क्रिसमस और न्यू ईयर का पार्टी के लिए बेस्ट है इंडिया कि ये जगह
हर साल क्रिसमस और न्यू ईयर का इंतजार होता है। ये दो ऐसें फेस्टिवल है जो बहुत ही करीब पडते है। इसके लोग सभी के दिमाग में होता है कि हम ऐसी जगह जाए जहां पर दोनों सेलिब्रेट कर सके। क्योंकि हर इंसान अपनी जीवन में इतना व्यस्त होता है कि और किसी के लिए समय ही नही निकाल पाते है जिसके कारण हम ऐसे समय को चुनते है जिसमें सभी साथ हो।
तो फिर सोचना क्या जाइए उन जगहों पर जहां पर आप अपनी तनाव के जीवन से मुक्चत, शांति मिलें। चाहे वह सिर्फ दो दिन की क्यों न हो। जिससे आपकी पूरी थकान गायब हो जाएं। साथ ही प्रभु ईसा के सामने जाकर प्रार्थना कर सकते है। जिससे आपको और आपके दिल को सुकून मिलेगा। तो फिर देर किस बात कि जाइए इन मशहूर और खूबसूरत चर्च में जहां पर आपको एक सुकून मिलेगा। साथ ही जब आप इन्हे देखेगे तो यूरोपियन चर्चों का अहसास होता है। जो अपने आप में बहुत खूबसूरत होती है। जानिए ऐसी चर्च के बारें में।
कैथेड्रल चर्च, दिल्ली
मुक्ति के कैथेड्रल चर्च को विक्ट्री चर्च के नाम से भी जाना जाता है। ये इंडिया के सबसे सुंदर चर्चों में से एक मानी जाती है। यद चर्च संसद भवन और राष्ट्रपति भवन के पहले पडती है। इस चर्च को हेनरी मड्ड ने साल 1927 और साल 1935 के दौरान बनवाया था।
यह चर्च औपनिवेशिक शैली की वास्तुकला का एक आदर्श उदाहरण है। यह चर्च देखने में आपके बर्थ डे केक की तरह दिखता है। जिसके ऊपर कैंडल भी लगी हुई है। इसको इस तरह बनाया गचा है कि गर्मी के मौसम में ये ठंडा रहता है। आप अगर यहां जाना चाहते है तो आसानी से जा सकते है। यहां पर प्रवेश में कोई प्रतिबंध नही है। इस चर्च के चारों और मौजबद हरे-भरे पेड़ और शांति आपका मन मोह लेगी।
सेंट फिलोमिना चर्च, मैसूर
इस चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से भी जाना जाता है। इसे गौथिक वास्तुशिल्पीय शैली में बनाया गया था। यह चर्च देश के प्रमुख शहरों में एक मैसूर में है। इसके अंदर संगमरमर की वेदी पर सेंट फिलोमेना और जीजस क्राइस्ट की मूर्ति है। जो देखने में आपको अपनी ओर आकर्षित करेगी। इस चर्च में ग्लास पेंटिंग्स लगी हुई है। जिसमें ईसा मसीह के जन्म से लेकर पुनर्जन्म तक की घटनाओं वर्णित है। इसके साथ ही आप मैसूर की अन्य जगह का भी आन्नद ले सकते है।
सेंट फ्रांसिस, कोच्चि
सेंट फ्रांसिस चर्च भारत का पहला यूरोपियन चर्च है इसे साल 1503 में बनवाया गया था। ये चर्च कई हमलों और अनगिनत समझौतों के साक्षी माना जाता है। साल 1923 भारत में यूरोपियन कोलोनी के स्ट्रगल को इस चर्च के द्वारा देखा जा सकता है। इस चर्च को अब मॉन्यूमेंट के तौर पर सुरक्षित रखा गया है।
सेंट जॉन चर्च, नैनीताल
नैनीताल के हाई कोर्ट के पास स्थित सेंट जॉन चर्च सबसे पुराना है। गौथिक शैली में निर्मित चर्च की दीवारें ब्रिटिश राज की मजबूत व आकर्षक भवन निर्माण शैली की याद ताजा करती हैं। इस चर्च में क्रिसमस पर प्रार्थना सभा नहीं होती है बल्कि नैनीताल में हुए विनाशकारी भूस्खलन के दिवंगतों की याद में प्रार्थना सभा होती है। यह चर्च 1846 में बना है। यह चर्च भूस्खलन में शिकार हुए लोगों की एक स्मारक के रूप में बनाया गया है। जो लोग इस भूस्खलन में मरे थे उनके नाम की पट्टिका इस चर्च में पीतल के एक पट्टिका लगी हुआ है।
क्राइस्ट चर्च, शिमला
वैसे तो आपने शिमला में घूमने के बारें में बहुत सुना होगा। लेकिन जो यहां पर चर्च है वहां नहीं गए तो शिमला जाना बेकार हैं। आज इस चर्च को शिमला का ताज कहा जाता है। इसे साल 1857 में नियो गोथिक कला में बना यह चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिशन कम्युनिटी के लिए बनाया गया था जिसे उस समय सिमला कहते थे। इस चर्च को कर्नल जेटी बोयलियो ने साल 1844 में डिजाइन किया था। इसे बनाने में पूरे 13 साल लगे थे। इस चर्च में कुछ खास तरह से डिजाइन किया गया है कि इस चर्च के चारों ओर पांच खिडकिया है। जो कि बहुत ही कीमती कांच से बनाई गी है। ये खिड़कियां ईसाई धर्म के विश्वास, उम्मीद, परोपकार, धैर्य, विनम्रता का प्रतीक है।