कोरोना संकट पर चेतावनियों को भारत सरकार ने किया दरकिनार, रैलियां-धार्मिक आयोजनों को दी मंजूरी: लैंसेट
न्यूज डेस्क।
मशहूर मेडिकल जर्नल द लैंसेट के संपादकीय में भारत में कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए मौजूदा संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है। जर्नल के मुताबिक, सरकार ने न सिर्फ ‘सुपरस्प्रेडर’ धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों को होने दिया बल्कि देश में वैक्सीशनेश कैंपेन भी धीमा हो गया।
पत्रिका के संपादकीय में लिखा है, ‘सुपरस्प्रेडर आयोजनों के जोखिम को लेकर चेतावनियां मिलने के बावजूद सरकार ने धार्मिक आयोजनों को होने दिया, जिसमें देश के लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां की गईं, जिसमें कोविड-19 रोकथाम संबंधी नियमों को ताक पर रखा गया। इतना ही नहीं यह संदेश तक दिया गया कि देश में कोरोना हार रहा है, जिससे भारत में टीकाकरण की शुरुआत धीमी रही।’
पत्रिका के आलेख के मुताबिक सरकार ने देश में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर चेतावनियों पर भी ध्यान नहीं दिया। संपादकीय में लिखा गया है, ‘मार्च में दूसरी लहर के कारण कोरोना के केस बढ़ने से पहले भारत के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने घोषणा कर दी थी कि भारत में महामारी का अंत होने वाला है। दूसरी लहर को लेकर कई चेतावनियां मिलने के बावजूद लगातार कई महीनों तक कोरोना के कम मामले आने के बाद सरकार की ओर से यह छवि प्रस्तुत करने की कोशिश की गई कि भारत ने कोरोना को हरा दिया है।’
ICMR के महामारी विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टल ललित कांत लैंसेट में छपे इस संपादकीय से सहमति जताते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम आज जिस स्थिति में हैं उसकी जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।’
बता दें कि यह संपादकीय ऐसे समय में आया है जब भारत में लगातार पांचवे दिन कोरोना वायरस के 4 लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए हैं। रविवार को देश में कोरोना के 4 लाख 3 हजार 196 नए मामले आए और इसके साथ ही अब कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2 करोड़ 22 लाख 89 हजार 452 पहुंच गई है। वहीं भारत में कुल 2 लाख 42 हजार 273 लोग अभी तक कोरोना से दम तोड़ चुके हैं।