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15 मार्च तक बीजेपी को मिल सकता है नया राष्ट्रीय अध्यक्ष, जानें क्या है चुनाव प्रक्रिया

नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 15 मार्च तक अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है और यह राज्य इकाइयों में पार्टी के चुनाव के बाद होगा.राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है और यह जनवरी में पूरा हो जाना चाहिए था. हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव और लंबित राज्य इकाई चुनावों ने जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के चुनाव में देरी हो रही है.

भाजपा के संविधान के अनुसार, आधे राज्यों में चुनाव से पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया जा सकता है. अब तक भाजपा ने 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से 12 में चुनाव पूरे कर लिए हैं. अभी तक 12 राज्यों में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया गया है.

यूपी प्रदेश अध्यक्ष का जल्द होगा ऐलान

बीजेपी 2 से 3 दिन में यूपी के जिलाध्यक्षों की घोषणा करेगी. उसके बाद यूपी के बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव होगा. एक हफ्ते से दस दिन में यूपी बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा.

बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा जल्द ही की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक यह ऐलान अगले दो हफ्ते के भीतर हो सकता है। पार्टी के संगठनात्मक चुनाव 12 राज्यों में पूरे हो चुके हैं और माना जा रहा है कि अध्यक्ष का नाम 15 मार्च से पहले घोषित किया जा सकता है। उसके बाद हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अशुभ अवधि शुरू हो जाती है।

चुनाव वाले राज्यों पर बीजेपी की नजर
बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव होना जरूरी है। इससे पहले, बूथ, मंडल और जिला स्तर पर चुनाव होते हैं। अभी 36 राज्यों में से सिर्फ 12 में ही चुनाव पूरे हुए हैं। इसलिए कम से कम 6 और राज्यों में चुनाव कराने की जरूरत है। बीजेपी उन राज्यों में इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा रही है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जैसे तमिलनाडु, बंगाल, असम और गुजरात। बिहार में कोई बदलाव नहीं होगा, जहां इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं।

किन बातों पर है पार्टी का फोकस?
बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार का चयन कई बातों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। सबसे जरूरी है कि उम्मीदवार को सभी का समर्थन हासिल हो, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी शामिल है। साथ ही उम्मीदवार को संगठनात्मक मूल्यों से ओतप्रोत होना चाहिए। पार्टी जातिगत समीकरण, उत्तर-दक्षिण भाषा विवाद, परिसीमन और सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में अपने जनाधार को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में पार्टी को झटका लगा था, जिससे उसे सदन में पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था।

जेपी नड्डा ने 2019 से संभाली है जिम्मेदारी
जेपी नड्डा ने 2019 में कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पार्टी की जिम्मेदारी संभाली थी। जनवरी 2020 में, उन्हें सर्वसम्मति से बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पदभार ग्रहण किया। लोकसभा चुनाव को देखते हुए उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था। सरकार में शामिल होने के साथ, पार्टी उनके उत्तराधिकारी के लिए संभावित उम्मीदवारों की तलाश कर रही है। लेकिन यह प्रक्रिया धीमी रही है, क्योंकि नेता इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की उम्मीद कर रहे हैं। कई नामों पर चर्चा हो रही है, लेकिन पार्टी किसी भी नाम की आधिकारिक पुष्टि नहीं कर रही है।

जेपी नड्डा को पहली बार 17 जून, 2019 को पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था और वे 20 जनवरी, 2020 तक इस पद पर बने रहे. 20 जनवरी, 2020 को उन्हें पार्टी के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया और तब से वे इस पद पर हैं.

जेपी नड्डा के नेतृत्व में पार्टी ने कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है. इसी तरह से लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल कर पार्टी फिर से सत्ता में वापसी की है.

अटल बिहारी वाजपेयी 1980 से 1986 तक भाजपा के पहले अध्यक्ष थे. लाल कृष्ण आडवाणी कई कार्यकालों तक इस पद पर रहे.