भारत में एकलौती अनोखी जगह : खास किन्नरों के लिए बनाई गई है…
इम्पैक्ट डेस्क.
हाल ही में ओटीटी पर रिलीज हुई सुष्मिता सेन की ताली फिल्म चर्चा में है। इसमें सुष्मिता सेन ने ट्रांसजेडर की भूमिका निभाई है। वैसे बात अगर किन्नरों की हो रही है, तो हम आपको उनकी एक खास जगह के बारे में बता रहे हैं, जो दिल्ली में है। दिल्ली में दो तरह का इतिहास बसता है। एक इतिहास को जहां चमक मिली, तो दूसरा आज तक अपनी पहचान नहीं बना पाया है।
हम बात कर रहे हैं हिजड़ों के खानकाह की। वैसे तो हिजड़ों से जुड़ी किेसी भी जगह पर जाने से लोग जरा झिझकते हैं, लेकिन इनके बारे में जानना उतना ही दिलचस्प होता है। आज हम आपको खानकाह के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम भी आपने पहले कभी नहीं सुना होगा। इस जगह को खास हिजड़ों के लिए ही बनाया गया है।
कुतुब मीनार के पास है खानकाह
अगर आप कभी कुतुब मीनार जाएं, तो यह जगह बस यहां से कुछ ही दूरी पर है। यहां आपको कम से कम 50 कब्रें देखने को मिलेंगी, जिसे देखकर हो सकता है आप चौंक भी जाएं। इन्हें लोदी वंश के शासनकाल यानी 15वीं शताब्दी के दौरान यहां दफनाया गया था। यहां पर एक ऊंची जगह पर भी एक कब्र और देखने को मिलेगी जहां हाजी साहब की कब्र है। हालांकि, अब यहां किसी को दफनाया नहीं जाता है। फिर भी यह जगह हिजड़ों के लिए काफी महत्व रखती है।
क्यों खास है हिजड़ों के लिए खानकाह
खानकाह हिजड़ों के लिए अध्यात्म से जुड़ने का एक तरीका है। किन्नर अक्सर समुदाय में या अकेले यहां गुरुवार के दिन दुआ पढ़ने आते हें। इस दिन वे गरीबों को खाना भी बांटते हैं। चूंकि उनके लिए यह जगह बहुत मायने रखती है, इसलिए कुछ सालों से इस जगह की रक्षा भी किन्नर लोग ही कर रहे हैं। इस जगह के अंदर एक मस्जिद है, जिसकी देखरेख भी किन्नर ही करते हैं।
ताले में कभी बंद नहीं होता खानकाह
खानकाह परिसर के बाहर एक लोहे का दरवाजा है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस दरवाजे पर कभी ताला नहीं लगता। कुछ लोग कहते हैं कि इस जगह पर किन्नर पन्ना हाजी का हक है। ऐसा भी लोग कहते हैं कि यहां आसपास बनी दुकानों से किन्नर पन्ना हाजी कुल 100 रुपए किराया लेते हैं।
किन्नरों को दान में दी गई थी ये जगह
कहा जाता है कि सूफी संत कुतुब साहब यानी ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने यह जगह किन्नरों को दे दी थी। इसके बाद सत्तो माई , जो किन्नरों की गुरू थीं, ने इस जगह का निर्माण करवाया। इस जगह को आसपास रहने वाले लोग हिजड़ों की मस्जिद भी कहते हैं। बताया जाता है कि भारत के कई राज्यो से कई किन्नर हर साल यहां आते हैं। मोहर्रम के मौके पर यहां हलीम बनाकर बांटा जाता है।
हुजरा भी है यहां
यहां एक छोटी सी जगह है, जिसे हुजरा कहते हैं। बताया जाता है कि सत्तो माई यहां 40 दिन तक बैठकर इबादत करती थीं। उनकी याद में यहां अगरबत्ती और दीपक हर वक्त जलता रहता है।
भारत में इकलौती खानकाह
दिलचस्प बात यह है कि पूरे भारत में यह इकलौती खानकाह है। इसके अलावा पाकिस्तान में एक खानकाह बनी है। यह जगह बहुत ही शांत है। अगर आप दिल्ली में हैं और किसी सुकून वाली जगह पर जाना चाहते हैं, तो आप यहां जा सकते हैं।
कैसे पहुंचे खानकाह
खानकाह जाने के लिए आपको कुतुब मीनार के लिए मेट्रो पकड़नी होगी। कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन पर उतरकर आप यहां से ऑटो ले सकते हैं। आप कुल 10 मिनट में यहां पहुंच जाएंगे।