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नींद के लक्षण: झाइयाँ और उनका कारण

क्या आपने कभी सुबह उठते से ही आईने में अपने चेहरे पर झुर्रियों के निशान पर गौर किया है? यदि आप ठीक तरह से सोए नहीं हैं तो आपका चेहरा इसका सबूत दे सकता है.  इसलिए इसे स्लीप रिंकल्स भी कहते हैं.

हालांकि नींद की झुर्रियां कुछ समय के लिए ही होती हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसके कारण त्वचा की लचक कम होने पर ये स्थायी रूप से चेहरे पर रह सकती हैं. आइए जानते हैं कि इन झुर्रियों को बनने से रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं.

करवट लेकर सोने का असर चेहरे पर

चेहरे पर झुर्रियां पड़ने के कई कारण होते हैं, जिनमें उम्र बढ़ना, सूर्य की किरणें, धूम्रपान, शरीर में पानी की कमी, बार-बार एक ही तरह के फेशियल हावभाव करना (जैसे मुस्कुराना, गुस्सा करना, माथे पर बल डालना, आंखें सिकोड़ना) और सोने का तरीका शामिल है.

इस तरह से सोने से आती हैं झुर्रियां

जब आप करवट लेकर या पेट के बल सोते हैं, तो आपकी चेहरे की त्वचा पीठ के बल सोने की तुलना में कहीं ज्यादा दबाव और सिकुड़न महसूस करती है. करवट या पेट के बल सोने से गुरुत्वाकर्षण आपके चेहरे को तकिये से चिपका देता है. सोते समय इधर-उधर होने पर आपकी चेहरे की त्वचा खींचती है, दबती है और हर दिशा में मुड़ती है, जिससे ये झुर्रियां बनती हैं. ऐसे में आप पीठ के बल सोने या सोने की पोजीशन बार-बार बदलने से चेहरे पर पड़ने वाले इन बाहरी दबावों को कम कर सकते हैं.

चेहरे से पता लग सकता है किस करवट सोते हैं आप

युवा अवस्था में नींद की झुर्रियां कुछ देर के लिए होती हैं और उठने के बाद गायब हो जाती हैं. लेकिन, समय के साथ और बार-बार होने पर ये नींद की झुर्रियां स्थायी हो सकती हैं. उम्र बढ़ने के साथ हमारी त्वचा अपनी लचक और खिंचाव खो देती है, जिससे नींद की झुर्रियां या रेखाएं स्थायी रूप से चेहरे पर बन जाती हैं. जो लोग एक ही करवट लेकर सोना पसंद करते हैं, उनके सोने वाली तरफ का चेहरा थोड़ा चपटा होता है और नींद की झुर्रियां ज्यादा दिखाई देती हैं.

क्या रात का स्किनकेयर रूटीन नींद की झुर्रियों को रोक सकता है?

कोलेजन और इलास्टिन त्वचा की आंतरिक परत (डर्मिस) के दो मुख्य घटक होते हैं. ये त्वचा की संरचना बनाते हैं और त्वचा की लोच बनाए रखते हैं. स्किनकेयर रूटीन के माध्यम से कोलेजन को बढ़ाकर त्वचा की लोच बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिससे झुर्रियों को बनने से रोका जा सकता है.ेे