प्रयागराज महाकुंभ में भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन का खूब यशगान हो रहा, दिखा कला और संस्कृति के दर्शन
उज्जैन
प्रयागराज महाकुंभ में भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन का खूब यशगान हो रहा है। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग नृत्य, नाटक, गायन, वादन एवं चित्रों के माध्यम से यहां की समृद्ध कला, संस्कृति और विरासत की जमकर ब्रांडिंग कर रहा है। इसका दर्शन दुनियाभर से पधारे श्रद्धालुओं को आनंद का अहसास कराने के साथ उज्जैन आने को आकर्षित कर रहा है। महाकाल की भस्म आरती, शिप्रा आरती, 84 महादेव, सम्राट विक्रमादित्य, राजा भोज, मलखंभ, वैदिक घड़ी, मटकी नृत्य सब कुछ यहां है।
प्रयागराज में मध्य प्रदेश मंडपम्
प्रतिदिन शाम सात बजे गंगा तट पर नर्मदा, शिप्रा सहित सभी पवित्र नदियों का गान हो रहा है। बता दें, प्रयागराज में बनाए गए ‘मध्य प्रदेश मंडपम्’ में प्रतिदिन, प्रतिपल लोक कलाकार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से मध्य प्रदेश का यशगान करते हैं। कुछ प्रस्तुतियां हो चुकी हैं। तैयार कैलेंडर के अनुसार उज्जैन की नृत्य गुरु प्रतिभा रघुवंशी 22 से 24 जनवरी के बीच मालवी-कथक शैली में शिप्रा आरती करेंगी।
मलखंभ का भी होगा प्रदर्शन
गौरव तिवारी 31 जनवरी से दो फरवरी के बीच राजकीय खेल मलखंभ का प्रदर्शन करेंगे। विनती जैन साथी कलाकारों के साथ तीन से पांच फरवरी के बीच मालवांचल का प्रसिद्ध मटकी नृत्य प्रस्तुत करेंगी। इसी अवधि में संजीव मालवीय के निर्देशन में भोजदेव नृत्य नाटक और कृष्णायन नृत्य नाटक का मंचन होगा।
भगवान शिव के 84 स्वरूपों के होंगे दर्शन
शिरीष राजपुरोहित के निर्देशन में 15 से 17 फरवरी के बीच महादेव और 18 से 20 फरवरी के बीच श्रीकृष्ण लीला नृत्य नाटिका का मंचन होगा। देवकरण मालवीय 24 से 26 फरवरी के बीच भक्ति गायन, चित्रांशी उखेल मटकी नृत्य की प्रस्तुति देंगी। भगवान शिव के 84 स्वरूपों पर केंद्रित महादेव नामक चित्र प्रदर्शनी 21 से 26 फरवरी के बीच लगेगी।
वर्ष 2027 में नासिक, फिर 2028 में उज्जैन में लगेगा महाकुंभ
प्रयागराज के बाद अगला महाकुंभ 2027 में गोदावरी नदी के तट पर बसे नासिक शहर में लगेगा। इसके बाद 2028 में शिप्रा नदी किनारे बसे उज्जैन में लगेगा। प्रदेश सरकारों ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन महाकुंभ के लिए 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने बताया कि उज्जैन सहित मप्र की विरासत, कला और संस्कृति के दर्शन कर श्रद्धालु आनंद की अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं।