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सक्ती में फिर एक बार आयकर विभाग की धमक… इस बार विभाग ने सराफा कारोबारी मनोज अग्रवाल को निशाना बनाया है…

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  • सराफा कारोबारी के निवास सहदुकान में आईटी के चार से पाँच अधिकारियों ने दी है दबिश
  • जमीन और सराफा व्यापार में बड़े टैक्स चोरी की बात आ रही सामने
  • विभाग की तरफ़ से कोई भी कुछ बोलने से बचता नजर आ रहें हैं
  • विभाग का कहना है रेड पूरी होने के बाद मीडिया को जानकारी दे दी जाएगी

सक्ती।

जिले ने एक बार फिर आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की खबर सामने आई है, माँ महामाया ज्वेलर्स में दोपहर करीब एक बजे आईटी विभाग के चार से पाँच अधिकारी सुरक्षा बलों के साथ ज्वेलरी दुकान व संचालक के घर में दबिश दिए, जिससे नगर में हड़कंप का मच गया।

बता दें कि दोपहर करीब एक बजे रायपुर व बिलासपुर के आईटी अधिकारी सराफा व्यवसाई मनोज अग्रवाल के दुकान व निवास में दबिश दिए, बताया जर्राह है की आईटी विभाग को टैक्स चोरी की शिकायत मिली थी जिसके बाद दबिश दी गई है, वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि यह विभाग की एक सतत प्रक्रिया है जहां बड़े व्यवसाईयों के यहां आईटी की दबिश दी जाती है, ताकि टैक्स चोरी पर शिकंजा कसा जा सके।

वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि माँ महामाया ज्वेलर्स के संचालक मनोज अग्रवाल जमीन का भी काम करते हैं हो सकता है की विभाग को जमीन संबंधी भी कोई टिप मिली हो। बता दें कि आईटी की टीम दस्तावेजों की जांच कर रही है वहीं आईटी टीम के अधिकारियों द्वारा मनोज अग्रवाल के व्यापारिक लेन देन और वित्तीय दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया है। अब तक आईटी विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान तो सामने नहीं आया है वहीं अधिकारियों का कहना है कि जो भी बातें सामने आएगी उस पर प्रेस नोट अलग से जारी कर मीडिया को अवगत करा दिया जाएगा, रेड के समय अधिकारी किसी से कोई बात करने से भी बचते नजर आ रहे हैं ।

जानकारी के मुताबिक सराफा व्यापारी मनोज अग्रवाल पर टैक्स चोरी के गंभीर आरोप लगे हैं, उनके विभिन्न प्रोजेक्ट और व्यापारिक सौदों में कथित अनियमितताओं की जानकारी आईटी विभाग को मिली थी, नगर में इन दिनों जमीन का कारोबार काफ़ी बड़े पैमाने में किया जा रहा है और मनोज अग्रवाल भी जमीन की खरीदी बिक्री का काम भी करते हैं ऐसी जानकारी भी मिली है, इसी के आधार पर आईटी विभाग द्वारा उनके निवास और दुकान में एक साथ छापेमारी की है।

बता दें कि माँ महामाया ज्वेलर्स नगर के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित फर्मों में से एक है, इस छापेमारी के बाद से नगर के व्यापारी वर्ग में हड़कंप मच गया है। कई अन्य व्यवसाईयों ने भी अपने दस्तावेजों को दुरुस्त करने अपने अपने सीए को बोल दिया है और कुछ नगर के व्यापारी तो नगर से बाहर चले गए हैं, आईटी की इस कार्यवाही को टैक्स चोरी के खिलाफ सख्त नीति के रूप में भी देखा जा रहा है, तीन वर्ष पूर्व भी नगर में एक साथ आठ लोगों के दर्जन भर ठिकानों में आईटी के अधिकारियों ने दबिश दी थी उस वक्त रेड लगभग चार दिनों तक चला था, भले ही उस रेड में क्या कार्यवाही हुई इसकी जानकारी अब तक स्थानीय मीडिया को नहीं दी गई है.

सूत्रो की मानें तो लगभग तीन हज़ार करोड़ से ज़्यादा के लेन देन के दस्तावेज आईटी विभाग के हाथों लगा था लेकिन अब तक कार्यवाही क्या हुई यह कोई नहीं जानता है, उस वक्त के आईटी रेड के समय कई तरह की बातें भी सामने आई थी वहीं विभाग द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज करने पत्र भी लिखा गया था लेकिन दस्तावेजी प्रमाण नहीं देने की स्थिति में थाना द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई थी जिस पर आज भी पुलिस पर उंगली उठती रहती है, लेकिन जिन आधारों पर एफ़आईआर के लिए आईटी विभाग ने पत्र लिखा था उससे संबंधित आधारों के दस्तावेज व मशीनें आज पर्यन्त तक पुलिस को नहीं सौंपी गई है और यही कारण है कि स्थानीय पुलिस भी इस मामले में अपने आप को पाक साफ़ बताते हुए पलड़ा झाड़ ली है।