छत्तीसगढ़ में शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के लिए नई समय सारिणी जारी 7 मई से 10 जून तक चलेगी प्रक्रिया…
इम्पेक्ट न्यूज़। नवा रायपुर, 29 अप्रैल 2025:
छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (तर्कसंगत समायोजन) की प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए एक संशोधित समय सारिणी जारी की है। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुपालन में लिया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को और प्रभावी बनाना है। इस संबंध में स्राकू शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने राज्य के समस्त कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया और समय सारिणी
संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी नवीनतम दिशा-निर्देशों के अनुसार, शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में शालाओं का चिन्हांकन और समायोजन होगा, जबकि दूसरे चरण में अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना सुनिश्चित की जाएगी।
शालाओं के युक्तियुक्तकरण के लिए समय सारिणी इस प्रकार है:
- 07 मई 2025 तक: विकासखंड स्तरीय समितियों द्वारा शालाओं का चिन्हांकन।
- 12 मई 2025 तक: चिन्हांकित शालाओं की सूची जिला स्तरीय समिति को प्रेषण।
- 15 मई 2025 तक: जिला समिति द्वारा सूची संचालक, लोक शिक्षण को प्रेषित करना।
- 18 मई 2025 तक: संचालक द्वारा सूची का परीक्षण और शासन को प्रेषण।
- 25 मई 2025 तक: शासन द्वारा युक्तियुक्त शालाओं के लिए अंतिम आदेश जारी करना।
शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के लिए समय सारिणी:
- 15 मई 2025 तक: विकासखंड स्तरीय समितियों द्वारा अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन।
- 20 मई 2025 तक: अतिशेष शिक्षकों और रिक्त पदों की सूची जिला समिति को प्रेषित करना।
- 26 मई 2025 तक: जिला समिति द्वारा सूची का परीक्षण।
- 04 जून 2025 तक: जिला समिति द्वारा पदस्थापना आदेश जारी करना।
- 07 जून 2025 तक: संभागीय संयुक्त संचालक द्वारा पदस्थापना आदेश जारी करना।
- 10 जून 2025 तक: संचालक, लोक शिक्षण द्वारा अंतिम पदस्थापना आदेश जारी करना।
प्रमुख बिंदु और नीतिगत निर्णय
युक्तियुक्तकरण के तहत 10 से कम दर्ज संख्या वाली प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं का निकटतम शाला में समायोजन किया जाएगा। शहरी क्षेत्र में 500 मीटर और ग्रामीण क्षेत्र में 1 किलोमीटर से कम दूरी वाली शालाओं, जहां दर्ज संख्या क्रमशः 30 और 10 से कम है, को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, नक्सल प्रभावित और दूरस्थ क्षेत्रों में स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर को विशेष विवेकाधिकार दिया गया है।
ऐतिहासिक महत्व की शालाओं को युक्तियुक्तकरण से छूट दी गई है, और इनका संचालन यथावत रखा जाएगा। समायोजित शाला भवनों का उपयोग प्राथमिक शिक्षा के अधिपत्य में आवश्यकतानुसार किया जाएगा, जिसमें शासन की अनुमति आवश्यक होगी।
प्रशिक्षण और समन्वय
प्रक्रिया की सुचारुता सुनिश्चित करने के लिए 30 अप्रैल 2025 को संचालनालय स्तर पर जिला और विकासखंड शिक्षा अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसके बाद 1 मई 2025 को कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला और विकासखंड स्तरीय समितियों की बैठक होगी, जिसमें युक्तियुक्तकरण की रणनीति पर विस्तार से चर्चा होगी।
प्रतिक्रिया और अपेक्षाएं
शिक्षा विभाग के इस कदम को राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर शिक्षकों और अभिभावकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता और समावेशी निर्णय प्रक्रिया की मांग उठ रही है। सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने सभी संबंधित अधिकारियों से समयबद्ध और प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
यह प्रक्रिया 10 जून 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद राज्य के शैक्षिक ढांचे में उल्लेखनीय सुधार की संभावना है।