डीएमएफ स्केंडल बस्तर : पांच स्टाप डेम के लिए स्वीकृत 4.61 करोड़ रुपए दो स्टापडेम में खर्च… टेण्डर में हेर-फेर के संकेत
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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर/जगदलपुर
जगदलपुर बस्तर में भी डीएमएफ का घोटाले इन दिनों चर्चाओं में है। अफसर नियम विरुद्ध तरीके से अपने फायदे के लिए डीएमएफ की राशि का कैसे दुरुपयोग कर रहे है इसकी बानगी सिंचाई विभाग के स्टॉपडेम निर्माण के कार्यों में देखने को मिल रही है। बताया जाता है डीएमएफ मद से सिंचाई विभाग ईईने जिले के पांच अलग अलग स्थानों के लिए 4 करोड़ 61 लाख के पांच स्टॉपडेम स्वीकृत किए थे लेकिन कमीशन बढ़ाने और खास ठेकेदार को उपकृत करने इस टेंडर को रद्द कर दिया।
तीन महीने के बाद स्वीकृत राशि सिर्फ दो स्टॉपडेम के लिए 4 करोड़ 54 लाख की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई। शेष तीन कार्यों को निरस्त कर दिया। सवाल यह खड़े हो रहे है कि आखिर छः महीनों में इन स्टॉपडेम की लागत तीन गुना कैसे बढ़ गई ? आखिर नियम विरुद्ध तरीके से इन कार्यों की तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति कैसे जारी की गई।
पहले इन कार्यों को मिली थी मंजूरीः जिला खनिज न्यास के तहत जारी प्रशासनिक आदेश के तहत तोकापाल बड़े पाराकोट में स्थित क्वेर नाला में 89.45 लाख की लागत से, दरभा के चितापुर में 64 लाख, बकावंड के सिमोडा में 87 लाख, बस्तर के पाथरी में 100 लाख और लोहंडीगुड़ा के मिचनार में 120 लाख के कुल पांच स्टॉपडेम के लिए 461 लाख की मंजूरी प्रदान की गई थी। जिन्हें 2 जनवरी 2024 को निरस्त कर दिया गया था।
डीएमएफ मद का दुरूपयोग
सिंचाई विभाग को विभागीय मद से एनीकेट और स्टॉपडेम की मंजूरी विभाग से नियमित रूप से मिलती है बस्तर जिले में इस वर्ष 100 से अधिक स्टॉपडेम और एनीकेट निर्माण का प्रस्ताव ईई के द्वारा भेजा गया है जिसमें से लगभग 35 प्रस्तावों को अब तक मंजूरी भी मिल चुकी है ऐसे में नियमित विभागीय कार्यों के लिए डीएमएफ का उपयोग होना इस मद का दुरूपयोग माना जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ में ईडी और एंटी करप्शन ब्यूरो कोरबा, रायगढ़, बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों के डीएमएफ के कार्यों की जांच जारी है। ऐसे में सिंचाई विभाग के अफसरों का दुस्साहस बस्तर में भ्रष्टाचार की नई पटकथा साबित हो सकती है।
ईई दे रहे अधिकार से ज्यादा राशि के प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति
सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता ने जुलाई 2024 में उपरोक्त निरस्त निविदा के बदले कलेक्टर बस्तर को नया प्रस्ताव प्रेषित किया जिसमे पूर्व के 5 में से चितापुर सिमोडा और पाथरी के तीन कार्यों को हटाकर उनकी स्वीकृत राशि बड़े पाराकोट और मिचनार के स्टॉपडेम में जोड़कर दोनों की लागत तीन गुना बढ़ाकर 227- 227 लाख की तकनीकी स्वीकृति जारी कर दी। जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता के एस भंडारी ने बताया कि ईई को 80 लाख और एसई को 2 करोड़ की तकनीकी स्वीकृति देने का अधिकार है ऐसे में 227 लाख के प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति किसने दी यह जांच का विषय है।
नोट : जगदलपुर पत्रिका ने इस पर एक्सक्लूसिव खबर प्रकाशित की है।