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एस्सार—नक्सल सांठगांठ के मामले में #NIA अदालत ने जीएम वर्मा और सोनी सोरी समेत सभी चार आरोपियों को दोषमुक्त किया… पुलिस द्वारा जप्त दिखाए गई रकम ठेकेदार बीके लाला को वापस करने का आदेश…

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इम्पेक्ट न्यूज। दंतेवाड़ा।

soni sori and linga ram kodopi (photo – ashutosh bhardwaj)

सितंबर 2011 में एस्सार और माओवादियों के बीच पैसे के लेन—देन को लेकर कुआकोंडा पुलिस की कार्रवाई के मामले में दस बरस बाद एनआईए के विशेष अदालत का फैसला आ गया है। इस मामले में पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए ठेकेदार बीके लाला, एस्सार महाप्रबंधक डीवीसीएस वर्मा, पालनार आश्रम अधीक्षिका श्रीमती सोनी सोरी और उनके भतीजे लिंगाराम कोड़ोपी को दोष मुक्त घोषित किया है। एनआईए की विशेष अदालत का यह फैसला सोमवार 14 मार्च को आया है। विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार देवांगन, एनआईए एक्ट/अनुसूचित अपराध ने अपना फैसला सुनाते पुलिस द्वारा ​जप्त बताई गई राशि 15 लाख रूपए ठेकेदार बीके लाला को लौटाने का भी आदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि आरोपी बीके लाला, लिंगाराम कोड़ोपी, श्रीमती सोनी सोढ़ी, डीव्हीसीएस वर्मा के विरूद्ध धारा 120(बी), 121, 124(क) भादंसं तथा धारा 17, 40 विधि विरूद्ध क्रिया कलाप (निवारण) अधिनियम 1967 तथा धारा 8(1) छग विशेष जन सुरक्षा अधिनियम 2005 के तहत् आरोप दर्ज किया गया था। जिसके तहत बताया गया था कि 9 सितंबर 2011 को लगभग दोपहर 1 बजे थाना कुआकोण्डा के क्षेत्रांतर्गत ग्राम पालनार के साप्ताहिक बाजार के आगे पुल के पास जंगल में एस्सार कंपनी की ओर से प्रतिबंधित माओवादी नक्सली संगठन के दरभा डिविजन के कमांडर विनोद एवं रघु को राशि 15 लाख रूपये देने के दौरान बीके लाला और लिंगाराम को मौके से पकड़ा गया।

अभियोजन के अनुसार 8 सितंबर 2011 को थाना कुआकोण्डा के थाना प्रभारी उप निरीक्षक उमेश साहू को मुखबीर से सूचना प्राप्त हुुई कि, ठेकेदार बीके लाला किरन्दुल में स्थित एस्सार कम्पनी की ओर से नक्सलियों को लिंगाराम कोड़ोपी एवं सोनी सोढ़ी के माध्यम से पालनार के साप्ताहिक बाजार के पास 15 लाख रूपये देने वाला है।

उक्त सूचना के आधार पर 9 सितंबर 2011 को थाना प्रभारी उप निरीक्षक उमेश साहू हमराह स्टाफ के साथ सादी वेशभूषा में पालनार के साप्ताहिक बाजार के आस-पास, पुलिया, जंगल में छिपे थे, उसी दौरान ठेकेदार बीके लाला अपनी बोलेरो पीकप गाड़ी सीजी 18 एच 0968 में बाजार आया, उसी समय लिंगा कोड़ोपी और समेली आश्रम की अधीक्षिका सोढी़ सोनी को ​15 लाख रूपये को निकाल कर लिंगा राम कोड़ोपी को दे रहा था, उसी समय पुलिस ने मौके पर आरोपीगण बीके लाला और लिंगा सोढ़ी को पकड़ा। वहीं सोनी सोढी़ अफरा-तफरी का फायदा उठाकर बाजार में गुम हो गई।

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तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा अंकित गर्ग ने इसके बाद प्रेस कान्फरेंस में दावा किया कि मौके पर पर अभियुक्त बीके लाला द्वारा एस्सार कम्पनी की ओर से नक्सलियों द्वारा उनके कारोबार में अवरोध उत्पन्न ना किया जाये, इस हेतु पूर्व में मोटी रकम कम्पनी की ओर से नक्सलियों को दी जाती रही है। जिसे वह नक्सलियों को पहुंचाता रहा है। इस बार एस्सार कम्पनी के जनरल मैनेजर वर्मा आरोपी डीव्हीसीएस वर्मा द्वारा उसे नक्सलियों को पैसा पहुंचाने हेतु, निर्देशित किया गया था, इसलिए एस्सार कम्पनी के द्वारा नक्सलियों को दिए जाने वाले कुल पैसों में से एक किस्त राशि 15 लाख रूपये आरोपी सोढी़ सोनी एवं लिंगा कोड़ोपी के माध्यम से नक्सलियों को पहुंचाने आया था।

पुलिस ने बीके लाला से 15 लाख रुपए, बोलेरो पिकअप वाहन, दो नग मोबाईल जप्त किया। इसके बाद घटना के संबंध में थाना कुआकोण्डा में अपराध क्र. 26/2011 में 9 सितंबर 2011 एफआईआर पंजीबद्ध किया।

अनुसंधान पूर्ण होने के बाद अभियोग पत्र विचारण हेतु न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी दंतेवाड़ा में पेश किया गया, इसके बाद प्रकरण सत्र न्यायालय द्वारा विचारण योग्य होने से प्रकरण दिनांक 21 मार्च 2012 को उपार्पित किया गया। प्रकरण में विधि विरूद्ध क्रिया कलाप (निवारण) अधिनियम का अभियोग होने से उक्त प्रकरण का विचारण क्षेत्राधिकार विशेष न्यायालय, एनआईए एक्ट जगदलपुर को होने से उक्त प्रकरण अंतरित किया गया। 28 जनवरी 2021 को उक्त प्रकरण का विचारण क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को होने से उक्त प्रकरण विशेष न्यायालय, एनआईए एक्ट जगदलपुर से अंतरण हुआ।

  • धारा-313 दप्रसं के तहत् प्रश्नावली निर्मित कर, 6 जुलाई 2021 को आरोपीगण का परीक्षण किया गया। अभियुक्तगण ने परीक्षण के दौरान स्वयं को निर्दोष होना एवं मामले में उन्हें झूठा फंसाया जाने की बात कही।
  • अभियोजन द्वारा इस प्रकरण में अपने पक्ष समर्थन में कुल 34 साक्षियों का परीक्षण कराया।

गवाहों के परीक्षण और प्रतिपरीक्षण के बाद विशेष न्यायधीश ने आदेश जारी किया

उपरोक्त विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 से 7 के विवेचन एवं निष्कर्ष प्राप्ति उपरांत एवं अभिलेख में आए साक्ष्य के आधार पर, यह न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि, अभियोजन आरोपीगण बी. के. लाला, लिंगाराम कोड़ोपी, सोनी सोढ़ी, डीव्हीसीएस वर्मा के विरूद्ध रोपित आरोप को प्रत्येक युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित करने में सफल नहीं रहा। अतः ठोस समर्थनकारी, पुष्टिकारक साक्ष्य के अभाव में आरोपीगण बीके लाला, लिंगाराम कोड़ोपी, सोनी सोढ़ी, डीव्हीसीएस वर्मा को आरोपित आरोप की धारा 120(बी), 121, 124 (क) भा.दं.सं. तथा धारा 17, 40 विधि विरूद्ध क्रिया कलाप (निवारण) अधिनियम 1967 तथा धारा 8(1) छ.ग. विशेष जन सुरक्षा अधिनियम 2005 से दोषमुक्त कर स्वतंत्र किया जाता है।

आरोपी बीके लाला से 15 लाख रूपये एवं दो नग नोकिया कंपनी का मोबाईल जप्त किया गया है। अतः उक्त राशि एवं मोबाईल अपील अवधि पश्चात अथवा अपील ना होने की दशा में आरोपी बीके लाला को नियमानुसार लौटाया जाए। अपील होने की दशा में माननीय अपीलीय न्यायालय के आदेशानुसार निराकरण किया जाए।