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संविदा चिकित्सा सेवा की बाध्यता से अनेक प्रतिभाशाली डॉक्टर पीजी करने दूसरे राज्यों का रुख करने को मजबूर

रायपुर
 छत्तीसगढ़ में प्रतिभा पालयन तेजी हो रहा, खासकर मेडिकल क्षेत्र में। राज्य में एक तरफ विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी बाध्यतायें ऐसी हैं कि प्रतिभाशाली युवा चिकित्सक उच्च शिक्षा प्राप्त करने दीगर राज्यों का रुख कर रहे हैं।

         स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बाद प्रदेश और देशभर की मेडिकल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटा और राज्य कोटा के पीजी काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस निर्देश के बाद राज्य  मंत्रालय के स्वास्थ्य विभाग ने भी MBBS के बाद स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनने के लिए पीजी में चयनित डॉक्टर की मेरिट लिस्ट जारी कर दी है। 
लेकिन आलम ये है कि डॉक्टर चाहते हुए भी, राज्य के मेडिकल कॉलेजों  में पीजी  में एडमिशन नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि अनेक छात्र अच्छी पोजीशन लाने के बाद भी अन्य राज्यों का रुख कर रहे हैं।

प्रदेश की मेरिट लिस्ट में, दूसरा स्थान बनाने वाले, डॉक्टर विनय अग्रवाल, इंदौर की एमजेएम मेडिकल में "मेडिसिन" ब्रांच में आल इंडिया कोटे से एडमिशन ले रहे हैं। वे  इसका कारण बताते है, प्रदेश में शासकीय कॉलेजों से पीजी करने के बाद 2 साल की शासकीय संविदा सेवा करने की अनिवार्यता। डॉ विनय ने शासन से मांग है की  इस अनिवार्यता को समाप्त किया जाना चाहिए,  ताकि  जो इस प्रदेश में चिकित्सा सेवा देना चाहते हैं, मजबूरी में पलायन ना करना पड़े । डॉक्टर विनय कहते हैं कि जब आंध्र प्रदेश में, तेलंगाना में, गुजरात में और भी अन्य प्रदेशों में , इस तरह का बंधन नहीं है  तो फिर छत्तीसगढ में ऐसी बाध्यता क्यों?  वे  इसे अप्रासंगिक बताते हुए कहते हैं कि सन 1997 में कि जब नियम बना था, तब देश में और प्रदेश में डॉक्टरों की कमी थी। आज माननीय प्रधानमंत्री जी हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने जा रहे हैं, आयुष्मान भारत हेल्थ कार्ड से  बङे से बङे अस्पतालों में, इलाज करने की सुविधा गरीब नागरिकों को भी प्राप्त है । ऐसे में छत्तीसगढ़ को इस बंधुआ मजदूरी से डॉक्टर को मुक्त करना चाहिए, इससे राज्य में प्रतिभान डाक्टरो का पलायन रूकेगा ।"

     उल्लेखनीय है कि देशभर की मेडिकल कॉलेजों  से  MBBS कर चुके डॉक्टरों को  उच्च शिक्षा  अर्थात पीजी सीटों (स्पेशलिस्ट डॉक्टर ) के लिए देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षा  NEET PG   देनी होती है .ये परीक्षा NBE  ( नेशनल बोर्ड ऑफ़ एग्जामनेशंस ) द्वारा आयोजित की जाती है . वर्ष 2024 की NEET  PG के चयन में 6 माह की देरी  हुई हैं . पीजी की सीटे कम होने के कारण , मेरिट लिस्ट में रेडियोलॉजी , स्किन  और मेडिसिन में मेरिट लिस्ट बहुत हाई जाती है.

         प्रदेश के एक छोटे से गांव खम्हारपाली ( सरायपाली ) जिला महासमुंद के डॉ विनय अग्रवाल  ने, अपने पहले ही प्रयास में  सफल हुईं , अपितु नीट पीजी 2024 की,  छत्तीसगढ़ राज्य की मेरिट लिस्ट में  दूसरा स्थान हासिल किया है .   डाॅ विनय ने  एमबीबीएस की पढाई अक्टूबर 2023 में  से पूरी की . वो नीट पीजी -2024 की परीक्षा में शामिल हुए . डॉक्टर विनय ने कई मुश्किलों के बीच अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की । छोटे से गांव खमारपाली पायमरी तक स्कूल से पढाई  कर, हाई स्कूल के लिए , उसे 10 किलोमीटर दूर सरायपाली टैक्सी या अन्य व्हीकल से रोज आना जाना पड़ता था।  यही नही, गांव में हमेशा बिजली कट के बीच, उसे लालटेन से पढाई करनी पड़ती थी  . स्कूली पढाई के बाद वो एक साल कोचिंग के लिए कोटा गए। वर्ष 2017 में पहले पहले एटीएम में 12वीं के बाद वह एमबीबीएस में सिलेक्ट हो गए और वह रायपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर अब इंदौर में मेडिसिन में विशेषज्ञ डॉक्टर बनेंगे।

      3 साल की मेडिकल की पीजी की पढाई के बाद डाक्टर विनय छत्तीसगढ़ में ही गरीब और गांव के लोगो को अपनी सेवाये देने की इच्छा रखते है। डाक्टर विनय को, इस बात का बेहद अफ़सोस है कि चाहते हुए भी, वो छत्तीसगढ़ से मेडिकल पीजी नहीं कर पाये । क्योंकि यहाँ 3साल पीजी की पढाई के बाद , 2 साल संविदा चिकित्सा के नाम पर , कैरियर बर्बाद करना पड़ता है .