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अब चीन और पाकिस्तान की कोई भी पनडुब्बी या जहाज समंदर में चुपके से नहीं आ पाएंगे, भारत को अमेरिका दे रहा ऐसी तकनीक

नई दिल्ली
अब चीन और पाकिस्तान की कोई भी पनडुब्बी या जहाज समंदर में चुपके से नहीं आ पाएंगे. अमेरिका ने भारत को एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सोनोबुऑय (ASW Sonobuoys) देने की डील की है. ये डील  52.8 मिलियन डॉलर्स यानी 442 करोड़ रुपए से ज्यादा की है.

आइए जानते हैं कि क्या होते हैं ये सोनोबुऑय.
सोनोबुऑय खास तरह के यंत्र होते हैं, जो समंदर के नीचे और ऊपर चलने वाले किसी भी जहाज या पनडुब्बी को डिटेक्ट करके उसकी पोजिशन, लोकेशन और मूवमेंट की जानकारी देते हैं. नीचे दिया गया वीडियो दो साल पुराना है, लेकिन इसमें सोनोबुऑय की तैनाती और उसके काम करने के पूरे तरीके को दिखाया गया है…

इन्हें कैसे छोड़ा जाता है…
इन्हें MH-60R Romeo हेलिकॉप्टर, MQ-9B Sea Guardian ड्रोन या किसी भी विमान से पानी के अंदर ड्रॉप किया जा सकता है. ये पैराशूट के सहारे समंदर में गिरता है. फिर पैराशूट अलग हो जाता है. सोनोबुऑय का एक हिस्सा ऊपर आ जाता है. दूसरा पानी में चला जाता है.

क्या ये गोता लगाते हैं…
सोनोबुऑय यंत्र का एक हिस्सा पानी के ऊपरी सतह पर तैरता है. दूसरा हिस्सा तार से जुड़ा रहता है, जो पानी के अंदर कुछ मीटर की गहराई में होता है.

कैसे काम करता है सोनोबुऑय…
सोनोबुऑय पानी के अंदर से आने वाली आवाजों को डिटेक्ट करता है, जैसे पनडुब्बी के प्रोपेलर की आवाज या पानी के अंदर किसी खास तरह के दबाव की आवाज.

इसका सिग्नल कौन रिसीव करता है…
यह निर्भर करता है कि नौसेना या सेना इसके सिग्नल का रिसिवर किसे बनाती है. अगर हेलिकॉप्टर है तो वह रिसीव करेगा. या फिर सी गार्जियन ड्रोन. या कोई अन्य विमान. ये रेडियो सिग्नल होते हैं, जो ये बताते हैं कि आपकी समुद्री सीमा में दुश्मन का जहाज या पनडुब्बी आ चुका है. इतनी दूरी है. इस तरह की मूवमेंट है. ये लोकेशन है.

इसके बाद शुरू होती है दुश्मन की पनडुब्बी को भगाने की तैयारी…
एक बार सिग्नल रिसीव हो गया तो नौसेना अपने रोमियो हेलिकॉप्टर या सी-गार्जियन ड्रोन के जरिए मिसाइल या टॉरपीडो अटैक करके दुश्मन सबमरीन को खत्म कर सकती है. या उसे सीमा से दूर भगा सकती है.