे हैं कि नई दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में निर्मित मरकज में ठहरे तबलिगी जमात ने कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ा दिया है। यदि साउदी अरब समेत दुनिया के कई देशों में जब कोरोना का संक्रमण फैल चुका था तो तबलिगी जमात के लोग नई दिल्ली के इस मरकज में कैसे डेरा लगाए रख सके थे?
इस सवाल का जवाब ढूंढने पर भारत की अंतरराष्ट्रीय कमजोरी का भी खुलासा होता है जिसके कारण सीधे तौर पर भारत सरकार भी कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकती थी। पूरी दुनिया में सभी देशों की कमोबेश यही सबसे बड़ी समस्या है जो कोरोना के संक्रमण का सबसे बड़ा कारण भी बनी।
तबलिगी जमात का मसला आने से पहले तक यह लगने लगा था कि हिंदुस्तान में कोरोना का संक्रमण काफी हद तक संभाला जा सकता था। यकायक दिल्ली में संक्रमित जमात की सूचना आने के बाद पूरे देश में हलचल मच गया। बड़ी बात यह है कि दिल्ली में आयोजित इस धार्मिक कार्यक्रम के बाद पूरे देश के विभिन्न हिस्सों से आए उनके प्रतिनिधि लौट चुके थे। जिनमें निश्चित तौर पर संक्रमण का फैलाव हो चुका था।
करीब एक सप्ताह बीत चुके हैं पर देश के कमोबेश सभी राज्यों में तबलिगी जमात से जुड़े लोगों के संक्रमण को लेकर खबरें बाहर आ ही रही हैं। यही सरकार की सबसे बड़ी चिंता है। यदि यह संक्रमण सामुदायिक लेबल यानी लेबल 3 में इनके माध्यम से पहुंच गया तो इसके अंजाम बेहद घातक होंगे।
अब यह समझना जरूरी है कि जब मरकज में लगातार ऐसे धार्मिक कार्यक्रम होते हैं तो सरकार ने जांच में कोताही कैसे बरती? इसका जवाब सहज है मरकज में तबलिगी जमात के लिए आने वाले धार्मिक प्रचारक भी टूरिस्ट वीजा का ही सहारा लेते हैं। जिससे यह पता करना कठिन है कि वह कहां और क्या कर रहा है। इसके लिए हर एक विदेशी मेहमान पर निगरानी रखना होगा। जो कि असंभव है और अंतरराष्ट्रीय स्थिति में विदेश नीति के साथ जुड़ा हुआ भी है।
बताया जा रहा है कि करीब 8 बरस पहले भी इस मसले को लेकर काफी मंथन हुआ था। जिसमें विशेषकर तबलिगी समुदाय को लेकर चर्चा की गई थी। जिसमें करीब—करीब यह फैसला हो चुका था कि इन्हें नियंत्रित व निश्चित आवाजाही की व्यवस्था के साथ वीजा दिया जाए। क्योंकि करीब—करीब सारे ऐसे लोग टूरिस्ट वीजा पर आने के बाद देश के सभी हिस्सों में घूमकर धर्म का प्रचार करते हैं।
इसी तरह से देश के विभिन्न मसाज पार्लरों में भी जो लड़कियां विदेश से आकर काम करती हैं वे भी टूरिस्ट वीजा के माध्यम से ही यहां आती हैं और आर्थिक उपार्जन कर स्वदेश लौट जाती हैं। जबकि टूरिस्ट वीजा के तहत आने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को काम करके अर्थोपार्जन का अधिकार ही नहीं है।
पर एक तरह से हिंदुस्तान से भी दुनियाभर में जाने वाले अधिकतर नागरिक टूरिस्ट वीजा पर ही कई देशों में जाकर काम करके आय अर्जित कर रहे हैं। यदि हिंदुस्तान इस मामले को लेकर अपना कड़ा रूख अपनाता है तो उसे भी अपने लोगों को ऐसा करने से रोकना होगा। जो कि बेहद कठिन है।
भारत में पर्यटन देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है और तेजी से बढ़ रहा है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज़्म काउंसिल ने गणना की थी कि पर्यटन के द्वारा भारत ने 2018 में 16.91 लाख करोड़ (240 बिलियन डॉलर) अर्जित किया। जिसका कुल भारत की जीडीपी में करीब 9.2% का हिस्सा रहा।
इसके माध्यम से 42.673 मिलियन लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। इसका हिंदुस्तान के कुल रोजगार में करीब 8.1% का योगदान रहा। हिंदुस्तान में पर्यटन से आय व रोजगार की वार्षिक विकास दर प्रतिवर्ष करीब 6.9 प्रतिशत के औसत से बढ़ोतरी का अनुमान किया गया है। जिससे पर्यटन क्षेत्र में वर्ष 2028 तक 32.05 लाख करोड़ यानी करीब 450 बिलियन डॉलर बढ़ने की भविष्यवाणी की गई है।
अक्टूबर 2015 में भारत के चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र का अनुमान 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। इसके 2020 तक 7–8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान किया गया था। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में ही करीब 184,298 विदेशी मरीजों ने चिकित्सा उपचार लेने के लिए भारत की यात्रा की।
2017 में 10 मिलियन विदेशी पर्यटक भारत आए जो कि वर्ष 2016 में 8.89 मिलियन था। इसमें करीब 15.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटिटिवनेस रिपोर्ट 2019 ने भारत को कुल 140 देशों में से 34 वां स्थान दिया है। 2017 की रिपोर्ट में भारत ने 6 स्थानों पर अपनी रैंकिंग में सुधार किया जो शीर्ष 25% देशों में सबसे बड़ा सुधार था। रिपोर्ट में भारत के पर्यटन क्षेत्र 140 देशों में से 13 वें स्थान पर रहे। इस रिपोर्ट में भारत में काफी अच्छा हवाई परिवहन बुनियादी ढांचा का उल्लेख है।
भारत में यात्रा के लिए अधिकांश देशों के नागरिकों को अपनी यात्रा से पहले एक वैध पासपोर्ट रखने और अपने स्थानीय भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास में यात्रा वीजा के लिए आवेदन की प्रक्रिया है। यात्री सीधे मेल या व्यक्तिगत रूप से, या अपनी स्थानीय यात्रा सेवा कंपनी के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। भारत ने हाल ही में 168 देशों के नागरिकों को ई-टूरिस्ट वीजा के लिए आवेदन करने के लिए एक ऑनलाइन तरीका लागू किया है।
भूटान, मालदीव और नेपाल के नागरिकों को भारत में प्रवेश करने के लिए यात्रा वीजा की आवश्यकता नहीं है। अफगानिस्तान, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, डीपीआर कोरिया, जमैका, मालदीव, मॉरीशस, मंगोलिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और उरुग्वे के नागरिकों को भारतीय वीजा प्राप्त करने के लिए शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।
विदेशी पर्यटकों के लिए नागालैंड और सिक्किम के राज्यों और अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, राजस्थान और उत्तरांचल के कुछ हिस्सों में प्रवेश करने के लिए एक संरक्षित क्षेत्र परमिट (पीएपी) आवश्यक है। एक प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (आरएपी) को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और सिक्किम के कुछ हिस्सों में प्रवेश करने की आवश्यकता है। लक्षद्वीप द्वीपों की यात्रा के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता होती है।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने नवंबर 2014 में एक नई वीजा नीति लागू की जिससे पर्यटकों और व्यापार आगंतुकों को 2 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर “आगमन पर वीजा” प्राप्त करने की अनुमति मिली। इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकरण प्राप्त करके ( ईटीए) आगमन से पहले ऑनलाइन, बिना किसी भारतीय वाणिज्य दूतावास या वीजा केंद्र पर जाने के लिए। अप्रैल 2015 में भ्रम से बचने के लिए “वीजा ऑन अराइवल” योजना का नाम बदलकर “ई-टूरिस्ट वीजा” कर दिया गया।
ई-टूरिस्ट वीज़ा सुविधा के लिए यात्रा की तारीख से कम से कम चार से तीस दिन पहले एक पर्यटक को सुरक्षित भारत सरकार की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। यदि अनुमोदित हो, तो आगंतुक को अपने यात्रा दस्तावेजों के साथ अनुमोदित वीजा प्रिंट और ले जाना होता है। इस वीजा के तहत एक ईटीए के धारकों को नब्बे दिनों की अवधि के लिए भारत में कहीं भी प्रवेश करने और रहने की अनुमति देता है। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और कनाडा के नागरिक एक बार में 180 दिनों तक रह सकते हैं। एक एकल कैलेंडर वर्ष में दो बार ईटीए प्राप्त किया जा सकता है।
भारत ने पहली बार 27 नवंबर 2014 को अपनी “वीजा ऑन अराइवल” सुविधा शुरू की। इसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कंबोडिया, कुक आइलैंड्स, जिबूती, फिजी, फिनलैंड, जर्मनी, इंडोनेशिया, इजरायल, जापान, जॉर्डन, केन्या, किरिबाती , लाओस, लक्समबर्ग, मार्शल आइलैंड्स, मॉरीशस, मैक्सिको, माइक्रोनेशिया, म्यांमार, नाउरू, न्यूजीलैंड, नीयू, नॉर्वे, ओमान, पलाऊ, फिलिस्तीन, पापुआ न्यू गिनी, फिलिपींस, रूस, समोआ, सिंगापुर, सोलोमन द्वीप, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, टोंगा, तुवालु, संयुक्त अरब अमीरात, यूक्रेन, अमेरिका, वानुअतु और वियतनाम के नागरिकों को शामिल किया गया।
इसके बाद 30 जुलाई 2015 को इस सुविधा को चीन, मकाऊ और हांगकांग तक विस्तारित किया गया। पुन: 15 अगस्त 2015 को यह सुविधा अंडोरा, अर्जेंटीना, आर्मेनिया, अरूबा, बेल्जियम, बोलीविया, कोलंबिया, क्यूबा, पूर्वी तिमोर, ग्वाटेमाला, हंगरी, आयरलैंड, जमैका, माल्टा, मलेशिया, मंगोलिया, मोनाको, मोजाम्बिक, के नागरिकों के लिए बढ़ा दी गई।
फिलहाल नीदरलैंड, पनामा, पेरू, पोलैंड, पुर्तगाल, सेशेल्स, स्लोवेनिया, स्पेन, श्रीलंका, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, सूरीनाम, स्वीडन, ताइवान, तंजानिया, तुर्क और कैकोस द्वीप समूह, यूनाइटेड किंगडम, उरुग्वे और वेनेजुएला को इस सुविधा से बाहर रखा गया है।
यदि हम भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की जनवरी 2020 की रिपोर्ट का अध्ययन करें तो कई बातें स्पष्ट हो जाती हैं। मसलन वर्ष 2018 में 10.56 मिलियन पर्यटक हिंदुस्तान पहुंचे। जिसका वार्षिक ग्रोथ रेट 5.2 प्रतिशत रहा। 1403 मिलियन विदेशी पर्यटक पहुंचे जिनसे हिंदुस्तान को 1448 बिलियन डॉलर आय अर्जित हुई। विदेशी पर्यटकों के आने से हिंदुस्तान को करीब एक लाख 94 हजार करोड़ रुपए का विदेशी मुद्रा विनिमय प्राप्त हुआ।
इसी रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दिसंबर से लेकर मार्च महीने तक विदेशी पर्यटकों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। दिसंबर 2017 में जहां 11.67 लाख पर्यटक दर्ज किए गए। वहीं इसी माह 2018 में 11.91 लाख पर्यटक दर्ज किए गए। जनवरी 2017 में 9.64 लाख रहा तो जनवरी 2019 में यह आंकड़ा 11.03 लाख दर्ज है। फरवरी 2017 में 9.31 लाख तो इसी माह 2019 में 10.87 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे। मार्च 2017 में 8.85 लाख तो 2019 में 9.72 लाख विदेशी पर्यटकों के आने का रिकार्ड दर्ज है।
इस तथ्य को बताने का आशय यह है कि कोरोना के संक्रमण में भारतीय पर्यटन उद्योग का कितना हिस्सा है। इससे होने वाले नुकसान का भी आप अनुमान लगा सकते हैं। यदि केवल इन आंकड़ों को ही देखें तो भारत की वीजा नीति, पर्यटन उद्योग और पर्यटन की आड़ में यहां दिगर काम करने आने वाले विदेशी नागरिकों से भारत को कोरोना की कितनी चुनौती मिली है और आने वाले दिनों में यह कितना नुकसान करेगी।
यदि कोरोना वायरस के संक्रमण से हिंदुस्तान बड़े नुकसान से बच भी निकलता है तो आने वाले सालों में पर्यटन उद्योग पर आश्रित करोड़ों लोगों के रोजगार के लिए खतरे की घंटी बच चुकी है। हिंदुस्तान को ऐसे में अपने विदेश और वीजा नीति में बड़ा बदलाव करना होगा। जिसका प्रभाव यहां से पर्यटन के नाम पर विदेश जाने वाले लोगों पर भी पड़ेगा।