Madhya Pradesh

HC से मेडिकल छात्र को मिली बड़ी राहत, ऑरिजनल दस्तावेज अब लौटाएगा कॉलेज

जबलपुर
 हॉस्टल में हुई गतिविधियों के कारण डिप्रेशन में आकर मेडिकल छात्र मनोरोगी हो गया है। इसकी वजह से छात्र ने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी है। अब कॉलेज प्रबंधन ओरिजनल दस्तावेज वापस लौटाने के एवज में तीस लाख रुपए की मांग कर रहा है । एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगल पीठ ने याचिका पर सुनवाई की है। साथ ही याचिकाकर्ता छात्र को ओरिजनल दस्तावेज वापस लौटाने के आदेश जारी किए हैं।

भोपाल में लिया था एडमिशन

दरअसल, अहमदाबाद गुजरात निवासी डॉ मीत यादव की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसने साल 2023 में पीपुल्स डेंटल अकादमी भोपाल में बीडीएस सीट में दाखिला लिया था। हॉस्टल में हुई गतिविधियों के कारण वह डिप्रेशन में चला गया था। डिप्रेशन बढ़ने के कारण वह मनोरोगी हो गया है। याचिका के याचिकाकर्ता के मेडिकल दस्तावेज भी पेश किए।

माता-पिता का साथ रहना जरूरी

याचिकाकर्ता की स्थिति ऐसी है कि माता-पिता का उसके साथ रहना आवश्यक है। माता-पिता के साथ नहीं रहने पर वह आत्मघाती कदम उठा सकता है। वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संधी ने युगलपीठ को बताया कि हॉस्टल में हुए अनैतिक गतिविधियों के कारण याचिकाकर्ता की ऐसी स्थिति हुई है।

मजबूरन छोड़नी पड़ी सीट

दरअसल, वकील ने कहा है कि उसे मजबूरन मेडिकल सीट छोड़नी पड़ी थी। बीडीएस की सीट छोडने पर कॉलेज प्रबंधन द्वारा शिक्षा संबंधित ओरिजनल दस्तावेज वापस लौटाने के एवज में तीस लाख रुपए की मांग कर रहा है। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि दाखिले के समय उसने बॉन्ड साइन किया था। जिसकी शर्त के अनुसार मेडिकल सीट बीच में छोड़ने के एवज पर तीस लाख रुपए का भुगतान करना होगा।

मेडिकल सीट छोड़ने के एवज में छात्रों से तीस लाख रुपए लेने के मामला लोकसभा में उठाया गया था। नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस पॉलिसी पर पुनर्विचार करने के निर्देश मध्य प्रदेश सरकार को दिए थे। मध्य प्रदेश सरकार ने साल 2025 से उक्त पॉलिसी को समाप्त करने का निर्णय लिया है।

सरकार द्वारा गलत पॉलिसी निर्धारित की गयी थी कि पूर्व में दाखिला लेने वाले छात्रों पर उसे कैसे लागू किया जा सकता है। याचिकाकर्ता की स्थिति ऐसी है कि माता-पिता का उसके साथ रहना आवश्यक है। माता-पिता के साथ नहीं रहने पर वह आत्मघाती कदम उठा सकता है। युगल पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश जारी किए। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अंतिम निर्णय के याचिका के अधीन रहेगा।