भू-अर्जन में अनियमितता के मामले में 10 अफसर-कर्मी दोषी
रायपुर
अरपा भैसा झार परियोजना में भू-अर्जन में अनियमितता के मामले में 10 अफसर-कर्मी दोषी पाए गए हैं। इन सबके खिलाफ कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। यह जानकारी राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य धरमलाल कौशिक के सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया कि अरपा भैसाझार परियोजना में भू-अर्जन और अन्य अनियमितताओं की जांच के लिए कलेक्टर के आदेश पर 6 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने तत्कालीन एडिशनल कलेक्टर बीएस उइके, ईई आरपी शुक्ला, एसडीएम देवेन्द्र पटेल, डिप्टी कलेक्टर अजीत पुजारी, और प्रभारी तहसीलदार पेखन टोन्डे सदस्य थे। समिति द्वारा प्रारंभिक जांच प्रतिवेदन 24 जुलाई 2021 को प्रस्तुत किया गया था।
उन्होंने बताया कि समिति में शामिल कुछ अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले अन्यत्र होने से फिर से जांच समिति बनाई गई। जांच समिति द्वारा अंतिम प्रतिवेदन 23 फरवरी 2023 को प्रस्तुत किया गया। अरपा भैसाझार नहर निर्माण में कुल 10 खसरे, कुल रकबा 3.42 एकड़, नहर निर्माण में प्रभावित नहीं होना पाया गया। जो कि पूर्व में अवार्ड पारित करते हुए 10 करोड़ 68 लाख 44 हजार से अधिक भुगतान किया गया। जिसे संबंधितों से वसूली किया जाना प्रस्तावित है।
राजस्व मंत्री ने यह भी बताया कि कुल 8 खसरे में प्रभावित रकबे में आंशिक त्रुटि पाई गई है। कुल रकबा 2.54 एकड़, नहर निर्माण में प्रभावित होना नहीं पाया गया। जिसका नियमानुसार पूरक प्रकरण बनाए गए। साथ ही मुआवजा राशि की वसूली की कार्रवाई के लिए एसडीएम कोटा को निर्देशित किया गया। जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को दोषी पाया गया है उनमें आरएस नायडू, अशोक तिवारी, ईई, आरके राजपूत सब इंजीनियर आरके द्विवेदी तत्कालीन एसडीओ, आरके साय तत्कालीन तहसीलदार, कीर्ति सिंह राठौर, और आनंद स्वरूप तिवारी तत्कालीन एसडीएम, हुलसिंह राजस्व निरीक्षक, दिलशाद अहमद, मुकेश कुमार साहू तत्कालीन पटवारी सकरी के खिलाफ कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।