धार्मिक आजादी पर अमेरिकी पैनल ने की भारत को चुभने वाली बात… भारत को ब्लैक लिस्ट करने की मांग…
इम्पैक्ट डेस्क.अमेरिका के एक सरकारी पैनल ने फिर से भारत को चुभने वाली बात कही है। अमेरिका के वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौर में भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ घटनाओं में इजाफा हुआ है। अमेरिकी आयोग ने धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में भारत को ब्लैकलिस्ट करने की भी सिफारिश बाइडेन प्रशासन से की है। इसे लेकर भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आ सकती है। पहले भी इस पैनल की ओर से भारत के खिलाफ सिफारिशें की जाती रही हैं, लेकिन अमेरिका का विदेश मंत्रालय उसकी रिपोर्ट्स को खारिज करता रहा है।
इस बार भी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से इस रिपोर्ट को स्वीकार करने की संभावना नहीं है, लेकिन आयोग की टिप्पणी जरूर भारत को चुभने वाली है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय हर साल एक लिस्ट जारी करता है, जिसमें वह धार्मिक स्वतंत्रता के आधार पर देशों को शामिल करता है। कुछ ऐसे देशों पर अमेरिका प्रतिबंध लगाने पर भी विचार करता है, जिनकी रैंकिंग कम होती है। फिलहाल धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में अमेरिका ने चीन, ईरान, म्यांमार, पाकिस्तान, रूस और सऊदी अरब को ब्लैक लिस्ट में रखा है। अब अमेरिकी पैनल ने इस सूची में भारत, नाइजीरिया और वियतनाम को भी रखने की सिफारिश की है।
अमेरिकी आयोग ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि मुस्लिम और ईसाई मजहब से जुड़े लोगों को टारगेट किया गया है और उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट किए गए हैं। हालांकि बीते साल भी अमेरिकी पैनल ने ऐसे ही सवाल उठाए थे। इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि अमेरिका में ब्लैक लोगों के खिलाफ जो होता है, उस पर क्या कुछ कहने की जरूरत है। यही नहीं उन्होंने एक सिख पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा था कि कल ही यहां पर हेट क्राइम की घटना हुई है।
अमेरिका से भारत के रिश्तों को पटरी से उतार सकती है रिपोर्ट
यह लगातार चौथा साल है, जब अमेरिकी पैनल ने भारत को लेकर इस तरह की सिफारिश की है। बता दें कि भारत पहले भी आयोग को पूर्वाग्रह से ग्रसित बता चुका है और अमेरिका से आपत्ति भी जताई थी। एक बार फिर से इस मामले पर भारत का सख्त रुख देखने को मिल सकता है। भारत और अमेरिका की साझेदारी रक्षा से लेकर कारोबार तक में बढ़ रही है, ऐसे में यह रिपोर्ट दोनों देशों के रिश्तों को पटरी से उतारने की कोशिश जैसा है।