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ओमान से आठ महीने बाद भिलाई पहुंची दीपिका, बोली एम्बेसी वाले खुद नहीं चाहते कि महिलाएं इंडिया लौट जाएं

भिलाई नगर

भिलाई की दीपिका तो 8 महीने के बाद वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन के प्रयास से लौट आई हैं, पर हैदराबाद, पंजाब, चेन्नई, बेंगलुरु सहित कई राज्यों से कुकिंग के काम से ओमान की राजधानी मस्कट भेजी गई महिलाएं इन दिनों आंसू बहाने को विवश हैं। वो सभी इंडियन एम्बेसी से अपने वतन भारत परिवार और बच्चों के बीच लौटना चाहती हैं एम्बेसी वाले खुद नहीं चाहते हैं कि महिलाएं इंडिया लौट जाए। दीपिका कल देर रात भिलाई पहुंची और इसकी जानकारी मिलते ही प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा उनसे मुलाकात करने उनके निवास स्थान पहुंचे और वहां के हालात के बारे में जानकारी ली।

कल रात खुसीर्पार भिलाई की दीपिका जब रायपुर एयरपोर्ट पर विधायक रिकेश सेन और अपने परिजनों से मिली तो उसके आंसू नहीं रूक रहे थे। दीपिका ने कहा कि वह ऐसे दलदल में फंसी थी कि अब भी यकीन नहीं हो रहा कि वह अपने वतन लौट आई है। उसने राज्य के उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा से मस्कट इंडियन एम्बेसी में फंसी आधा सैकड़ा महिलाओं को जल्द भारत बुलवाने पहल करने की मांग की है। ओमान से भिलाई लौटने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए दीपिका ने बताया कि एम्बेसी वाले खुद नहीं चाहते कि महिलाएं इंडिया लौट जाएं। ओमान में कुक और होम मेड को लेकर बड़ी डिमांड है और प्लेसमेंट एजेंसियों को दो साल के एग्रीमेंट पर दो-दो लाख रुपए मिला करते हैं और कहीं न कहीं इस बंदरबांट का फायदा एम्बेसी में बैठे लोगों को भी होता रहा है नतीजतन एक-एक साल से वापस लौटने की गुहार लगाती महिलाओं का नंबर नहीं लगा है। लगभग सभी महिलाओं को 30 से 40 हजार सैलरी पर बतौर कुक नौकरी दिलाने का झांसा देकर वहां ले जाया जाता है और होम मेड के सारे काम करवाए जाते हैं। दो वर्ष की नौकरी का एग्रीमेंट होने के बाद बीच में कोई भी लौटना चाहे तो उसके परिवार से 3 लाख और वेतन रिकवरी की धमकी दी जाती है।

खुद दीपिका ओमान में जिस हफीजा के चंगुल में फंसी थी, उसके 9 बच्चों का बड़ा परिवार था और सभी बच्चों के तीन से चार बच्चे थे, लगभग 35 से 40 लोगों के परिवार में उससे घर सफाई से लेकर खाना बनाने, बर्तन धोने का काम करवाया जाता और बदले में 27 हजार एकाउंट में छ: से सात महीने सैलरी दी गई, जब दीपिका बीमार पड़ी और काम छोड़ वापस भारत लौटने की बात कहने लगी, तभी से उसके बुरे दिन शुरू हो गए। उससे हफीजा और उसके बच्चों ने मारपीट की और तीन लाख की डिमांड करते हुए सैलरी समेत परिवार से संपर्क का एकमात्र सहारा फोन और वाई फाई सुविधा बंद कर उसके घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

अपने वतन वापस जाने की गुहार लगातीं मस्कट इंडियन एम्बेसी में पांच दर्जन से भी ज्यादा महिलाएं अब भी मौजूद हैं जिन्हें समय से भर पेट खाना भी नहीं दिया जाता। एम्बेसी के लोग उन्हें काम पर वापस लौटने का ही दबाव बनाते रहे हैं। इन महिलाओं ने भी दीपिका के माध्यम से वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन को वीडियो भेज कर मदद की गुहार लगाई है। इनमें कई महिलाएं ऐसी भी है, जिनके रिश्तेदारों ने उन्हें अच्छी नौकरी का झांसा देकर मस्कट भेज दिया है। महिलाओं ने वीडियो में बताया है कि जब वो वहां पहुंची तो वहां के एजेंट ने उनका पासपोर्ट और सिम ले लिया है। उन्हें मस्कट से नई सिम देकर परिवार से केवल रात में कुछ मिनटों के लिए वाट्सअप काल के जरिए सम्पर्क की इजाजत होती है।

भिलाई नगर विधानसभा की दीपिका के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा और विधायक रिकेश सेन ने जिस तत्परता से सामूहिक प्रयास किया और विदेश मंत्रालय की मदद से आवश्यक पहल का ही नतीजा है कि खुसीर्पार की 29 वर्षीय जोगी दीपिका आज अपने बच्चों और परिवार के साथ है, लेकिन दीपिका के मुताबिक हर कोई उसकी तरह खुशनसीब नहीं होता क्योंकि हैदराबाद, पंजाब सहित अन्य राज्यों की कई भारतीय महिलाएं हैं, जो खाड़ी में मुश्किल हालात में जी रही हैं और जिन्हें भारत लौटने की कोई उम्मीद फिलहाल नहीं है।

भिलाई में दीपिका और मुकेश की 4 साल की बच्ची वैष्णवी और 6 साल का बेटा समर, जो कि पिता के साथ ही भिलाई में थे, वो भी काफी खुश हैं। मुकेश ने बताया कि विधायक रिकेश सेन ने उनसे कहा कि दीपिका के काम की व्यवस्था वो भिलाई में ही कर देंगे, पूरा परिवार एक साथ रहो। दीपिका का बेटा समर पढ़ाई में काफी अच्छा है, दीपिका ने कहा कि अब भिलाई में ही काम कर वो परिवार के साथ रहते अपने बच्चों का भविष्य बनाएगी, उन्हें अच्छी शिक्षा देगी। मुकेश भी पेशे से कुक है और भिलाई के ही एक रेस्टोरेंट में काम करता है।