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भारत ने कनाडा से कहा- क्षेत्रीय अखंडता पर बुरी नजर रखने वालों के लिए हमने खींच दी रेड लाइन

नईदिल्ली

बीते दिनों कनाडा में नगर कीर्तन परेड के दौरान खालिस्तान के समर्थन में झांकियां निकाली गई थी. भारत ने इन झाकियों में भारत के नेताओं का हिंसक चित्रण करने पर कड़ा विरोध जताया है. भारत ने कनाडा को दो टूक कह दिया है कि हिंसा का महिमामंडन किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार नहीं किया जाएगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि जैसा कि आप लोगों को पता है कि कनाडा में चरमपंथी तत्वों की ओर से हमारे नेताओं की हिंसक छवियां (झाकियां) इस्तेमाल की जा रही हैं. हमने इन पर कड़ा विरोध जताया है. पिछले साल हमारी एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या को दर्शानी वाली झांकी का इस्तेमाल भी एक जुलूस में किया गया था. साथ ही पूरे कनाडा में भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा की धमकी वाले पोस्टर भी लगाए गए.

उन्होंने कहा कि हिंसा का जश्न और महिमामंडन किसी भी सभ्य समाज का हिस्सा नहीं होना चाहिए. लोकतांत्रिक देश जो कानून का सम्मान करते हैं, उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर चरमपंथी तत्वों द्वारा डराने-धमकाने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए.

जायसवाल ने कहा कि हम कनाडा में हमारे राजनयिक प्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार ये सुनिश्चित करें कि वे बिना किसी डर के अपना काम करें. हम एक बार फिर कनाडा सरकार से आह्वान करते हैं कि वे अपने मुल्क में अपराधियों और कट्टरपंथियों को पॉलिटिकल स्पेस नहीं दें.

देश की क्षेत्रीय अखंडता पर विदेशियों की बुरी नजर…

कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने भारत और कनाडा संबंधों पर कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर बुरी नजर रखने वाले विदेशियों के लिए हमने लक्ष्मण रेखा (Red Line) खींच दी है. भारतीयों को लेकर भारत ही फैसला करेगा, भारत का भविष्य भारत ही तय करेगा ना कि विदेशी. मेरी चिंता राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर है, जिसे कनाडा की जमीं से चुनौती मिल रही है.

क्या हुआ था नगर कीर्तन परेड में?

कनाडा के माल्टन में हाल ही में एक नगर कीर्तन परेड का आयोजन किया गया था. ओंटारियो गुरुद्वारा समिति की ओर से इस परेड का आयोजन किया गया था. इस परेड में भारत के नेताओं पर निशाना साधते हुए झांकियां निकाली गई और उनके खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की गई. परेड में दल खालसा के परमजीत मंड और अवतार सिंह पन्नू जैसे चरमपंथी नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए. इन्हें भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादी घोषित कर रखा है.

जस्टिन ट्रूडो ने कुछ दिन पहले टोरंटो में खालसा दिवस से जुड़े एक कार्यक्रम में शिरकत की थी. इस कार्यक्रम के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसमें खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी होती देखी गई थी. भारत सरकार ने इस पर भी कड़ा विरोध जताया था.

ट्रूडो ने भारत पर लगाया था निज्जर की हत्या का आरोप

पिछले साल संसद में बोलते हुए जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का इल्जाम भारत पर लगाया था. इसके बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था. तब से ही भारत और कनाडा के बीच रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. भारत ने भी ट्रूडो और उनकी पार्टी पर खालिस्तानियों को लुभाने के लिए वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया था..

पिछले साल हुई थी निज्जर की हत्या

पिछले साल जून में कनाडा के सर्रे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर निज्जर की हत्या कर दी गई थी. निज्जर खालिस्तानी आतंकी था. खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था. वह बीते कई सालों से कनाडा में रह रहा था और वहां से भारत के खिलाफ खालिस्तानी आतंकवाद को हवा दे रहा था.

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, निज्जर भारतीय जांच एजेंसियों के लिए पिछले एक साल में इसलिए और भी ज्यादा बड़ा सिरदर्द बन गया था क्योंकि उसने लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गों को विदेशों में लॉजिस्टिक और पैसा मुहैया करवाना शुरू कर दिया था.

ट्रूडो जब 2018 में भारत दौरे पर आए थे. उस समय उन्हें पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने खालिस्तानी आतंकियों की एक सूची सौंपी थी, जिसमें निज्जर का भी नाम शामिल था. केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 2020 में निज्जर को आतंकी घोषित कर दिया था. 2010 में पटियाला के एक मंदिर के बाहर हुए बम विस्फोट में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. उस पर हिंसा भड़काने, आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने सहित कई मामलों में पुलिस को तलाश थी.

भारत ने हरदीप सिंह निज्जर को डेजिग्नेटिड टेरेरिस्ट यानी आतंकवादी घोषित किया था. NIA ने उस पर 10 लाख का इनाम भी घोषित कर रखा था.