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फिलिस्तीन, लेबनान और यमन के बाद अब इजरायली सेना ने सीरिया के अंदर घुसकर राष्ट्रपति भवन के पास किया हमला

नई दिल्ली
फिलिस्तीन, लेबनान और यमन के बाद अब इजरायली सेना ने सीरिया के अंदर घुसकर राष्ट्रपति भवन के पास हमला किया है। ये हमले शुरक्रवार की सुबह किए गए। इससे वहां हड़कंप है। दरअसल, इजरायल ने ये हमले द्रुज अल्पसंख्यक लड़ाकों को सुरक्षा कवच देने के लिए किए हैं। ताकि उन पर कोई हमला ना हो सके। हाल के दिनों में सीरिया की राजधानी दमिश्क में सीरिया समर्थक हथियारबंद लड़ाकों और द्रूज अल्पसंख्यकों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे।

इसके खिलाफ इजरायल की नेतन्याहू सरकार ने सीरियाई लड़ाकों को चेतावनी दी थी और द्रूज अल्पसंख्यकों को समर्थन देने का ऐलान किया था। इस बीच, सीरिया के गृह मंत्रालय ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने बताया कि बुधवार रात से लेकर आज तक दमिश्क के निकट सीरियाई शहर साहनाया में सशस्त्र समूहों और द्रूज आत्मरक्षा सेनानियों के बीच झड़पें हुईं, जहां मुख्य रूप से द्रूज आबादी रहती है।

कौन हैं द्रूज अल्पसंख्यक?
द्रूज अल्पसंख्यक अरबों का एक जातीय-धार्मिक समूह है जो लेबनान, सीरिया, इजरायल और जॉर्डन में रहता है। यह 11वीं शताब्दी में इस्लाम की एक शाखा से निकला था। उनका धर्मशास्त्र इस्लाम के तत्वों को प्राचीन परंपराओं के साथ जोड़ता है। इस समुदाय की मान्यता है कि आपका जन्म अगर द्रूज के रूप में हुआ है तो आप हमेशा के लिए द्रूज ही रह सकते हैं और धर्म परिवर्तन नहीं कर सकते। ये समुदाय पुनर्जन्म में विश्वस रखता है। यह समुदाय एक अलग एकेश्वरवादी धर्म का पालन करता है, जो इस्माइली शियावाद की एक शाखा है। यह समुदाय अन्य अब्राहमिक धर्मों के साथ कई पैगंबर के सिद्धांत में भरोसा रखता है।

द्रूज कहाँ रहते हैं?
लगभग दस लाख द्रूज मध्य पूर्व में रहते हैं। ये मुख्य रूप से सीरिया, लेबनान, जॉर्डन और इजरायल में निवास करते हैं। सीरिया में, सबसे बड़ी द्रूज आबादी मुख्य रूप से दक्षिणी प्रांत सुवेदा में रहती है। इसके अलावा दमिश्क के उपनगरों जरामाना और सहनायामें भी इनकी आबादी केंद्रित है। लेबनान में ये समुदाय चौफ पहाड़ों और माउंट लेबनान के कुछ हिस्सों में केंद्रित है। इजरायल में इस समुदाय की आबादी करीब डेढ़ लाख है, जो वहां की आबादी का करीब 1.6 फीसदी है। यह समुदाय विशेषकर उत्तरी इजरायल और इजरायली कब्जे वाले गोलान हाइट्स में रहता है। पड़ोसी जॉर्डन में भी ह्रूजों की एक छोटी आबादी रहती है, जो ज्यादातर सीरियाई सीमा के निकट है।

सीरिया में असद शासन में द्रूजों की क्या स्थिति
सीरिया का द्रूज समुदाय लंबे समय से देश के गृहयुद्ध में तटस्थ रहने की कोशिश करता रहा है। यह समुदाय विशेष रूप से स्वेदा और दमिश्क के उपनगरों में स्थानीय स्वायत्तता को बनाए रखते हुए खुले विद्रोह से बचता रहा है। दरअसल, असद शासन के सुरुआत में ही इस समुदाय ने शासन के साथ शांतिपूर्ण समझौता कर लिया था लेकिन इनके खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा बढ़ती गई। ये आर्थिक उपेक्षा के शिकार होते चले गए। बाद में ईरान समर्थित मिलिशिया का आतंक इनके ऊपर बढ़ता चला गया। इसके बाद इन लोगों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया।

इजरायल से क्या रिश्ता, नेतन्याहू को हमदर्दी क्यों?
1948 के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक यह समुदाय इजरायल की मुख्यधारा में जुड़ा रहा है और इजरायली सेना और सिविल सेवाओं में अपनी सेवा देता रहा है। यह समुदाय अपनी वफादारी के लिए मशहूर है। ये नेतन्याहू के समर्थक माने जाते हैं और इजरायल क पहचान की एक गौरवशाली परंपरा के हिस्सा बन चुके हैं। कई द्रूज जनरल, राजदूत, नेसेट के सदस्य और नेतन्याहू सरकार में मंत्री रहे हैं। हमास के खिलाफ लड़ाई में द्रूज सैनिक अग्रिम मोर्चे पर रहे हैं। 1942 में जब यरुशलम में सुन्नी नेतृत्व ने तिबेरियास में जेथ्रो के मकबरे (जिसे ड्रूज शुअयब कहते हैं) पर नियंत्रण करने की धमकी दी, तो द्रूजों ने 1948 के युद्ध में यहूदी सेना का साथ दिया था। तब से द्रूज सैनिक हर अरब-इजरायल युद्ध में इजरायल के लिए लड़के रहे हैं। ह्रूज समुदाय इजरायली रक्षा बलों में भर्ती होने वाला एकमात्र अरब समूह हैं।