Madhya Pradesh

जिले में नरवाई जलाने पर प्रशासन सख्त, बांधवगढ़ में भी तीन पर जुर्माना, 15 किसानों पर कार्रवाई की तैयारी

उमरिया

जिले के मानपुर जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पिपरिया के 15 किसानों द्वारा खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने के मामले में जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए जुर्माना लगाने के साथ ही अब दंडात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रकरण में जिला कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन को पहले ही आर्थिक दंड अधिरोपित किया गया था, जिसके बाद अब प्रशासन एफआईआर की कार्रवाई की ओर बढ़ गया है।

शुक्रवार को तहसीलदार बरबसपुर सर्किल ने कोतवाली थाना उमरिया को पत्र सौंपते हुए भारतीय न्याय संहिता की धारा 2023 की 223 के अंतर्गत दोषी किसानों पर दंडात्मक कार्रवाई करने का आवेदन प्रस्तुत किया। जारी पत्र में सभी 15 किसानों के नाम स्पष्ट रूप से उल्लिखित हैं, जिनके विरुद्ध यह कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। बताया जा रहा है कि यह कदम किसानों को भविष्य में इस प्रकार के पर्यावरण विरोधी कृत्य से रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।

उल्लेखनीय है कि खेतों में नरवाई जलाने से वातावरण में अत्यधिक प्रदूषण फैलता है, जिससे न केवल हवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। इसके साथ ही भूमि की उर्वरता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। शासन द्वारा लगातार नरवाई न जलाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, बावजूद इसके कई क्षेत्रों में किसान इस निर्देश की अनदेखी कर रहे हैं।

इस बीच, बांधवगढ़ तहसील के ग्राम महरोई में भी नरवाई जलाने की शिकायत मिलने पर जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए तीन किसानों पर कुल साढ़े सात हजार रुपये का जुर्माना अधिरोपित किया है। कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन द्वारा शुक्रवार की शाम जारी आदेश के अनुसार इन किसानों में केशरी पिता जग्गू लोहार, टीकाराम पिता कामता विश्वकर्मा और पुरुषोत्तम पिता उदयभान राठौर शामिल हैं। सभी पर ₹2500-₹2500 का आर्थिक दंड लगाया गया है।

प्रशासन की इस सख्ती से क्षेत्र के अन्य किसानों में भी हड़कंप की स्थिति है। विभागीय सूत्रों का मानना है कि यह कार्रवाई आगे चलकर एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी, जिससे अन्य किसान पर्यावरण संरक्षण के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित होंगे। जिला प्रशासन ने एक बार फिर अपील की है कि किसान नरवाई जलाने से बचें और वैकल्पिक उपायों को अपनाएं, जिससे खेत की उपजाऊ क्षमता बनी रहे और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।