कोरोना: आखिर क्यों हैं राज्यों के सामने लॉकडाउन बढ़ाने की मजबूरी, जानें कैसे बिगड़े हालात
न्यूज डेस्क. नई दिल्ली।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन के दौरान राज्यों में की जाने वाली तैयारियों में देरी से स्थिति को नियंत्रण में करने के प्रयासों में कुछ और देरी हो सकती है। कई राज्यों में महामारी से निपटने का तंत्र और समझ न होने से भी इसका असर पड़ा है। अब जबकि राज्यों को बात पूरी तरह समझ में आई है तो उनके पास लॉकडाउन बढ़ाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जब मुख्यमंत्रियों से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे तब और विस्तार से चीजें सामने आ सकती हैं।
लॉकडाउन के दौरान तैयारियों को लेकर राज्य और जिला प्रशासन की सुस्ती, अनुभव एवं समझ की कमी सरकार के प्रयासों पर भारी पड़ी है। विभिन्न स्तरों पर हो रही समीक्षा में कई गंभीर तथ्य सामने आये हैं।
14 अप्रैल तक के लॉकडाउन में पूरे देश को चाक-चौबंद कर प्रभावित की पहचानने का कम पूरा हो जाना था लेकिन अभी भी कई जिले ऐसे हैं जहां टेस्टिंग का काम भी शुरू नहीं हो पाया है। राज्य प्रशासन भी कई जिलों तक जरूरी पीपीई किट, मास्क आदि चीजों को नहीं पहुंचा सका है।
अभी दो सप्ताह और चाहिए : केंद्र सरकार ने हालात को नियंत्रण करने के लिए विभिन्न मंत्रियों को राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी थी। उनसे जो रिपोर्ट मिल रही है वह राज्यों की तैयारियों को लेकर काफी महत्वपूर्ण है। जिला प्रशासन और अन्य स्तरों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी पूरी तैयारी करने को कम से कम 2 हफ्ते का समय चाहिए। इस दौरान टेस्टिंग की जाएगी जिससे की पहचान आसान की जा सके।
कमी को छिपाये नहीं : इस बीच केंद सरकार की ओर से सभी राज्यों को यह निर्देश भी दिए गए हैं कि वे कोई बात छुपाए नहीं। अगर कहीं कोई कमी है उसे भी साफ बताया जाए। वहीं कई राज्यों में हालात इसलिए भी बिगड़े क्योंकि कुछ जिलों ने इस मामले में अच्छा काम किया लेकिन कुछ जिले ढीले रहे, जिससे लोगों की आवाजाही जारी रहने से इसका ज्यादा फायदा नहीं मिल सका। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस तरह के ज्यादा मामले सामने आये हैं।
महामारी से निपटने का अनुभव नहीं थासूत्रों के अनुसार, राज्य और जिला प्रशासन को आपदाओं से निपटने का अनुभव तो था, लेकिन इस तरह की महामारी से कैसे निपटा जाए इसे नहीं समझ पाए। इसका भी असर तैयारियों पर पड़ा। अब जबकि दुनियाभर की खबरें नीचे तक पहुंची तब जाकर प्रशासन चेता और अब सख्ती के साथ अमल किया जा रहा है। हालांकि, कुछ राज्यों ने कहा है कि मरकज की घटना के कारण उनकी तैयारियां प्रभावित हुईं।