सरकार ने मलावी, जिम्बाब्वे को 2,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी
नई दिल्ली
सरकार ने दो अफ्रीकी देशों – मलावी और जिम्बाब्वे को 2,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा है कि निर्यात को राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से अनुमति दी गई है।
हालांकि घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन अनुरोध पर कुछ देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर निर्यात की मंजूरी है।
मलावी दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका में एक स्थलरुद्ध देश है, जबकि जिम्बाब्वे एक दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्र है।
अधिसूचना के अनुसार, दोनों देशों को 1,000 टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी गई।
डीजीएफटी ने कहा, “एनसीईएल अधिसूचना के माध्यम से मलावी और जिम्बाब्वे को गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात की मंजूरी।”
भारत ने पहले भी नेपाल, कैमरून, कोट डी आइवर, गिनी, मलेशिया, फिलीपींस और सेशेल्स जैसे देशों को ऐसे निर्यात की अनुमति दी है।
एनसीईएल एक बहु-राज्य सहकारी समिति है। इसे देश की कुछ प्रमुख सहकारी समितियों द्वारा संयुक्त रूप से बढ़ावा दिया जाता है। इन समितियों में गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ), भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको), और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) हैं।
जीसीएमएमएफ को अमूल के नाम से जाना जाता है।
जून तक उत्तर भारत में चाय उत्पादन में छह करोड़ किलोग्राम की कमी आने की संभावना
कोलकाता
उत्तर भारतीय चाय उद्योग को प्रतिकूल मौसम के कारण चालू फसल वर्ष के जून तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में छह करोड़ किलोग्राम उत्पादन में कमी का सामना करना पड़ रहा है। एक चाय संगठन ने यह अनुमान लगाया है।
अधिकारियों का कहना है कि पहली और दूसरी फसल वर्ष की सबसे उच्च गुणवत्ता वाली चाय पैदा करती है। इसके नष्ट होने से निस्संदेह उत्पादकों के राजस्व पर असर पड़ेगा और चाय की कीमतें बढ़ सकती हैं।
उत्तर भारतीय चाय उद्योग में शामिल असम और पश्चिम बंगाल के राज्य खतरनाक स्थिति का सामना कर रहे हैं। मई में अत्यधिक गर्मी और बारिश की कमी के साथ-साथ अत्यधिक बारिश और धूप की कमी ने उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
भारतीय चाय संघ (टीएआई) अध्यक्ष संदीप सिंघानिया ने अनुमान लगाया कि पिछले वर्ष की तुलना में जून तक संयुक्त फसल का नुकसान छह करोड़ किलोग्राम हो सकता है।
उन्होंने कहा, “संघ के सदस्य चाय बागानों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, असम और पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में मई 2024 के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः लगभग 20 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की कमी रहने का अनुमान है।”
भारतीय चाय बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2024 तक असम में उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग आठ प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में लगभग 13 प्रतिशत की गिरावट आएगी।