सौंदर्य के शिकार न बनें: ब्यूटी पार्लर में सुरक्षित रहने के लिए सवा
बीते साल नवंबर में हैदराबाद में एक महिला हेयर वॉश करते हुए ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम का शिकार हो गई। उसको चक्कर, सर दर्द और धुंधला दिखाई देने लगा। स्थिति बिगड़ने पर उसको तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया। ऐसे की एक दूसरे मामले में दिल्ली के ग्रीन पार्क में फेशियल मसाज करवाते हुए उंगलियों के गलत प्रेशर से महिला की गर्दन की नस दब गई। असहनीय दर्द होने पर उसे तुरंत अस्पताल पहुंचकर फिजियोथेरेपी दी गई।
कर्नाटक में तो शादी ऐन वक्त पर इसलिए रोक दी गई क्योंकि पार्लर की वजह से दुल्हन का चेहरा खराब हो गया, नौबत ऐसी हो गई कि दुल्हन को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। ऐसा ही एक मामला आया था मुंबई के अंधेरी इलाके से, जहां फेशियल मसाज के लिए बहुत बड़ी रकम चुकाने के बाद महिला की स्किन बुरी तरह जल गई। परमानेंट डैमेज के बाद महिला ने सैलून के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। इसी तरह नीदरलैंड में एक 43 वर्षीय महिला की डेथ केवल इसलिए हो गई क्योंकि उनका पेडीक्योर करवाते हुए प्यूमिक स्टोन से कट लग गया था, जिससे इन्फेक्शन फैल गया।
अक्सर इस तरह के मामले सुनने में आते हैं, जब पार्लर में ट्रीटमेंट करवाने के दौरान महिला सिंड्रोम का शिकार हो गई या किसी वजह से एलर्जी हो गई या ट्रीटमेंट गलत होने से स्किन डैमेज हो गई वगैरह।
ब्यूटी पार्लर सिंड्रोम किसे कहते हैं?
ब्यूटी पार्लर सिंड्रोम शब्द का जिक्र पहली बार 1993 में अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में किया गया था। इस शब्द का उपयोग उन पांच महिलाओं का अध्ययन करने के बाद किया, जिनमें हेयर सैलून में शैम्पू सेशन के बाद स्ट्रोक जैसे न्यूरोलॉजिकल सिम्टम्स देखने को मिले थे। उन महिलाओं ने चक्कर आना, बैलेंस का खोना और चेहरा सुन्न होने की शिकायत की थी। उनकी आई रिपोर्ट में पांच में से चार महिलाओं को स्ट्रोक हुआ था।
नस दबने से हुई हैदराबाद के पार्लर में महिला की मौत
बीते साल के नवंबर महीने में हैदराबाद का ब्यूटी पार्लर वाला मामला भी पार्लर सिंड्रोम से जुड़ा हुआ था जब सिंक में गलत पॉजिशन लेने से हेयर वॉश करवाते हुए महिला इसकी चपेट में आ गई।
नस दबने से रुक जाती है ब्लड सप्लाई
फिजिशियन डॉक्टर अनूप भटनागर बताते हैं कि ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम आने की खास वजह होती है किसी नस का दबना। हैदराबाद वाले मामले में महिला के बीमार होने की वजह बाल वॉश करने के दौरान गर्दन पर खिंचाव और सिंक पर सही तरह से गर्दन को सपोर्ट न मिलना है। दरअसल, नस कहीं की भी हो, जब दबती है तो तब ब्रेन तक ब्लड की सप्लाई सही तरह से नहीं हो पाती है और यही स्ट्रोक की वजह बनता है। चक्कर आना, तेज सिर दर्द होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर का कोई हिस्सा सुन्न होना जैसे लक्षण अगर दिखाई दें, तो तुरंत हॉस्पिटल ले जाना जरूरी है। डॉक्टर अनूप कहते हैं कि पार्लर में अक्सर लोग मसाज कराते हैं। अगर तरीका गलत होगा, तो आपकी हड्डी के लिए पीड़ादायक हो सकती है।
पार्लर के जरिए घर तक पहुंच सकता है इंफेक्शन
कई रिसर्च में भी सामने आ चुका है कि ब्यूटी सैलून के टूल्स और प्रोडक्ट्स से होने वाले इंफेक्शन सेहत के लिए गंभीर समस्याओं की वजह बनते हैं। एक सर्वे के मुताबिक, वार्ट्स, एक्ने, रैशेज, ड्राईनेस, मोलस्कम इंफेक्शन वगैरह कुछ कॉमन इन्फेक्शन है, जो पार्लर के जरिए घर तक आते हैं। फेशियल, वैक्सिंग, थ्रेडिंग और मसाज के बाद मुंहासे निकलना आम बात है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। स्टीम, फेशियल पैक या ब्लीच का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल स्किन से नमी कम करता है, जो फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह बनता है।
फिजिशियन डॉ. अनूप भटनागर बताते हैं कि सैलून में सिर धोने या मालिश के दौरान गर्दन में अचानक और अत्यधिक छेड़छाड़ से बचें। सिर धोते समय हमेशा गुनगुना पानी डालें। अगर पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। डेफोनिल ब्यूटी पार्लर की ओनर पारुल अग्रवाल कहती हैं कि ब्यूटी सर्विस देते हुए बहुत छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
कुछ लोगों की स्किन हो या हेयर, काफी ड्राई होते हैं तो कुछ के ऑयली। ऐसे में जरूरी होता है सबसे पहले तो स्किन के बारे में समझना। वैक्सीन को ही लें, तो कई पार्लर बिना स्किन टाइप देखे वैक्सीन देते हैं, जिसके चलते स्किन जल जाती है या फिर एलर्जी हो जाती है। हमारे पास ऐसी दिक्कतों के साथ दूसरे जगहों से बहुत सारी महिलाएं आती हैं। कोई भी ब्यूटी ट्रीटमेंट लेने से पहले पार्लर की जानकारी लेना जरूरी है। साथ ही, पार्लर चुनते हुए सुविधाएं, हाइजीन, स्टाफ और ब्यूटी प्रॉडक्ट्स के बारे में जानकारी लेना जरूरी है।