मध्यप्रदेश बना जीसीसी नीति लागू करने वाला भारत का पहला राज्य
भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भारत की पहली समर्पित ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) नीति 2025 लागू की है। इससे राज्य नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर हो गया है। यह नीति भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसे टियर-2 शहरों को वैश्विक परिचालन केंद्रों के रूप में विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिससे भारत में विस्तार की चाह रखने वाले व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलेगा। आईटी, आईटीईएस और ईएसडीएम इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी-2023 की सफलता को आगे बढ़ाते हुए यह नई नीति मध्यप्रदेश को एक सशक्त जीसीसी ईको सिस्टम प्रदान करने और राज्य को भारत के तकनीकी विकास में अग्रणी बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हाल ही में इस नीति को कैबिनेट की स्वीकृति मिल चुकी है, जो इसके रणनीतिक महत्व और प्रभावी क्रियान्वयन के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाती है।
भारत पहले से ही वैश्विक जीसीसी परिदृश्य में अग्रणी है, जहां इसका 50% से अधिक बाजार हिस्सेदारी है और 2023 में यह सेक्टर 46 अरब डॉलर का था, जो 2030 तक 110 अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना है। वर्तमान में भारत में 1,600 से अधिक जीसीसी परिचालन में हैं, जहां 19 लाख से अधिक पेशेवर कार्यरत हैं और 2030 तक यह संख्या 45 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। मध्यप्रदेश के लिए यह क्षेत्र में प्रवेश करने का उपयुक्त समय है, जिससे वह 2030 तक अनुमानित 2,400 से अधिक जीसीसी केंद्रों में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी प्राप्त कर सकेगा।
जीसीसी नीति के तहत प्रमुख फोकस सेक्टर
मध्यप्रदेश की जीसीसी नीति में पारंपरिक परिचालन के लिए लेवल-1 जीसीसी और उच्च-मूल्य नवाचार के लिए एडवांस जीसीसी को लक्षित किया गया है। नीति आईटी/आईटीईएस, ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल्स, जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम और अन्य तकनीकी क्षेत्रों पर केंद्रित है। राज्य में 5 विशेष आर्थिक क्षेत्र और 15 से अधिक आईटी पार्क हैं, जो उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों के लिए समर्पित उत्कृष्टता केंद्रों से सुसज्जित हैं।
मध्यप्रदेश की स्वच्छतम शहरों में पूरे वर्ष कम वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दर्ज किया जाता है, जिससे श्रेष्ठ जीवनशैली और कार्य-जीवन संतुलन सुनिश्चित होता है। यहां कम यात्रा समय और किफायती जीवनयापन के कारण पेशेवरों और व्यवसायों के लिए यह आदर्श स्थान बनता जा रहा है। स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य की कुल स्थापित क्षमता का 27% नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों से आता है और ओपन एक्सेस नीतियों के तहत उद्योगों को इसका अधिकतम लाभ मिल रहा है।
मध्यप्रदेश में निवेश और व्यवसायों की स्थापना को सरल बनाने के लिए "नो क्वेरी पोर्टल" के माध्यम से सिंगल विंडो क्लियरेंस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। निवेशकों को मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के माध्यम से व्यापक सहायता प्रदान की जाती है।
मध्यप्रदेश में व्यवसाय संचालन की लागत मेट्रो शहरों की तुलना में काफी कम है, जहां कार्यालय स्थान पर 50% तक की बचत, संचालन लागत में 55% तक की कमी और रहने की लागत 60% तक कम है, जिससे यह कंपनियों और पेशेवरों के लिए एक आकर्षक स्थान बनता जा रहा है।
राज्य की नई नीति के तहत कंपनियों को विभिन्न प्रोत्साहन दिए जाएंगे, जिसमें 40% पूंजीगत सब्सिडी (अधिकतम 30 करोड़ रुपये तक), किराया सहायता और पेरोल सब्सिडी शामिल हैं। इसके अलावा, अपस्किलिंग व री-स्किलिंग के लिए प्रतिपूर्ति, मार्केटिंग सहायता, पेटेंट फाइलिंग और आर एण्ड डी खर्चों पर अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व में मध्यप्रदेश की यह नीति सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भविष्य का वादा, सतत विकास का रोडमैप और तकनीकी क्रांति में अग्रणी बनने का संकल्प है। जीसीसी नीति-2025 के माध्यम से राज्य भारत के तकनीकी नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी प्रमुख भूमिका सुनिश्चित कर रहा है।