कांग्रेस के सबसे तेज धर्नुधर भूपेश को ‘अभिमन्यू’ की तरह घेरने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है ये ‘ईडी’ वाले छापे?
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सुरेश महापात्र।
हाल ही में कलेक्टर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिला अधिकारियों को साफ शब्दों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का संकेत दिया था। इस कांफ्रेंस के दो दिन के बाद ही ईडी ने प्रदेश में छापा मारकर यह जता दिया कि पुराने मामलों की जांच अभी पूरी नहीं हुई है।
अब सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर केंद्रीय एजेंसियों तक खबरें किनके माध्यम से पहुंचाई जा रही हैं। कहीं 2023 से पहले कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ छत्तीसगढ़ के धर्नुधर भूपेश बघेल को महाभारत के अभिमन्यू की तरह घेरने के कोशिश तो नहीं हो रही है। यदि ऐसा हो भी रहा हो तो भी कई ऐसे तथ्य हैं जिन्हें देखने के बाद लगता है कि एक तेजतर्रार नेता होने के साथ—साथ कुछ कमियां भी हैं जिसके कारण आज सीएम भूपेश को यह कहना पड़ रहा है कि ‘हमें डराने की कोशिश की जा रही है…!’
आज की इन घटनाओं को देखने से पहले थोड़ा अतीत में भी झांकने की जरूरत है। करीब सात महीने पहले एक खबर बाहर आई थी कि छत्तीसगढ़ के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा कलेक्टर रानू साहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कोरबा जिले में एक सड़क का निर्माण रोके जाने से नाराज मंत्री ने यह तक कह दिया ‘कलेक्टर जहां भी रही है उसने भ्रष्टाचार किया है। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग होगी।’
कोरबा में मेजर ध्यानचंद चौक से दर्री डैम तक बनी नई सड़क का उद्घाटन करने पहुंचे राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के तेवर बेहद गर्म थे। हरदी बाजार से इमली छापर तक की अधूरी सड़क से जुड़े एक सवाल पर मंत्री भड़क उठे। उन्होंने कहा ‘एसईसीएल ने कलेक्टर को फंड दे दिया है। अब कलेक्टर उसमें कुछ अलग से चाहत रखती हैं। उसमें उनका कोई निजी स्वार्थ होगा। इसीलिए वह काम को रोक रही हैं। लेकिन वह इसे ज्यादा दिन नहीं रोक पाएंगी। रोकेंगी तो उन्हें पछताना पड़ेगा।’
मंत्री से विवाद के बाद आईएएस रानू साहू का रातोंरात तबादल हो गया था। उन्हें कोरबा से हटाकर रायगढ़ का कलेक्टर बना दिया गया था। सरकार के मंत्री ने ही इनके खिलाफ जांच की मांग की थी। साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके साथ ही बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने डीएमएफ में गड़बड़ी का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इनके खिलाफ लिखित शिकायत भेजी थी।
इस खबर के सात महीने बाद एक बार फिर कलेक्टर रानू साहू सुर्खियों में हैं। रानू साहू 2010 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। कामों को लेकर वह कई बार विवादों में रही हैं। फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के रेडार पर हैं। इस बार उनकी सुर्खियों की वजह कलेक्टर के बंगले में ईडी के छापे को लेकर है।
ईडी छत्तीसगढ़ में अपना डेरा लेकर पहुंची हुई लग रही है। छापों के बाद 36 घंटे का समय गुजर चुका है। केवल ईडी के सूत्रों के हवाले से खबरें बाहर निकाली जा रही हैं। बीते समय में आयकर विभाग ने जो छापा मारा था उसके बाद एक तहरीर बाहर आई थी जिसका लब्बो लुआब यही था कि बेनामी लेन—देन के दस्तावेज मिले हैं। तो क्या जो दस्तावेज मिले हैं उससे रायगढ़ के डीएम पर सीधी आंच आने की नौबत थी? यह सवाल उसी समय से गहराया हुआ है जब से डीएम साहिबां किसी की भी पहुंच से बाहर बताई जा रही हैं।
उनके साथ ही बड़े नेताओं के काफी करीबी व्यापारी सूर्यकांत तिवारी भी फिलहाल गायब ही हैं। इन दोनों के खिलाफ किसी तरह का कोई वारंट जिसके कारण वे ईडी के जद से बाहर रहना चाह रहे हों इसके संकेत फिलहाल नहीं मिले हैं। उल्लेखनीय है कि पीएमएलए के तहत केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय को बहुत से अधिकारों से लैस कर दिया है। जिसके बाद अब ईडी की जांच टीम मौके को देखते हुए इस तरह की कार्रवाई भी कर सकती है। इसका उसे न्यायिक अधिकार भी प्राप्त है।
करप्शन की डोर तलाशने के लिए पहले 1 जुलाई 2022 को आयकर विभाग ने छत्तीसगढ़ की सबसे मजबूत राज्य की ब्यूरोक्रेट के निवास पर छापा मारा था। छत्तीसगढ़ में सौम्या चौरसिया से जुड़े दो स्थानों सहित सात स्थानों पर आयकर विभाग का तलाशी अभियान चला। चौरसिया मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
छत्तीसगढ़ प्रशासनिक सेवा (सीएएस) के एक अधिकारी, चौरसिया ने दिसंबर, 2018 में भूपेश बघेल के शपथ लेने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश किया। उसके बाद से चौरसिया ने कभी पलट कर नहीं देखा। राज्य के छोटे से बड़े सारे ब्यूरोक्रेट सुश्री चौरसिया को लेकर अपना अलग नजरिया रखते हैं।
बहुतों ने संबोधन के तरीके पर सवाल उठाया था। यह भी माना जा सकता है कि ‘सत्ता की ताकत के सहारे अक्सर बात करने वाले का लहजा बदल ही जाता है। पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी की डा. रमन की सरकार में अमन सिंह की जो भूमिका थी वही भूमिका अब सुश्री चौरसिया में सन्निहित हो चुकी हैं।’
यही वजह है कि जब सौम्या के ठिकाने पर आयकर विभाग ने छापा मारा था तो कांग्रेस संगठन से लेकर सरकार के मुखिया तक मुखर हो उठे। तब कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा ‘यह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार को परेशान करने के लिए केंद्र सरकार का एक प्रयास है। उन्होंने 2020 में चौरसिया के घर की तलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला और अब वे फिर से ऐसा कर रहे हैं। इसका मकसद छत्तीसगढ़ के अधिकारी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना है और कुछ नहीं।’
इसके बाद आयकर विभाग ने 7 अगस्त 2022 को फिर छापा मारा था। उसमें कुछ आवश्यक कागजात मिले तो फिर हुई ठिकानों पर जांच शुरू की गई। बताया जा रहा कि शनिवार तक आयकर की जांच पूरी होने की उम्मीद थी, लेकिन कुछ कागजात मिलने पर एक बार फिर से कुछ ठिकानों की जांच की गई।
गौरतलब है कि सुबह से ही आयकर की 250 सदस्यीय टीम द्वारा मारुति फेरो एलायज और ग्रेविटी स्पंज और पावर समूहों के रायपुर, रायगढ़ और खरोरा स्थित प्लांटों पर कार्रवाई की। कारोबारी समूहों के ठिकानों के साथ ही उनके परिचितों व सीए के ठिकानों पर भी दबिश दी गई।
इसके बाद 7 सितंबर 2022 को एक बार फिर आयकर की टीम ने शराब कारोबारी समेत स्टील, और रियल स्टेट के कारोबारियों के ठिकानों पर छापा मार कार्रवाई की थी। यानी तकरीबन हर माह लगातार आयकर विभाग ने छापा मारकर कई दस्तावेज जब्त किए थे।
इस बीच यह भी बताया जाना जरूरी है कि सन 2020 से ही मुख्यमंत्री की ओएसडी सौम्या चौरसिया को आयकर विभाग टारगेट बनाती रही। मार्च 2020 में इनके निवास पर छापा मारने के बाद एक खबर बहुत तेजी के साथ उड़ाई गई कि करोड़ो रुपए नगद बरामद किए गए। पर यह खबर झूठी निकली।
फेक्ट चैकर ‘आल्ट न्यूज’ ने सोशल मीडिया पर जारी किए गए खबर और तस्वीरों की पड़ताल के बाद यह स्पष्ट किया कि खबर झूठी थी। हांलाकि इस संबंध में आईटी डिपार्टमेंट ने कुछ भी साफ नहीं किया। बल्कि एक जानकारी बाहर निकली कि लेन—देन के साक्ष्य मिले हैं।
यानी 2020 के बाद से छत्तीसगढ़ सरकार केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर बनी हुई है। सरकार के किस नब्ज पर कब हाथ रखना है यह भी संभवत: तयशुदा कार्यक्रम के तहत चल रहा है। बताया जा रहा है कि बीते समय के आयकर के छापों के बाद मिली इनपुट के आधार पर ही ईडी ने पहली बार छत्तीसगढ़ का रूख किया है।
अब रही बात राजधानी में ईडी के छापों को लेकर तैर रही खबरों की तो कई तरह के तथ्यों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। मसलन यह दावा किया जा रहा है कि ईडी के छापे से पहले ओएसडी सौम्या चौरसिया और आईएएस रानू साहू ने करीब दो सप्ताह पहले ही भोपाल में आयकर विभाग के छापों के बाद बरामद किए गए दस्तावेजों को लेकर किसी तरह का हलफनामा दाखिल किया है। इसके बाद ईडी की टीम सीधे मौके पर छापा मारने के लिए पहुंची है। यदि हलफनामा की बात सही है तो बहुत हद तक यह संभव है कि रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू पुख्ता इनपुट के आधार पर ही बंगले से बाहर निकली होंगी।
छत्तीसगढ़ में कोयला और लोहा को लेकर सरकार के पास राजस्व का असीमित भंडार रहा है। यहां देश—दुनिया के कई बड़े कारोबारी खनिज संसाधनों को लेकर निगाहें लगाए बैठें हैं। ऐसे में इस महत्वपूर्ण राज्य में कांग्रेस की सत्ता का मतलब पूरे देश में कांग्रेस के लिए मजबूत सहारा की स्थिति भाजपा को खटक रही होगी। भाजपा के नेता पहले से ही इस बात को लेकर सरकार पर तंज कसते रहे हैं कि कांग्रेस के लिए फाइनेंस का जरिया छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। इसमें कितनी सच्चाई है यह कोई प्रामाणिक दावे के साथ नहीं कह सकता।
आसन्न गुजरात चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से टक्कर की स्थिति महसूस हो रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में केंद्रीय एजेंसियों के छापों से बनने वाले दबाव का प्रभाव गुजरात में कांग्रेस के प्रचार अभियान पर पड़ना स्वाभाविक है। संभवत: केंद्र इस रणनीति पर भी काम कर रहा हो कि हासिल भले ही सिफर हो पर दबाव बराबर बना रहे।
पर एक बात यह भी साफ करने की दरकार है कि भले ही कलेक्टर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ब्यूरोक्रेट को भ्रष्टाचार के खिलाफ चेता रहे हों पर जमीन में भ्रष्टाचार की शिकायत में सबसे ज्यादा कलेक्टारों के नाम ही लिए जा रहे हैं…। कई जिलों में तो साफ तौर पर कमीशन का लेखा भी तैयार है… राजस्व के जिन मामलों को सरकार के तौर पर निर्बाध करने के लिए भूपेश ने कलेक्टरों को निर्देशित किया है। कुछ जिलों में तो कलेक्टर राजस्व न्यायालय के मामले को देखने से भी इंकार कर रहे हैं।
इसका सीधा असर आगामी बरस छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ना स्वाभाविक है। कांग्रेस के सबसे तेज धर्नुधर भूपेश को ‘अभिमन्यू’ की तरह घेरने की रणनीति से भाजपा अपनी चुनावी वैतरणी पार लगते भी देख रही हो। पर उन्हें यह समझना चाहिए कि जिन ब्यूरोक्रेट के कंधे पर वे सवार होकर अपनी नैया पार लगाना चाह रहे हैं उन्हीं के बीच में से कई ‘विभीषण’ अपना काम सधे तरीके से कर रहे हैं। सो सनद रहे कका…