Madhya Pradesh

रायसेन में प्राइवेट स्कूल छोड़ आंगनबाड़ी में एडमिशन लेने की होड़, मिल रही डिजिटल शिक्षा

रायसेन
 सांची विकासखंड के रतनपुर गांव में मध्य प्रदेश की पहली डिजिटल आंगनबाड़ी का उद्घाटन किया गया है. इस मौके पर भोपाल कमिश्नर संजीव सिंह, जिला कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा, जिला पंचायत सीईओ अंजू पवन भदौरिया, महिला एवं बाल विकास अधिकारी मौजूद रहे. इस आंगनबाड़ी केंद्र को डिजिटल रूप में डेपलप किया गया. इसमें स्मार्ट टीवी, तीन सैमसंग टैबलेट, अलेक्सा डिवाइस और आईआईटी दिल्ली द्वारा तैयार किया गया पाठ्यक्रम है. बच्चे प्राइवेट स्कूल छोड़ यहां एडमिशन ले रहे हैं.
बच्चों के शैक्षणिक स्तर में हुआ सुधार

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शकुन ने बताया, "जब से आंगनवाड़ी का डिजिटलीकरण हुआ है, यहां बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है. यहां बच्चे डिजिटल डिवाइस के माध्यम से भविष्य की तकनीक को जान रहे हैं. साथ ही इन बच्चों का शैक्षणिक स्तर भी सुधर रहा है. किसी समय इस आंगनबाड़ी में 5 से 10 बच्चे ही आया करते थे, लेकिन आंगनबाड़ी का डिजिटलीकरण होने से यहां की तस्वीर बदल गई है. अब निजी संस्थानों को छोड़कर बच्चे इस आंगनबाड़ी में पढ़ने आ रहे हैं. यह सब संभव हो पाया है भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे ग्रामीण क्षेत्र के डिजिटलीकरण के कारण."

दीवारों पर उकेरी गई पाठ्य सामग्री

रतनपुर ग्राम में बनाई गई डिजिटल आंगनवाड़ी में बच्चों के लिए टैबलेटों के साथ बड़ी एलईडी टीवी लगाई गई है. साथ ही इस आंगनबाड़ी की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी भी उकेरी गई है. छत हो या दीवारें सबको बच्चों की रुचि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. दीवारों पर ABCD, 123 और हिंदी वर्णमाला के शब्दों को इस तरह से प्रदर्शित किया गया है कि बच्चे आसानी से आकर्षित होकर इन्हें सीख सकें. साथ ही आंगनबाड़ी में पदस्थ कार्यकर्ताओं को भी विशेष ट्रेनिंग दी गई है, जिससे कि वह बच्चों को डिजिटल डिवाइस के माध्यम से भविष्य की तकनीक से रूबरू करा सकें.

डिजिटलीकरण के बाद बच्चों की बढ़ी संख्या

आंगनबाड़ी में बच्चों को सैनिटाइजर से अपने हाथों की साफ सफाई के बारे में भी सिखाया जा रहा है. बच्चे डिजिटल डिवाइस में चित्रकारी करते हैं, पढ़ाई करते हैं और नए-नए शब्दों को सीखते हैं. इन बच्चों को यहां पर भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है. पूरा प्रांगण इस तरह से तैयार किया गया है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे यहां पर आ सके और नई-नई चीजें सीख सकें. डिजिटल आंगनबाड़ी तैयार होने के बाद से यहां पर बच्चों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. परिजन काफी खुशी से अपने बच्चों को भेज रहे हैं. यहां बच्चों के खेलने का भी इंतजाम किया गया है.

बच्चों को सिखाने का नया प्रयोग

महिला बाल विकास अधिकारी दीपक संकत ने कहा, "भारत सरकार के यूआईडीएआई डिपार्टमेंट के माध्यम से देश के कुछ राज्यों में डिजिटल आंगनबाड़ी केंद्र शुरू किए गए हैं, जो एक नया प्रयोग है. इन आंगनबाड़ी केंद्रों में जो बच्चे हैं, उनकी डिजिटल उपकरणों के जरिए नई तरह से पढ़ाई करवाई जा रही है. इसमें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य और शब्दों को पहचानने के लिए रंगों को पहचानने के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई करवाई जाती है."

भारत सरकार ने स्वीकृति किया प्रस्ताव

दीपक संकत ने कहा, "जिला कलेक्टर के निर्देश पर हमने भारत सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था. भारत सरकार ने हमारे प्रस्ताव को मानते हुए पूरे मध्य प्रदेश में सिर्फ रायसेन जिले के सांची विकासखंड में 2 डिजिटल आंगनबाड़ियों की स्वीकृति दी है, जिनमें आधुनिक शिक्षा दी जा रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई करवा रही हैं. उन्हें टैबलेट दिए गए हैं, जिनके माध्यम से वस्तुओं की आकृति स्क्रीन पर थ्री डाइमेंशनल तरीके से बनाकर बच्चों को पढ़ाया जाता. बच्चे उसे आसानी से देखकर छूकर समझ सकते हैं.
डिजिटलीकरण से आसानी से सीख रहे बच्चे

ग्राम रतनपुर की आंगनबाड़ी केंद्र में आदिवासी बच्चे आते हैं. पहले इस आंगनबाड़ी में बच्चे रूटीन की पढ़ाई में विशेष रुचि नहीं लेते थे, जब से आधुनिक कारण किया गया है तब से बच्चों की संख्या के साथ उपस्थित बढ़ गई है. परिजन भी अपने बच्चों को यहां लेकर आते हैं. अब स्थिति ऐसी है कि बच्चों को अंक समझ में आते हैं. शब्दों के आकार और उनसे जुड़े हुए अर्थ भी समझ आते हैं.

 
दिल्ली आईआईटी की टीम ने किया निरीक्षण

वहीं, दिल्ली से यहां थर्ड पार्टी ऑडिट भी हुआ था, जहां दिल्ली आईआईटी की पांच सदस्य टीम ने तीन से चार दिन यहां रुक कर आंगनबाड़ी की उपयोगिता का आकलन किया. उन्होंने बच्चों के माता-पिता से भी संपर्क किया और उनसे बात की. परिजन ने बताया कि उनके बच्चे रायसेन शहर के सेंट फ्रांसिस कान्वेंट स्कूल में जाया करते थे. उन्होंने अपने छोटे बच्चों का दाखिला इस आंगनबाड़ी में सिर्फ इसलिए करवा दिया क्योंकि यहां पर शिक्षा का स्तर निजी स्कूलों से अच्छा है.