BeureucrateEducationState News

समग्र शिक्षा में वित्त नियंत्रक धीरज नशीने, उप संचालक डीके कौशिक समेत कई अधिकारी जांच के घेरे में वोकेशनल पाठ्यक्रम के फंड में फर्जीवाड़ा…

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

स्कूल शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा की ओर से संचालित वोकेशनल पाठ्यक्रम में फर्जी व मनमाने भुगतान का मामला सामने आया। जिसके उजागर होने के बाद नोटिस और जांच प्रारंभ किया गया पर चार माह होने के बाद भी संबंधित अभी भी विभाग में काम कर रहे हैं। समग्र शिक्षा कार्यालय में वोकेशनल कोर्स संचालित करने वाली एजेंसियों के माध्यम से यह खेल हुआ है। जांच में पता चला विद्यार्थियों के औद्योगिक भ्रमण के नाम पर आईसेक्ट एजेंसी को अधिक भुगतान किया गया है। अभी तक 10 लाख रुपये का अधिक भुगतान पकड़ में आया है। अब तक हुए भुगतान की पड़ताल की जा रही है।

वोकेशनल पाठ्यक्रम के तहत विद्यार्थियों के औद्योगिक भ्रमण के नाम पर बिल समग्र शिक्षा कार्यालय सचिवालय में जमा करने वाले लेकर उसका परीक्षण करने, बिल को पास करने, वित्त शाखा से भुगतान होने की प्रक्रिया में संलिप्त अफसरों व कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है।

केंद्र सरकार की ओर से 36 करोड़ से अधिक बजट का प्रविधान किया गया है। प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा चलाने के लिए आइसेक्ट भोपाल, सेंटम नई दिल्ली, ग्राम तरंग भुवनेश्वर, लर्नेट स्किल नई दिल्ली, इंडस एडुट्रेन मुंबई, लक्ष्य जाब स्किल बैंगलुरु, स्किल ट्री गुरुग्राम और विद्यांता स्किल गुरुग्राम कंपनी को काम दिया गया है।

स्कूलों में टेलीकम्युनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन और मल्टीमीडिया ट्रेड, आइटी, हेल्थ केयर, एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, रिटेल, ब्यूटी वेलनेस और इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर कोर्स चलाए जा रहे हैं। इन कोर्सेस के लिए कंपनियां समग्र शिक्षा से प्रैक्टिकल के लिए भी रकम वसूलती हैं। विद्यार्थियों को बाकायदा औद्योगिक भ्रमण भी कराना है लेकिन यह राशि कंपनियों साहू और वोकेशनल शाखा कंप्यूटर आपरेटर प्रेम ठाकुर को कार्रवाई करके हटा दिया गया है। ये दोनों ही कर्मी आउटसोर्सिंग के माध्यम से यहां नियुक्त थे। इन दोनों को सेवा से मुक्त कर दिया गया है।

अफसरों ने देयकों के परीक्षण के नाम खानापूर्ति कर कराया भुगतान

समग्र शिक्षा विभाग में वोकेशनल पाठ्यक्रम के अंतर्गत आउटसोर्सिंग कंपनियों को किए गए मनमाने भुगतान के मामले में वित्त नियंत्रक व निचले स्तर के शिक्षा अफसरों की भूमिका संदिग्ध है। विद्यार्थियों के औद्योगिक भ्रमण के नाम पर आईसेक्ट एजेंसी को अधिक भुगतान का मामला सामने आने के बाद विभाग के प्रबंध संचालक संजीव झा अन्य बिलों की जांच भी करा रहे हैं। प्रारंभिक जांच में 10 लाख रुपये से अधिक के भुगतान का मामला सामने आया है। बाकी जो में भी देयक आते हैं उनका शाखा परीक्षण कराना होता है। बताया जाता है कि इस मामले में परीक्षण के नाम पर खानापूर्ति हुई है और मनमाना भुगतान किया गया है।

शिक्षा योजना के तहत प्रदेश में 592 स्कूल संचालित हैं। इन स्कूलों में टेलीकम्युनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन और मल्टीमीडिया ट्रेड, इस मामले की जांच अभी जारी है। इस मामले में यह भी जांच के बाद ही निर्णय होगा कि यह तकनीकी त्रूटि है या सुनियोजित अपराध। जांच में अपराध पाया जाएगा तो विधिवत कार्रवाई की जाएगी।

  • संजीव कुमार झा, प्रबंध संचालक, समग्र शिक्षा

दंड की राशि कटौती के बाद हेराफेरी

वोकेशनल प्रशिक्षकों को यदि कोई एजेंसी 15 दिन की देरी करती है तो उसे दंड का प्रविधान है। पूर्व प्रबंध संचालक नरेन्द्र दुग्गा ने कुछ कंपनियों की कटौती की थी बाद में अधिकारियों ने मिलीभगत करके इसका भी आहरण कराया है। इस मामले में भी जांच की जा रही है। ये अधिकारी जांच के दायरे में समग्र शिक्षा के उच्चाधिकारियों ने वित्त नियंत्रक धीरज नशीने, उप संचालक डीके कौशिक, सहायक संचालक अजय देशपांडेय, सहायक संचालक मंजू साहू, सहायक कार्यक्रम समन्वयक अनुराधा ठाकुर समेत नौ को नोटिस जारी करके जवाब मांगा।

गौरतलब है इस मामले को उजागर हुए चार माह से ज्यादा का समय हो चुका है। पर सिवाए खानपूर्ति के कोई बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है। जांच समिति भी कछुए की चाल चल रहा है। नोटिस का जवाब क्या मिला और उसका निष्कर्ष क्या निकाला गया इससे पर्दा उठना बाकि है। अब तक केवल दो ही आउटसोर्स किए गए कर्मी ही हटाए गए हैं।