नक्सल समस्या के उन्मूलन पर शोध के लिए सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट विनोद टंडन को पीएचडी की उपाधि…दंतेवाड़ा के साथ देश के उग्रवाद प्रभावित राज्यों में भी सेवा दे चुके हैं टंडन…
पी.रंजन दास, दंतेवाड़ा-बीजापुर.
छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्च पर तैनात रहे सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट विनोद कुमार टंडन ने राजनीति विज्ञान में पीएचडी की उपाधि हासिल की है। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सल उन्मूलन पर पुलिस प्रषासन की भूमिका का विषलेशण करते (सुकमा जिले के विशेष संदर्भ में) शोध पूरा किया है। डॉ अलका मेश्राम प्राचार्य शासकीय कला और वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय वैशाली नगर भिलाई के निर्देषन तथा डॉ डीएन सूर्यवंशी, सेवानिवृत्त प्राचार्य एसआरसीएस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय दुर्ग के सह पर्यवेक्षण में उन्होंने अपना शोध पूरा किया।
गौरतलब है कि टंडन दंतेवाड़ा में भी लम्बे समय तक पदस्थ रहें। 2004 बैच के प्रथम श्रेणी के सहायक कमांडेंट के रूप में सीधे नियुक्त अधिकारी है। वर्तमान में सीपीआरपीएफ डिप्टी कमांडेंट के रूप में ओडिषा राज्य में सेवारत् है। 12 जुलाई 1981 को बलौदाबाजार जिले के ग्राम जैतपुर सरसीवा जन्मे विनोद ग्रामीण परिवेश में पल-बढ़ने के बावजूद उच्च शिक्षा प्राप्त की। वे रामेश्वरी देवी एवं सेवानिवृत्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भागवत टंडन के सुपुत्र है। अपनी प्राइमरी एजुकेशन गरियाबंद जिले के फिंगेशवर में, माध्यमिक शिक्षा पटेवा महासमुंद में, स्नातक छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर और लोक प्रशासन विषय पर पंडित रवि शंकर शुक्ल विवि से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की, इसके अलावा यूजीसी नेट जेआरएफ की परीक्षा भी उन्हाेंने उत्तीर्ण की। टंडन ने शोध केंद्र एसआरसीएस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय दुर्ग से अपना शोध पूरा किया।
30 जुलाई को मौखिक परीक्षा में भाग लेने के बाद उन्हें पीएचडी की डिग्री से नवाजा गया। उन्होंने अपने शोध के लिए चुनौतीपूर्ण विषय का चयन किया। जो न केवल वास्तविक समय की जानकारी के साथ तथ्यात्मक डेटा एकत्रित करने में जोखिमभरा है बल्कि सैन्य बलों में सेवारत् अधिकारियों की पेषेवर क्षमता के लिए एक उपकरण भी है। 2005 में बेसिक प्रषिक्षण उपरांत देष के उग्रवाल ग्रस्त राज्यों मणिपुर, त्रिपुरा, ओडिशा, जम्मू एवं कश्मीर में उन्होंने अपनी सेवाएं दी। 16 साल की सेवा अवधि में 9 साल देष के सर्वोत्तम माओवाद ग्रस्त इलाके में भी अपनी सेवाएं दी। जिसके चलते उन्होंने अपने शोध विषय के रूप में वर्तमान में देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बने नक्सलवाद जैसे गंभीर मुद्दे को चुना। जिसमें इस गंभीर समस्या के निवारण को लेकर उपयोगी विचार, सुझाव भी शोध में सामने आए हैं।