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भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि: विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था…

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नई दिल्ली। 25 मई, 2025।

भारत ने वैश्विक आर्थिक मंच पर एक और सुनहरा अध्याय जोड़ते हुए जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत की नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो जापान की 4.18 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी से थोड़ा अधिक है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने इस उपलब्धि की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत की यह प्रगति देश के दूरदर्शी नेतृत्व, मजबूत नीतियों और 140 करोड़ नागरिकों के अथक परिश्रम का परिणाम है।

एक दशक का आर्थिक उत्थान
पिछले एक दशक में भारत की अर्थव्यवस्था ने अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। 2014 में जहां भारत विश्व की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, वहीं 2022 तक यह पांचवें स्थान पर पहुंच गया था। अब, 2025 में जापान को पछाड़कर भारत ने चौथा स्थान हासिल किया है, जो वैश्विक मंच पर इसके बढ़ते कद को दर्शाता है। आईएमएफ के अनुसार, भारत की जीडीपी पिछले दशक में 105% बढ़ी है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज वृद्धि दरों में से एक है।

इस उपलब्धि के पीछे कई कारक हैं। भारत ने विनिर्माण, डिजिटल अर्थव्यवस्था, और बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलों ने न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया, बल्कि वैश्विक निवेशकों का ध्यान भी आकर्षित किया। माइक्रॉन और सैमसंग जैसी कंपनियों का भारत में निवेश इस बात का प्रमाण है कि भारत अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।

वैश्विक चुनौतियों के बीच उपलब्धि
यह उपलब्धि इसलिए और भी खास है, क्योंकि यह वैश्विक व्यापार युद्ध और भू-राजनीतिक तनावों के दौर में हासिल की गई है। अमेरिकी टैरिफ नीतियों और जापान में बढ़ती मुद्रास्फीति (3.5% तक) ने जहां अन्य अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया, वहीं भारत ने 6.5% की विकास दर बनाए रखी। जापान की अर्थव्यवस्था, जो कई वर्षों से ठहराव का सामना कर रही है, को भारत ने अपनी गतिशील नीतियों और युवा कार्यबल की बदौलत पीछे छोड़ दिया।

भविष्य की राह
नीति आयोग के सीईओ ने भविष्य के लिए भी आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि यदि भारत अपनी वर्तमान नीतियों और योजनाओं पर कायम रहा, तो अगले ढाई से तीन वर्षों में जर्मनी को पीछे छोड़कर यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएमएफ का अनुमान है कि 2028 तक भारत की जीडीपी 5.58 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना है, जो अब पहले से कहीं अधिक संभव प्रतीत होता है।

चुनौतियां और समावेशी विकास
हालांकि, यह उत्साहवर्धक प्रगति कई चुनौतियों के साथ भी आती है। बेरोजगारी, कृषि संकट, और शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में असमानता जैसे मुद्दे अभी भी बाधाएं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल आर्थिक आंकड़ों में वृद्धि पर्याप्त नहीं है; भारत को समावेशी और टिकाऊ विकास की दिशा में कदम उठाने होंगे ताकि इस प्रगति का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।

भारत का चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल एक आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि देश की सामूहिक शक्ति और संकल्प का प्रतीक है। यह उपलब्धि न केवल वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि भविष्य में और बड़े लक्ष्यों को हासिल करने की प्रेरणा भी देती है। अब आवश्यक है कि सरकार, उद्योग, और नागरिक मिलकर इस गति को बनाए रखें और भारत को विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार करें।