कुबेर एप की जगह नगद भुगतान के आदेश से भी हुआ बड़ा खेल… माना जा रहा अफसर हुए लाल और नेता मालामाल… अशोक पटेल 23 अप्रैल EOW की कस्टोडियल रिमांड पर रहेंगे
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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
तेंदूपत्ता बोनस घोटाले के आरोप में निलंबित DFO अशोक पटेल 23 अप्रैल EOW की कस्टोडियल रिमांड पर रहेंगे। इस दौरान ACB-EOW निलंबित DFO से पूछताछ करेगी। गुरुवार को छत्तीसगढ़ ACB, EOW की टीम ने सुकमा में निलंबित DFO अशोक पटेल को गिरफ्तार कर रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया।
ऐसा पहली बार है जब EOW ने किसी DFO को गिरफ्तार किया है। वहीं, EOW ने कोर्ट में अशोक पटेल को पेश करने के बाद पूछताछ करने के लिए कस्टोडियल रिमांड की मांग की।
बतादें कि DFO अशोक पटेल और उनके साथियों पर तेंदूपत्ता तोड़ने वाले मजदूरों के बोनस में बड़ा घोटाला करने का आरोप है। इसके साथ ही, 1 महीने पहले DFO के घर पर ACB और EOW की टीम ने एक साथ दबिश दी थी और वहीं रायगढ़ के कृष्णा वाटिका और पैतृक ग्राम झालमुड़ा में भी कार्रवाई की थी।
शायद पाठको को यह याद ना हो कि अभी हाल ही में बीते फरवरी माह में बस्तर वन सर्किल के तहत आने वाले सात वन मंडलों के लिए एक विशेष सर्कुलर जारी किया गया था। जिसके तहत कुबेर एप के माध्यम से भुगतान की प्रक्रिया की जगह नगद भुगतान प्रक्रिया को अपनाने की छूट मिली थी। इस आदेश का सीधा असर वन मंडल में हो रहे भारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला भी साबित हुआ। एक बार फिर मैनुअल पद्धति से सारे व्यय का निपटान होने के कारण भारी पैमाने में राशि की बंदरबांट का अंदेशा है।
बस्तर संभाग के वनमंडलों में कुबेर ऐप के स्थान पर नगद भुगतान की अनुमति
कुबेर ऐप को छत्तीसगढ़ में सरकारी कार्यों, विशेष रूप से वन विभाग से संबंधित भुगतानों को पारदर्शी और डिजिटल बनाने के लिए लागू किया गया था। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को कम करना, बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करना और लाभार्थियों (जैसे तेंदूपत्ता संग्राहकों) को सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान सुनिश्चित करना था। हालांकि, बस्तर संभाग जैसे दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और ऐप के कार्यान्वयन में देरी ने इसकी प्रभावशीलता को सीमित किया। फरवरी 2025 में जारी एक आदेश के तहत, कुछ वनमंडलों को कुबेर ऐप के स्थान पर नगद भुगतान की छूट दी गई थी, जिसका विवरण इस रिपोर्ट में प्रस्तुत है।
कुबेर ऐप को लागू करने का उद्देश्य और कार्यप्रणाली
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना और सरकारी भुगतानों को पारदर्शी बनाने। टेंडर प्रक्रिया, मजदूरी, और तेंदूपत्ता संग्रहण जैसे कार्यों के लिए डिजिटल भुगतान सुनिश्चित करना। वाउचर और दस्तावेज़ अपलोड के माध्यम से प्रक्रिया को जवाबदेह बनाना। वन विभाग में तेंदूपत्ता संग्रहण, ठेके, और अन्य कार्यों के लिए भुगतान। इसके तहत आदिवासी लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे भुगतान की व्यवस्था थी।
वन विभाग ने इसके चलते जानकारी दी कि इससे भुगतान में देरी हो रही है, तकनीकी खामियाँ हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी। कुछ अधिकारियों द्वारा ऐप के उपयोग का विरोध, क्योंकि यह अनौपचारिक प्रभाव को सीमित करता था।
इसके बाद बीते फरवरी 2025 का आदेश और नगद भुगतान की छूट दी गई। जिसके तहत फरवरी 2025 में छत्तीसगढ़ सरकार या वन विभाग द्वारा एक आदेश जारी किया गया, जिसमें बस्तर संभाग के कुछ वनमंडलों को कुबेर ऐप के उपयोग के बजाय नगद भुगतान की अनुमति दी गई।
कुछ अधिकारियों और स्थानीय कुछ नेताओं द्वारा पुरानी (ऑफलाइन) प्रणाली को प्राथमिकता देने का दबाव बना। दरअसल कुबेर एप के माध्यम से डिजिटल भुगतान पद्धति के कारण सरकारी राशि का चक्र घुमकर वापस लौट नहीं रहा था। यदि खाते दारों के खातों में पैसे डाल दिए गए तो इसे नगद वापस लेना कठिन था। जिसके चलते वन मंडलों में भारी पैमाने में हो रहा भ्रष्टाचार नियंत्रित होने लगा था। ऐसे में कारण तलाशे गए और छत्तीसगढ़ वन विभाग ने विशेष राहत के तहत सर्कुलर जारी कर छूट प्रदान कर दी। हाल ही में छापे में मिली राशि से यह साफ हो रहा है कि बीते मार्च महीने के भुगतान के बाद जो वसूली की गई थी वह भी एंटी करप्शन ब्यूरो के हत्थे चढ़ी है।
पहली बार बस्तर में पदस्थ किसी आईएफएस अधिकारी अशोक कुमार पटेल को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया है। मजेदार बात तो यह है कि जिस अधिकारी के खिलाफ एसीबी और ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई की उसके निलंबन से पहले एक बार फिर बीजापुर में डीएफओ के रूप में पदस्थ करने की फाइल चलाई गई थी।
सूत्रों का दावा है कि वन मंत्री के यहां से तबादले की एक फाइल चली और दूसरी फाइल एसीएस ऋचा शर्मा के यहां से आई जिसमें अशोक कुमार पटेल के खिलाफ तेंदुपत्ता बोनस में भ्रष्टाचार की शिकायत जांच के बाद कार्रवाई के तहत निलंबित करने का प्रस्ताव था।
आदेश में दंतेवाड़ा वनमंडल, बीजापुर वनमंडल, सुकमा वनमंडल, नारायणपुर वनमंडल को छूट प्रदान की गई थी। माना जा रहा है कि इन सभी वन मंडलों में अब हाल ही में किए गए लंबे चौड़े भुगतान की जांच की जा सकती है। दरअसल नवंबर 2024 में मनरेगा के तहत भुगतान के लिए यह छूट दी गई थी। पर वन विभाग ने सभी कार्यों के लिए यह व्यवस्था प्राप्त कर ली।