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जमीन बांटने के मनमाने खेल से 2833 करोड़ की चपत, कैग ने किया खुलासा…

इंपेक्ट डेस्क.

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने नोएडा प्राधिकरण की फार्महाउस आवंटन  योजना पर सवाल उठाते हुए खुलासा किया कि सरकारी खजाने को 2833 करोड़ का नुकसान हुआ। योजना में 18.37 लाख वर्गमीटर जमीन 157 आवेदकों को  बेहद कम आरक्षित मूल्य तय कर बांट दी गई। न नियम माने, न सरकार से मंजूरी ली गई।

478 पेज की यह रिपोर्ट शुक्रवार को विधान परिषद के पटल पर रखी गई। 2008-11 के बीच ये गड़बड़ियां हुईं, तब मायावती की सरकार थी। रिपोर्ट के अनुसार, किसानों से कृषि भूमि अधिग्रहित कर उन्हें कॉरपोरेट दफ्तरों से सज्जित विकसित सेक्टरों के करीब आवंटन कर दिया। इससे रियल एस्टेट बाजार में उनकी कीमत काफी बढ़ गई। सेक्टर 126 व 127 का लेखा परीक्षण टीम ने मुआयना किया, तो पाया कि सेक्टर पूर्ण विकसित हैं।

वहां न्यूनतम 10 हजार वर्गमीटर के फार्महाउस आवंटित किए, जिनमें आवंटन के साथ स्विमिंग पूल, आवासीय इकाई और खेल मैदान की मंजूरी दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, राशि चुकाने की पूरी क्षमता वाले लोगों के लिए बाजार भाव 14,400 रुपये के मुकाबले सिर्फ 3100 रुपये प्रति वर्गमीटर की आवंटन दर तय की गई। इससे जनहित नहीं सध रहा था, उलटे 2833 करोड़ की चपत लगी।

मनमानी दरों से ही 1316 करोड़ रुपये का नुकसान
रिपोर्ट में खुलासा है कि 2005-18 के बीच फार्महाउस लागत के नियम एकसमान नहीं थे। बोर्ड ने मनमाने ढंग से आवंटन दरें तय कीं। सिर्फ इसी से 1316.51 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आरक्षित मूल्यों की वृद्धि पर ध्यान दिए बिना अधिक निर्मित क्षेत्रफल का प्रावधान किया, जिससे 13,968 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली में असफलता मिली।

अरबों बकाया, फिर भी दे दी सस्ते में जमीन
आम्रपाली व यूनिटेक समूह की कंपनियों को कई आवंटन किए, जो पहले की बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रहे थे। इन दो आवंटियों पर मार्च 2020 तक 9828.49 करोड़ रुपये का बकाया था।