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अब वीजा नीति में बदलाव ने उनके भविष्य को अंधकार में धकेल दिया, अमेरिका से वापसी का खतरा मंडराने लगा

वॉशिंगटन
अमेरिका में पिछले दिनों करीब 500 भारतीयों को डिपोर्ट करके तीन फ्लाइट्स में भारत भेजा गया है। ये लोग अमेरिका में अवैध दस्तावेजों के साथ चले गए थे। लेकिन अब एक नया विवाद खड़ा होने वाला है। हजारों ऐसे भारतीयों के सामने अमेरिका से वापसी का खतरा मंडराने लगा है, जो नाबालिग के तौर पर अमेरिका पहुंचे थे। इन लोगों को H-4 वीजा पर अमेरिका में रहने का मौका मिला था। अब ये 21 साल के होने वाले हैं तो इनका भविष्य अंधकार में है। अमेरिका में मौजूदा प्रवासी कानून के अनुसार नाबालिग के तौर पर आए लोगों को उनके एच-1बी वीजा होल्डर पैरेंट्स पर निर्भर यानी डिपेंटेडेंट घोषित नहीं किया जा सकता। ऐसा करने से उन्हें वहां बने रहने की परमिशन मिल सकती थी।

अब तक उन्हें दो साल का मौका मिलता था और इस दौरान वे अपने वीजा का स्टेटस बदलवा लेते थे। लेकिन अब वीजा नीति में बदलाव ने उनके भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है। कई लोग पहले से ही विकल्प की तलाश में जुटे हैं। कुछ लोग कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों में जाने की तैयारी में हैं, जहां बसने को लेकर नीतियां थोड़ी लचीली हैं। दरअसल अमेरिका में रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का एक लंबा बैकलॉग है। ऐसे में नए आवेदकों को नागरिकता मिल पाना तत्काल तो मुश्किल ही है। अमेरिकी नागरिकता और प्रवासी सेवा विभाग ने हाल ही में एच-1बी वीजा के लिए रजिस्ट्रेशन पीरिडयन का ऐलान किया है। यह प्रक्रिया 7 मार्च से 24 मार्च तक ही चलने वाली है।

एच-1बी वीजा उन लोगों के लिए होता है, जो गैर-प्रवासी होते हैं। इसके तहत अमेरिकी कंपनियों को विदेशी लोगों को नौकरी देने की मंजूरी दी जाती है। यह नौकरियां तकनीकी और विषय की विशेषज्ञता को आधार मानकर दी जाती हैं। अब यहां पेच यह फंस रहा है कि एच-1बी वीजा हर साल 65 हजार ही जारी किए जा सकते हैं। इनके अतिरिक्त 20 हजार ऐसे लोगों को यह वीजा जारी हो सकते हैं, जिन्होंने अमेरिका में ही मास्टर्स डिग्री ली हो। अब इसमें भी फ्रॉड की आशंका को रोकने के लिए अमेरिका ने अपनी नीतियों को सख्त किया है। एच-1बी वीजा के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 215 डॉलर की गई है। एक अनुमान के अनुसार ऐसे करीब 1.34 लाख भारतीय हैं, जिनकी आयु 21 साल होने वाली है और उनके परिवारों के पास ग्रीन कार्ड नहीं है।

अमेरिकी सिस्टम में बड़े पैमाने पर बैकलॉग है। ऐसे में इस बात की संभावना प्रबल है कि हजारों की संख्या में भारतीयों को अमेरिका ही छोड़ना होगा। हाल ही में टेक्सास कोर्ट ने नए आवेदकों के लिए वर्क परमिट जारी करने पर रोक लगा दी थी। अब तक एक नियम था, जिसे Deferred Action for Childhood Arrivals जाता है। इस नियम के तहत नाबालिग के तौर पर पैरेंट्स के साथ आए लोगों को दो साल का अतिरिक्त समय नागरिकता के लिए आवेदन हेतु मिलता था। अब वह समय खत्म हो गया है। ऐसे में हजारों भारतीयों के पास कोई और विकल्प तलाशने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा है।