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इंद्रावती टाइगर रिजर्व की त्रासदी: घायल भटकते बाघ को लेकर वन विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल… बजट पूरा खर्च पर काम ढेले भर का भी नहीं…

इम्पेक्ट न्यूज। बीजापुर, छत्तीसगढ़।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व में एक घायल बाघ के तीन हफ्ते से अधिक समय तक जंगल में भटकने की घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि शिकारियों द्वारा घायल किए गए इस बाघ को समय पर रेस्क्यू नहीं किया गया, जिसके कारण उसकी हालत और बिगड़ गई। इस घटना ने क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण और विभागीय उदासीनता को लेकर स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों में रोष पैदा कर दिया है। जबकि टायगर रिजर्व के अधिकारी यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि उन्हें सूचना मिली तो स्थानीय लोगों के साथ घायल बाघ को ट्रेप किया गया। जबकि जिस दिन हमले में एक शिकारी की मौत की सूचना आई उसी दिन से घायल बाघ के बारे में सभी को पता चल चुका था। इसके बावजूद नक्सली भय बताकर बाघ के संरक्षण में ढिलाई बरती गई।

सच्चाई तो यह है कि पिछले कुछ महीनों में इंद्रावती टाइगर रिजर्व के आसपास अवैध शिकार की घटनाएं बढ़ी हैं। वन विभाग ने इस क्षेत्र से चार बाघों की खाल तस्करों से बरामद की थीं, जो इस बात का संकेत है कि रिजर्व में शिकार और तस्करी का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण नियमित गश्त और निगरानी में कमी रही है, जिसका फायदा शिकारी उठा रहे हैं।

वन विभाग पर सवाल:
स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने वन विभाग के बजट आवंटन और उसकी उपयोगिता पर सवाल उठाए हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “नक्सलियों की दहशत के नाम पर गश्त नहीं होती, लेकिन विभाग को हर साल भारी-भरकम बजट मिलता है। यह पैसा कहां खर्च हो रहा है?” विभाग की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व का परिचय:
इंद्रावती टाइगर रिजर्व, बीजापुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर जगदलपुर-भोपालपट्टनम मार्ग पर स्थित है। यह छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में 2,799.07 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

क्षेत्रीय और कानूनी स्थिति:

क्रम संख्यास्थितिक्षेत्र (वर्ग किमी)कानूनी स्थिति
1.इंदरावती टाइगर रिजर्व (कोर और बफर क्षेत्र)
कोर क्षेत्र (महत्वपूर्ण टाइगर आवास)1,258.37आरक्षित वन: 261.50, संरक्षित वन: 728.69, अचिह्नित संरक्षित वन: 203.71, कुल वन क्षेत्र: 1,193.90, राजस्व क्षेत्र: 64.47
बफर क्षेत्र1,540.70आरक्षित वन: 639.33, संरक्षित वन: 221.26, अचिह्नित संरक्षित वन: 577.67, कुल वन क्षेत्र: 1,438.26, राजस्व क्षेत्र: 102.44
कुल2,799.07आरक्षित वन: 900.83, संरक्षित वन: 949.95, अचिह्नित संरक्षित वन: 781.38, कुल वन क्षेत्र: 2,632.16, राजस्व क्षेत्र: 166.91

कानूनी स्थिति: इंदरावती टाइगर रिजर्व को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया है। इसका नाम इंदरावती नदी के नाम पर रखा गया है, जो रिजर्व के उत्तरी और पश्चिमी हिस्से से होकर बहती है और छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा बनाती है। सन् 1975 में स्थापित यह रिजर्व प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा है और मध्य भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है।

अफसोस की बात तो यह है कि सीसीएफ RC दुग्गा ने मीडिया से यह कहा कि बाघ का पैर चट्टान में फंसने के कारण भी घायल हो सकता है। जबकि तस्वीर में साफ है कि घायल बाघ के पंजे में फंसे तार को आपरेट करके निकाला गया।

दूसरी तस्वीर में यह साफ है कि निकाला गया कंटीला तार शिकारियों की कारस्तानी ही है।

विविध आवास और जैव-विविधता:
रिजर्व में सागौन मिश्रित वन, मिश्रित वन, घास के मैदान, नदी-तटीय क्षेत्र और पर्यावरण-संक्रमण क्षेत्र (इको-टोन्स) जैसे विविध आवास पाए जाते हैं। यहां 102 प्रकार के वृक्ष, 28 प्रकार की लताएं, 46 प्रकार की झाड़ियां, बांस, फर्न और ब्रायोफाइटा मौजूद हैं। प्रमुख वन्य जीवों में बाघ, तेंदुआ, जंगली भैंसा, नीलगाय, चीतल, सांभर, भालू, गौर और मोर शामिल हैं। नदी-तटीय क्षेत्र और घास के मैदान शाकाहारी जानवरों और शिकार की प्रचुरता के लिए आदर्श हैं, जिसके कारण बाघों की गतिविधि इन क्षेत्रों में अधिक देखी जाती है। चट्टानी आश्रय और गुफाएं बड़े और छोटे जंगली जानवरों के लिए गलियारे के रूप में कार्य करती हैं। घास के मैदानों और वनों के किनारे पक्षियों और जंगली भैंसों के लिए पसंदीदा हैं।

प्रबंधन की चुनौतियां:
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में कई चुनौतियां हैं, जिनमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा और संचार व्यवस्था की कमी, कोर क्षेत्र में मौजूद गांवों का स्वैच्छिक पुनर्वास, और स्थानीय लोगों के लिए टिकाऊ आजीविका विकल्पों की आवश्यकता शामिल है। इसके अलावा, शिकार की कमी और मानवीय गतिविधियों के कारण बाघों की संख्या में कमी देखी गई है।

कॉरिडोर और कनेक्टिविटी:
इंद्रावती रिजर्व, भैरमगढ़ और पामेड वन्यजीव अभयारण्यों के साथ मिलकर एक विशाल इंद्रावती लैंडस्केप बनाता है, जो तेलंगाना के कावल, महाराष्ट्र के ताडोबा और मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है। यह कनेक्टिविटी वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन अवैध शिकार और मानवीय अतिक्रमण इसे खतरे में डाल रहे हैं।

इस घटना ने इंद्रावती टाइगर रिजर्व में वन्य जीव संरक्षण के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत को उजागर किया है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि नियमित गश्त, उन्नत निगरानी तकनीकों का उपयोग, और स्थानीय समुदायों को संरक्षण में शामिल करने से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। बाघ की स्थिति अभी गंभीर बनी हुई है, और उसे बचाने के लिए चिकित्सा प्रयास जारी हैं। इंद्रावती टाइगर रिजर्व की प्राकृतिक विरासत और जैव-विविधता इसे एक अनमोल धरोहर बनाती है, लेकिन वन विभाग की लापरवाही और प्रबंधन की कमियों ने इसके संरक्षण को खतरे में डाल दिया है। यह समय है कि विभाग अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से ले और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए।