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पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है चंद्रमा का टूटा हुआ टुकड़ा… बहुत काम आएगा यह एस्टेरॉयड, स्टडी में खुलासा…

इंपैक्ट डेस्क.

एक एस्टेरॉयड हमारे ग्रह यानी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। यह पृथ्वी का सबसे निकटतम एस्टेरॉयड बताया जा रहा है। अब इसको लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। एक स्टडी में दावा किया गया है कि यह एस्टेरॉयड कुछ और नहीं बल्कि चंद्रमा का एक टूटा हुआ टुकड़ा है। लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, एस्टेरॉयड का नाम कामो’ओलेवा (Kamo’oalewa) है। यह एक हवाईयन शब्द है जिसका अर्थ “दोलनशील टुकड़ा” है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आकाशीय वस्तु एक फेरिस-व्हील-साइज की चट्टान का टुकड़ा है जो हर अप्रैल में पृथ्वी के 1.44 करोड़ किलोमीटर के भीतर परिक्रमा करती है। इस एस्टेरॉयड को पहली बार 2016 में खोजा गया था और इसे अर्ध-उपग्रह (quasi-satellite) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। अर्ध-उपग्रह एक प्रकार का वह ऑब्जेक्ट है जो हमारे ग्रह के साथ-साथ परिक्रमा करता है। उनकी कक्षाएं पृथ्वी से बंधी हुई हैं और वे कभी भी ग्रह से दूर नहीं जाते हैं।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रमा का टुकड़ा कहे जा रहे इस एस्टेरॉयड के वर्गीकरण का विवरण देने वाला अध्ययन नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। 23 अक्टूबर के अध्ययन में एक संभावित तरीके का जिक्र है जिसमें बताया गया है कि कैसे यह टुकड़ा चंद्रमा से अलग हुआ होगा। इसके अलावा, इसमें सुझाव दिया गया है कि सौर मंडल के चारों ओर चंद्रमा के और अधिक टुकड़े तैरते पाए जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये एस्टेरॉयड आगे बहुत काम आएगा और इससे दूसरे एस्टेरॉयड के बारे में अच्छी समझ हासिल होगा।
शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में कहा है कि एस्टेरॉयड के परावर्तन स्पेक्ट्रम की चंद्र सिलिकेट्स से समानता और इसकी पृथ्वी जैसी कक्षा दोनों से पता चलता है कि इसकी उत्पत्ति चंद्र सतह से हुई है। खोज के बारे में बोलते हुए, एरिजोना विश्वविद्यालय के ग्रह वैज्ञानिक रेनू मल्होत्रा ने एक बयान में कहा, “अब हम यह स्थापित कर रहे हैं कि चंद्रमा ही कामो’ओलेवा का अधिक संभावित स्रोत है।”

कामो’ओलेवा में वैज्ञानिकों ने कुछ असामान्य गुण देखे थे जिसके बाद इसको लेकर रिसर्च शुरू की गई थी। उन्होंने पाया कि एस्टेरॉयड द्वारा उत्सर्जित और अवशोषित प्रकाश से संकेत मिलता है कि यह संभवतः चंद्रमा की चट्टान से बना है। वैज्ञानिक ने कहा, “हमने कामो’ओलेवा के स्पेक्ट्रम को केवल इसलिए देखा क्योंकि यह एक असामान्य कक्षा में था। यदि यह एक विशिष्ट निकट-पृथ्वी एस्टेरॉयड होता, तो किसी ने भी इसके स्पेक्ट्रम को खोजने के बारे में नहीं सोचा होता और हमें नहीं पता होता कि कामो’ओलेवा एक चंद्र टुकड़ा हो सकता है।” रिसर्च करने वाली टीम ने कहा कि ये निष्कर्ष उन्हें पृथ्वी के निकट खतरनाक एस्टेरॉयड की बेहतर समझ दे सकते हैं।