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बारह वर्ष बाद तुल डोकरी के दरबार देवी-देवताओं का होगा संगम… शीष नवाने जुटेंगे सैकड़ों श्रद्धालु, कमकानार करसाड़ की तैयारियां जोरों पर…

इंपैक्ट डेस्क.

बीजापुर। बस्तर में इन दिनों मेले-मड़ई का दौर अंतिम चरण पर पहुंच चुका हैं, परंतु बस्तर की पहचान इन मेले -मड़ई में आदिवासी संस्कृति, परंपरा और ढोल नगाड़ों के साथ होने वाले नृत्य और वेष भूषा ने पूरे विश्व में अलग ही तरीके से अपनी कीर्ति फैलाई है। मेले मड़ई के बाद बस्तर में करसाड़ का आयोजन भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। जहां पर शिरकत करने आदिवासी पंरपरानुसार देवी-देवताओं के साथ-साथ हजारों ग्रामीण पहुंचते हैं।

बीजापुर जिले के कमकानार में स्थित माता तुल डोकरी के दरबार में भी इस साल 12 वर्षों बाद तुल देवी कड़सार का आयोजन किया जा रहा है। जिसके लिए भव्य तैयारियां मदिर प्रांगण में की जा रही है। बताया जाता है कि तुल देवी के इस दरबार में वर्षों से चली आ रही परंपरानुसार प्रत्येक 12 वर्षों बाद यहां पर करसाड़ का आयोजन किया जाता है, जहां पर करीब 20 से 25 गांवों के देवी-देवताओं के साथ हजारों लोग षिरकत करते हैं।

17 अप्रैल से होने वाले इस करसाड़ के दौरान 17 अप्रैल को सभी देवी-देवता मंदिर प्रांगण में एकत्र होंगे। 18 अप्रैल को परंपरा और संस्कृति अनुसार देवी-देवताओं के लिए सामुहिक भोज तैयार किया जाएगा और 19 अप्रैल को वृहद और बड़े पैमाने पर करसाड़ का आयोजन होगा, जिसमें देवी-देवताओं के साथ ढोल-नगाड़ों और पारंपारिक वेश भूषा से सुसज्जित होकर नृत्य और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाएगा, वही अंतिम दिन 20 अप्रैल को देवी-देवताओं की विदाई से पहले अपने-अपने मन्नत के अनुसार लोग पषु बलि की पूजा-अनुष्ठान को पूर्ण करेंगे।

बताया जा रहा है की इस आयोजन के दौरान जिले भर में माता तुल देवी के सभी रिश्तेदार , देवी-देवताएं शिरकत करते हैं। जिसके लिए एक महीना पहले ही सभी जगह न्यौता भेजा जाता है। 12 वर्षों बाद आयोजित हो रहे इस करसाड़ स्थल तुल देवी मंदिर कमकानार तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को बीजापुर से गंगालूर मार्ग पर स्थित किकलेर चौक से रेड्डी मार्ग जाना होगा, जहां से मड़काम पारा होते हुए नदी को पार कर चिन्नाजोजेर जाना होगा और चिन्नाजोजेर से सड़क के माध्यम से तुल देवी मंदिर कमकानार तक पहुंचा जा सकता है।