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ACB ने दंतेवाडा में बीते पांच सालों की जानकारी मांगी… डिटेल जुटाने अफसरों का छूट रहा पसीना… PMO में शिकायत के बाद अब तक चल रही कार्रवाई…

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अभिषेक भदौरिया।दंतेवाडा।

कांग्रेस शासन काल में डीएमएफ की बंदरबाट अब अफसरों के लिये बडी मुश्किलें खडी करने वाला है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने दंतेवाडा में बीते पांच साल में डीएमएफ मद से हुए कार्यों की जानकारी मांगी है। ये जानकारी उन्होने विभागवार मांगी है, लिहाजा जिला प्रशासन के बडे अफसरों के साथ ही जिले के विभाग प्रमुख इन दिनों इसी कार्य में व्यस्त हैं।

कांग्रेस कार्यकाल के प्रथम कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा रहे हैं, इसके बाद दीपक सोनी को बतौर कलेक्टर दंतेवाडा भेजा गया था, इसके बाद विनीत नंदनवार ने दीपक सोनी की जगह ली। इनमे कुछ अधिकारियों ने अपने कार्यकाल में गोपनीय निविदाओं, और नियम विरूद्ध चहेते फर्म को काम देने को लेकर सुर्खियां बटोरी हैं। निर्माण एजेंसी से लेकर ठेकेदारों और सप्लायरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

एसीबी के दस्तक से बडे से लेकर छोटे अफसर तक हलाकान हैं। बीते पांच सालों में डीएमएफ को अफसरों ने रेवडी की तरह चहेते ठेकेदारों में बांट दिया था। इस दौरान गोपनीय निविदाओं का सिलसिला भी बदस्तूर जारी रहा। अफसर बदले लेकिन नये अफसरों की कार्यशैली नहीं बदली।

इस कार्यकाल में तीन कलेक्टरों ने दंतेवाड़ा में सेवाएं दी। लेकिन विनीत नंदनवार के कार्यकाल में गड़बड़ी की शिकायतें सबसे ज्यादा सामने आयीं। इन पर मां दंतेश्वरी मंदिर कॉरीडोर निर्माण में गडबडियों के आरोप लगे थे। इस कार्य की पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों द्वारा जांच भी की गयी।

पिछले ढाई साल की बात करें तो ग्रामीण यांत्रिकी सेवा यानी आरईएस को ही ज्यादातर कामों में एजेंसी बनाया गया। इस विभाग को एजेंसी बनाकर नये नये प्रयोग भी इस दौरान किए गए। बडी लागत वाले कार्यों के टुकडे करना हो या फिर चहेते फर्म कृष्णा इंटरप्राईजेस को कार्य आबंटित करना, सारे काम आसानी से हो जाते थे।

ये मांगी एसीबी ने जानकारी – एसीबी ने जिला प्रशासन ने जो जानकारी मांगी है उसमें प्रमुख रूप से वर्ष 2019 से 2023 तक डीएमएफ राशि में कुल कितनी निविदाएं की गयी। इस अवधि में प्रत्येक निविदा किन प्रयोजनों के लिये बुलाई गयी थी। प्रत्येक निविदा में कितनी कितनी राशियां आबंटित की गयी तथा इनके भुगतान की जानकारी शामिल है।

इसके साथ एसीबी ने प्रत्येक निविदा में सम्मिलित समिति के सदस्यों के नाम व पदनाम की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। पत्र में उल्लेख है कि इस अवधि में निविदा निर्धारण के लिये अपनायी गयी निविदा प्रक्रिया, जिसमें निविदा निर्धारण एवं आबंटन का मापदंड एवं निविदा दस्तावेजों के परीक्षण की रिपोर्ट संलग्न हो, तथा उससे संबंधित नोटशीट की सत्यापित प्रतिलिपियां प्रदान की जायें।

साथ ही डीएमएफ की राशि से जितनी निविदाएं जारी की गयी थी, उनके प्रत्येक निविदा के निविदाकर्ताओं की जानकारी तथा उक्त निविदा किस निविदाकर्ता को आबंटित की गयी थी, इस संबंध में भी संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने एसीबी ने कहा है।

ईडी भी खंगाल रही कुंडली- बताना लाजिमी होगा कि सरकार बदलते ही ईडी भी यहां दस्तक दे चुकी है। ईडी को करीब ढाई हजार पन्नों में जानकारी प्रशासन द्वारा प्रदान की गई है। इसके बाद एसीबी की एंट्री बडे अफसर पर बडी कार्रवाई के संकेत दे रही है।

डीएमएफ ब्याज की राशि भी नहीं बख्शी – सूत्र बताते हैं कि जिस दिनांक से दंतेवाडा को डीएमएफ की राशि मिल रही है तब से लेकर 2023 तक डीएमएफ के ब्याज की राशि का किसी भी कलेक्टर ने खर्च नहीं की थी। लेकिन इस राशि का कॉरीडोर निर्माण में नियमविरुद्ध उपयोग किया गया है। चहेते फर्म को काम देने निष्पक्ष टेंडर प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया गया। बताया जाता है कि ब्याज की राशि व्यय के संबंध में दिशा निर्देश व प्रक्रिया काफी जटिल है, इस वजह से किसी कलेक्टर ने इस ब्याज की राशि का इस्तेमाल नहीं किया था।

इन विभागों को बनायी एजेंसी – वर्ष 2021 से 2023 तक जिन विभागों में डीएमएफ की सबसे ज्यादा राशि व्यय की गयी उनमें ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग, आदिवासी विकास, फॉरेस्ट एवं ग्राम पंचायत शामिल है।

दबाव बनाकर पंचायतों में ठेकेदारी प्रथा भी इसी दौरान शुरू की गयी। पंचायतों को एजेंसी बनाकर करोडों के निर्माण व सप्लायी के कार्य कराये गये। सरपंच न चाहते हुए भी अफसरों के दबाव में ठेकेदारों को एंट्री देते रहे। कई कार्य अब भी अधूरे हैं, जिनमें ज्यादातर राशि का आहरण अफसरों के दबाव में ठेकेदारों को किया जा चुका है।