दंतेवाड़ा जिला जहां सिस्टम का अपना क़ानून चलता है… इनकम टैक्स की राशि में लगाई सेंध, खरीद डाली एक्स रे मशीन
डीएमएफ के स्वास्थ्य कर्मियों की सैलरी से कटा टीडीएस, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक नहीं पहुँचा
सीएस डॉ. गंगेश ने कर दिया एक्स रे मशीन के एवज में भुगतान
अभिषेक भदौरिया। दंतेवाडा।
जिला अस्पताल में एक अजीबोगरीब वित्तीय अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है। यहां सीएस डॉ. आरएल गंगेश ने टीडीएस यानी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाने वाली राशि में ही सेंध लगा ली।
ये राशि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को ट्रांसफ़र की जानी थी, लेकिन एक्स रे मशीन के एवज में उन्होने वेंडर को भुगतान कर दिया। अब जिन डॉक्टर्स और कर्मचारियों की सैलरी से ये टैक्स कट चुका है उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से लगातार नोटिस प्राप्त होने लगा है।
ज्ञात हो कि जिले में स्वास्थ्य विभाग में 75 अधिकारी-कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें डीएमएफ से सैलरी प्रदान की जाती है। सभी कर्मचारियों की एक महीने की सैलरी की राशि करीब 39 लाख रूपये होती है।
अप्रेल 2022 से मार्च 2023 तक इन सभी कर्मचारियों की सैलरी से टीडीएस करीब बीस लाख रूपये काटा तो गया, लेकिन कटी हुई राशि जो इनकम टैक्स विभाग को जानी थी वो आज तक आईटी डिपार्टमेंट को पहुंची ही नहीं।
दरअसल डीएमएफ के तहत कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारियों को सैलरी सीएस द्वारा दी जाती है, और इनके द्वारा टीडीएस काटकर सैलरी दी जाती है। इनमें विशेषज्ञ चिकित्सक, सर्जन, चिकित्सा अधिकारी आदि शामिल हैं। लेकिन तत्कालीन सीएस ने सैलरी से टीडीएस तो काटा, लेकिन यह राशि आईटी डिपार्टमेंट को ट्रांसफ़र नहीं की।
एक्स रे मशीन खरीदी
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार उसी दौरान एक एक्स रे मशीन जिला अस्पताल में क्रय की गयी। इस मशीन के लिये राशि अभी प्रशासन से प्राप्त नहीं हुई थी, लेकिन टैक्स की राशि जो आईटी डिपार्टमेंट को दी जानी थी, मशीन के एवज में वेंडर को भुगतान कर डाला। बाद में मशीन क्रय का कार्यालय ही निरस्त कर दिया गया और उस मशीन की राशि विभाग को मिली ही नहीं। और आजतक एक वर्ष के टीडीएस की राशि भी आईटी डिपार्टमेंट को नहीं दी गई।
आईटी भेज रहा नोटिस
जिन कर्मचारियों की सैलरी से आईटी की राशि कट चुकी है उन्हें आईटी डिपार्टमेंट की ओर से लगातार नोटिस मिल रहा है। नोटिस में एक वित्त वर्ष का जिक्र करते टैक्स नहीं अदा करने की बातें लिखी गयी हैं। चूंकि जिन्हें ये नोटिस मिल रहा है उनके सैलरी से पहले ही राशि कट चुकी है, लेकिन डॉ. गंगेश और अकाउंटेंट के कारनामों के चलते उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इधर इस मामले में डॉ. गंगेश की मुश्किलें और भी बढ़ सकती है। बताया जाता है कि इस तरह के वित्तीय अनियमिताओं में कड़ी कार्रवाई के प्रावधान हैं।
कर चुके अफसरों से शिकायत
पीड़ित अधिकारी-कर्मचारियों ने इस मामले की लिखित शिकायत कई बार अफसरों से की है, लेकिन उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली। इस संबंध में उन्होने पूर्व में अस्पताल अधीक्षक, सीएमएचओ से की है। इतना ही नहीं पूर्व कलेक्टर विनीत नंदनवार को भी उन्होने इस समस्या से अवगत कराया था किन्तु किसी भी अधिकारी ने इस मामले में पीड़ितों को राहत नहीं दिलाई।
यहां डीएमएफ में खेला आम बात
जिला अस्पताल में डीएमएफ के तहत क्रय की गई सामग्रियों में पहले भी जमकर अनियमितताएं बरती गई हैं। डीएमएफ की राशि में बंदरबाट इस अस्पताल में गंभीर मरीज के इलाज से ज्यादा जरूरी जान पड़ता है, यही वजह है कि यहां साल भर डीएमएफ से सामग्रियां क्रय की जाती हैं और निर्माण कार्य कराये जाते हैं।
अकाउंटेट के कहने से किया – डॉ.गंगेश
इस मामले में सीएस डॉ. गंगेश से जब चर्चा की गयी तो उन्होने कहा कि उस दौरान अकाउंटेंट ने कहा था कि जल्द ही बड़ी राशि अस्पताल प्रबंधन को प्राप्त होने वाली है, एक सामान के एवज में वेंडर को भुगतान करना है। अकाउंटेंट ने बताया कि टैक्स की लगभग 20 लाख राशि रखी हुई है, उस राशि से भुगतान किया जा सकता है। डॉ. गंगेश ने इस मामले में सारा ठीकरा अकाउंटेंट पर फोड़ा है, लेकिन डॉ. गंगेश का विवेक इतना भी काम न कर सका कि टैक्स की राशि से भुगतान किया जाना कितना उचित होगा।
ऑडिट से कैसे बचे जवाबदार
इधर इस मामले में जवाबदार ऑडिट से भी बच निकले। जबकि प्रतिवर्ष डीएमएफ मद की ऑडिट कराई जाती है। अब इस मामले में ऑडिट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आख़िर कैसे यह मामला ऑडिटर की नजर में नहीं आया। या फिर कहा जाये कि ऑडिटर ने भी अधिकारियों से साठगांठ कर मामले को दबाने का प्रयास किया है।
जांच कराई जायेगी – चतुर्वेदी
इस मामले में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी का कहना है कि टीडीएस की राशि से इस तरह सामग्री क्रय करना गंभीर मामला है। ऐसा किन परिस्थितियों में किया गया, इस पूरे मामले की जल्द ही जांच कराई जाएगी।