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RTE के तहत गुजरात में 86,274 बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में मिला एडमिशन, पहले चरण की प्रक्रिया हुई पूरी

अहमदाबाद गुजरात में शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए राइट टू एजुकेशन (RTE) अधिनियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश देने की प्रक्रिया के पहले चरण में 86,274 बच्चों को पहली कक्षा में दाखिला मिला है. यह दाखिले राज्य की कुल 9,741 प्राइवेट स्कूलों में आरक्षित 93,860 सीटों में से हुए हैं. RTE कानून के अनुसार, राज्य की मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को अपनी पहली कक्षा की कुल सीटों में से 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) और

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Madhya Pradesh

अशासकीय स्कूलों में ऑनलाइन नि:शुल्क प्रवेश प्रक्रिया 5 मई से होगी

भोपाल प्रदेश में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की कार्यवाही पारदर्शी तरीके से की जायेगी। इसके लिये कमजोर वर्ग एवं वंचित समूह के बच्चों के नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया का टाइम टेबल घोषित कर दिया गया है। शिक्षण सत्र 2025-26 में 5 मई से प्रवेश प्रक्रिया की कार्यवाही शुरू की जा रही है। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिला कलेक्टर्स और जिला परियोजना समन्वयक को निर्देश जारी किये हैं। जारी कैलेण्डर के अनुसार 5 मई, 2025 को नि:शुल्क प्रवेश के लिये मान्यता

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Madhya Pradesh

सूचना का अधिकार कोई एहसान नहीं, यह हमारा संवैधानिक हक है

जबलपुर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला – RTI को कमजोर करने वालों को मिलेगा करारा जवाब मामला: डॉ. जयश्री दुबे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग एवं अन्य फैसला दिनांक: 03 अप्रैल 2025 स्थान: उच्च न्यायालय, जबलपुर यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए एक मिसाल है जो सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी की उम्मीद रखते हैं। आइए, जानिए इस ऐतिहासिक फैसले के प्रमुख बिंदु: 1. नौकरी से संबंधित दस्तावेज अब ‘गोपनीय’ नहीं रहेंगे: यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्त हुआ है, तो उसकी शैक्षणिक योग्यता, अनुभव प्रमाणपत्र,

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Madhya Pradesh

MP में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 12वीं तक एजुकेशन फ्री करने की संभावना बढ़ी

भोपाल  मध्यप्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के तहत पढ़ रहे बच्चों को कक्षा 12वीं तक मुफ्त शिक्षा का लाभ मिलने की संभावना है. अभी शिक्षा का अधिकार कानून के तहत कक्षा 8 वीं तक ही बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है. अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मुख्यमंत्री के सामने प्रदेश में इसका दायरा 12 वीं तक किए जाने और परिवार के साथ पलायन करने वाले आदिवासी बच्चों को दूसरे जिलों में शिक्षा का लाभ दिलाने की व्यवस्था शुरू करने की मांग की है.

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