दिल्ली में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही, हीटस्ट्रोक से यूं बचाई जाती है जान
नई दिल्ली
दिल्ली में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हीटस्ट्रोक के मरीजों की तादाद पहले से काफी बढ़ गई है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक पिछले दो दिनों में हीटस्ट्रोक के शिकार 22 मरीज आए, जिनमें से पांच की मौत हो चुकी है। उनके मुताबिक करीब एक दर्जन मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।
आरएमएल अस्पताल में हीटस्ट्रोक के मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए नए कूलिंग उपकरण लगाए गए हैं। अस्पताल के डॉक्टर अजय शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में हीटस्ट्रोक यूनिट इमरसन कूलिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है। यह विश्व की सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी है। इसमें इमरसन कूलिंग टब हैं। बर्फ बनाने की मशीन है, जिसकी क्षमता 250 किलो प्रतिदिन की है। अस्पताल में बर्फ भंडारण की भी व्यवस्था है। इसके अलावा मल्टी पारा मॉनिटर्स हैं।
इमरसन कूलिंग टेक्नोलॉजी में बर्फ से भरे ठंडे पानी के लिए इन्फ्लेटेबल टब का इस्तेमाल किया जाता है। हीटस्ट्रोक के शिकार मरीजों के शरीर का तापमान 105 डिग्री से ज्यादा होता है। ऐसे में मरीजों के सिर को छोड़कर पूरा शरीर टब के अंदर पानी में डूबोया जाता है। जब उनके शरीर का तापमान 102 डिग्री से नीचे आ जाता है तब उन्हें बेड पर ले जाया जाता है।
हीटस्ट्रोक यूनिट की डॉक्टर सीमा वासनिक ने बताया कि मरीज के आने से पहले ही हीटस्ट्रोक यूनिट को एक्टिवेट कर दिया जाता है। जैसे ही मरीज आता है टब में उसका कोल्ड इमरसन करते हैं। पानी में मरीज को आधे से पौना घंटा तक रखते हैं। जब मरीज के शरीर का तापमान 102 डिग्री पहुंच जाता है तो उसे टब से निकालकर बेड पर भेज दिया जाता है। अस्पताल के कुछ एंबुलेंसों में बर्फ के ठंडे पानी से भरे मोबाइल इन्फ्लेटेबल उपकरण लगे हैं, जिससे मरीज को उनके घरों से अस्पताल लाए जाने के दौरान इस्तेमाल किया जाता है।
एक मरीज ने बताया कि गर्मी के कारण अचानक उन्हें चक्कर आ गया और वह बेहोश हो गए। किसी दूसरे आदमी ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज होने के बाद वे काफी राहत महसूस कर रहे हैं।